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तालाब की खुदाई में मिली भगवान ब्रह्मा की खंडित प्रतिमा, महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय के किया हवाले

दरभंगा में 2 दिन पहले मिले ब्रह्माजी की प्राचीन खंडित मूर्ति को महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया गया है. लोगों ने पहले इस मूर्ति की पूजा अर्चना करनी शुरू कर दी थी. बाद में मूर्ति के खंडित होने के कारण इसे संग्रहालय रख दिया गया.

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Published : Jun 19, 2020, 10:43 PM IST

दरभंगा: जिले के जाले थाना क्षेत्र के मनमा गांव के मानेश्वरनाथ तालाब की मिट्टी खुदाई के दौरान मिली भगवान ब्रह्मा की प्राचीन खंडित मूर्ति को महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया है. यह मूर्ति कर्णाट काल खंड की बताई जा रही है. संग्रहालय की टीम के डॉ. सुशांत कुमार, चंद्र प्रकाश, अनिकेत कुमार और संतोष कुमार ने मनमा गांव जाकर जाले थाना पुलिस और ग्रामीणों के सहयोग से मूर्ति को लाने की व्यवस्था की. बता दें कि ये मूर्ति दो दिन पहले मिली है.

संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिवकुमार मिश्र ने बताया कि मूर्ति मिलने की सूचना के बाद उन्होंने दरभंगा के डीएम, एसएसपी और जाले थाना प्रभारी से इसे संग्रहालय में सुरक्षित रखने के लिए देने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इस मूर्ति को संग्रहालय को देने को लेकर एकमत नहीं थे. बता दें कि खंडित मूर्ति की पूजा करने का शास्त्रों में विधान नहीं है. इसको लेकर दो दिनों तक ग्रामीणों को समझाया गया. तब जाकर मूर्ति को सुपुर्द किया गया.

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तालाब की खुदाई में मिली प्राचीन मूर्ति

कर्णाट काल की कला की विशेषता
पुरातत्वविद डॉ. सुशांत कुमार ने बताया कि 1097 से 1325 ई. के बीच मिथिला में कर्णाट वंश का शासन था. ये प्रतिमा उसी काल की है. उन्होंने कहा कि ये ब्लैक बिसाल्ट की बनी है. ऐसी कुछ प्रतिमाएं विष्णु, सूर्य, उमा-महेश्वर आदि की मिली पहले भी इस इलाके में मिली हैं. लेकिन ये कीर्तिमुख की ब्रह्मा की प्रतिमा है, जो पहली बार मिली है. कीर्तिमुख प्रतिमा कर्णाट और कर्णाट काल की कला की विशेषता है तो इसे पाल कला से अलग करती है.

दरभंगा: जिले के जाले थाना क्षेत्र के मनमा गांव के मानेश्वरनाथ तालाब की मिट्टी खुदाई के दौरान मिली भगवान ब्रह्मा की प्राचीन खंडित मूर्ति को महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया है. यह मूर्ति कर्णाट काल खंड की बताई जा रही है. संग्रहालय की टीम के डॉ. सुशांत कुमार, चंद्र प्रकाश, अनिकेत कुमार और संतोष कुमार ने मनमा गांव जाकर जाले थाना पुलिस और ग्रामीणों के सहयोग से मूर्ति को लाने की व्यवस्था की. बता दें कि ये मूर्ति दो दिन पहले मिली है.

संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिवकुमार मिश्र ने बताया कि मूर्ति मिलने की सूचना के बाद उन्होंने दरभंगा के डीएम, एसएसपी और जाले थाना प्रभारी से इसे संग्रहालय में सुरक्षित रखने के लिए देने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इस मूर्ति को संग्रहालय को देने को लेकर एकमत नहीं थे. बता दें कि खंडित मूर्ति की पूजा करने का शास्त्रों में विधान नहीं है. इसको लेकर दो दिनों तक ग्रामीणों को समझाया गया. तब जाकर मूर्ति को सुपुर्द किया गया.

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तालाब की खुदाई में मिली प्राचीन मूर्ति

कर्णाट काल की कला की विशेषता
पुरातत्वविद डॉ. सुशांत कुमार ने बताया कि 1097 से 1325 ई. के बीच मिथिला में कर्णाट वंश का शासन था. ये प्रतिमा उसी काल की है. उन्होंने कहा कि ये ब्लैक बिसाल्ट की बनी है. ऐसी कुछ प्रतिमाएं विष्णु, सूर्य, उमा-महेश्वर आदि की मिली पहले भी इस इलाके में मिली हैं. लेकिन ये कीर्तिमुख की ब्रह्मा की प्रतिमा है, जो पहली बार मिली है. कीर्तिमुख प्रतिमा कर्णाट और कर्णाट काल की कला की विशेषता है तो इसे पाल कला से अलग करती है.

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