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दरभंगाः ऑटो चालक का बेटा बना आर्मी ऑफिसर, पंजाब रेजिमेंट में मिला लेफ्टिनेंट का पद

साल 2016 में पुरुषोत्तम ने ऑफिसर की परीक्षा पास की और तब से इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में ट्रेनिंग ले रहे थे. चार साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद शनिवार को उन्हें पंजाब रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के रूप में योगदान कराया गया.

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Published : Jun 14, 2020, 7:56 AM IST

Updated : Jun 17, 2020, 7:17 PM IST

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दरभंगाः कहते हैं कि अगर दिल में लगन और मेहनत करने का जुनून हो तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है. मिथिला की माटी में तो ये खास गुण है कि यहां से निकल कर कई क्षेत्रों में लोग देश का नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसा ही एक कमाल एक ऑटो चालक के बेटे ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन कर कर दिखाया है.

कमतर संसाधनों के बीच हुई प्रारंभिक शिक्षा
जिले के सुदूर कुशेश्वर स्थान के बेरि गांव के ऑटो चालक गणेश पाठक के बेटे पुरुषोत्तम पाठक ने यह उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने देहरादून की मिलिट्री एकेडमी में शनिवार को आयोजित परेड के बाद पंजाब रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट का पद प्राप्त किया. ये खबर मिलते ही पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई. पुरुषोत्तम के पिता ऑटो चलाते हैं और मां गृहिणी हैं. एक बेहद साधारण परिवार और सुदूर देहात के परिवेश में कमतर संसाधनों के बीच पुरुषोत्तम की प्रारंभिक शिक्षा हुई.

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पुरुषोत्तम के माता-पिता

नौकरी में रहते हुए कंपटीशन की तैयारी
पुरुषोत्तम ने कुशेश्वर स्थान के नंदकिशोर हाई स्कूल सतीघाट से मैट्रिक तक की पढ़ाई और दरभंगा के एमएलएसएम कॉलेज से इंटर साइंस की परीक्षा पास की. उसके बाद वे जेएनयू दिल्ली चले गए. जहां से विज्ञान में स्नातक किया. उन्होंने साल 2011 में भारतीय सेना में सिग्नल ट्रेड में ज्वाइन किया, लेकिन उनकी इच्छा सेना में अधिकारी बनने की थी. इसलिए नौकरी में रहते हुए उन्होंने कठिन परिश्रम के साथ कंपटीशन की तैयारी जारी रखी.

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पुरुषोत्तम पाठक

चार साल की ट्रेनिंग
साल 2016 में पुरुषोत्तम ने ऑफिसर की परीक्षा पास की और तब से इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में ट्रेनिंग ले रहे थे. चार साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद शनिवार को उन्हें पंजाब रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के रूप में योगदान कराया गया.

आर्मी में मिली नौकरी
पुरुषोत्तम के पिता गणेश पाठक और माता मुन्नी देवी ने बताया कि बेटे ने जब आगे की पढ़ाई के लिए जेएनयू जाने की बात कही तो उन्हें चिंता हो गई कि इतना पैसा कहां से आएगा. लेकिन ईश्वर ने सब कुछ सही कर दिया. बेटे को आर्मी में नौकरी मिली तो उन्हें संतोष हुआ कि अब परिवार अच्छे से चलेगा.

देखें रिपोर्ट

खुशी और गर्व
गणेश पाठक ने बताया कि जब बेटे ने ऑफिसर बनने की इच्छा जताई तो उन्हें लगा कि इतना बड़ा काम कैसे होगा. लेकिन बेटे की लगन और परिश्रम देख कर उन्हें काफी उम्मीद जगी और आज वह सपना पूरा हो गया. उनके लाल ने न सिर्फ अपने गांव और जिले बल्कि बिहार का नाम भी रोशन किया है. उन्हें बेटे की इस उपलब्धि पर बेहद खुशी और गर्व है.

दरभंगाः कहते हैं कि अगर दिल में लगन और मेहनत करने का जुनून हो तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है. मिथिला की माटी में तो ये खास गुण है कि यहां से निकल कर कई क्षेत्रों में लोग देश का नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसा ही एक कमाल एक ऑटो चालक के बेटे ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन कर कर दिखाया है.

कमतर संसाधनों के बीच हुई प्रारंभिक शिक्षा
जिले के सुदूर कुशेश्वर स्थान के बेरि गांव के ऑटो चालक गणेश पाठक के बेटे पुरुषोत्तम पाठक ने यह उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने देहरादून की मिलिट्री एकेडमी में शनिवार को आयोजित परेड के बाद पंजाब रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट का पद प्राप्त किया. ये खबर मिलते ही पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई. पुरुषोत्तम के पिता ऑटो चलाते हैं और मां गृहिणी हैं. एक बेहद साधारण परिवार और सुदूर देहात के परिवेश में कमतर संसाधनों के बीच पुरुषोत्तम की प्रारंभिक शिक्षा हुई.

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पुरुषोत्तम के माता-पिता

नौकरी में रहते हुए कंपटीशन की तैयारी
पुरुषोत्तम ने कुशेश्वर स्थान के नंदकिशोर हाई स्कूल सतीघाट से मैट्रिक तक की पढ़ाई और दरभंगा के एमएलएसएम कॉलेज से इंटर साइंस की परीक्षा पास की. उसके बाद वे जेएनयू दिल्ली चले गए. जहां से विज्ञान में स्नातक किया. उन्होंने साल 2011 में भारतीय सेना में सिग्नल ट्रेड में ज्वाइन किया, लेकिन उनकी इच्छा सेना में अधिकारी बनने की थी. इसलिए नौकरी में रहते हुए उन्होंने कठिन परिश्रम के साथ कंपटीशन की तैयारी जारी रखी.

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पुरुषोत्तम पाठक

चार साल की ट्रेनिंग
साल 2016 में पुरुषोत्तम ने ऑफिसर की परीक्षा पास की और तब से इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में ट्रेनिंग ले रहे थे. चार साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद शनिवार को उन्हें पंजाब रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के रूप में योगदान कराया गया.

आर्मी में मिली नौकरी
पुरुषोत्तम के पिता गणेश पाठक और माता मुन्नी देवी ने बताया कि बेटे ने जब आगे की पढ़ाई के लिए जेएनयू जाने की बात कही तो उन्हें चिंता हो गई कि इतना पैसा कहां से आएगा. लेकिन ईश्वर ने सब कुछ सही कर दिया. बेटे को आर्मी में नौकरी मिली तो उन्हें संतोष हुआ कि अब परिवार अच्छे से चलेगा.

देखें रिपोर्ट

खुशी और गर्व
गणेश पाठक ने बताया कि जब बेटे ने ऑफिसर बनने की इच्छा जताई तो उन्हें लगा कि इतना बड़ा काम कैसे होगा. लेकिन बेटे की लगन और परिश्रम देख कर उन्हें काफी उम्मीद जगी और आज वह सपना पूरा हो गया. उनके लाल ने न सिर्फ अपने गांव और जिले बल्कि बिहार का नाम भी रोशन किया है. उन्हें बेटे की इस उपलब्धि पर बेहद खुशी और गर्व है.

Last Updated : Jun 17, 2020, 7:17 PM IST
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