दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU in Darbhanga) के स्नातक अंतिम वर्ष के छात्रों ने विश्वविद्यालय मुख्यालय में जमकर हंगामा किया. स्नातक अंतिम वर्ष का परीक्षा (LNMU students Demanding Final Year Results) परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर छात्रों ने वीसी और रजिस्ट्रार (LNMU VC And Registrar Hostage) की घंटों घेराबंदी की. इसके कारण वे अपने चैंबर में बंद रहे और विश्वविद्यालय का सारा काम काज ठप रहा. इस आंदोलन का नेतृत्व मिथिला स्टूडेंट यूनियन के छात्र कर रहे थे.
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मिथिला स्टूडेंट यूनियन के छात्र नेता अमन सक्सेना ने बताया कि, निजी डाटा एनालिसिस एजेंसी और विश्वविद्यालय के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है. डाटा एनालिसिस एजेंसी ने इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है. इसकी वजह से विश्वविद्यालय के करीब 85 हजार स्नातक तृतीय खंड और स्नातकोत्तर प्रथम खंड के छात्रों का परीक्षा परिणाम नहीं निकल रहा है.
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"रिजल्ट नहीं आने की वजह से छात्र राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही राज्य के बाहर के उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार जिम्मेदार हैं. जब तक परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किए जाते हैं, तब तक एमएसयू के छात्र आंदोलन करते रहेंगे."- अमन सक्सेना, छात्र नेता, एमएसयू
वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि, डाटा एनालिसिस एजेंसी विश्वविद्यालय को ब्लैकमेल कर रही है. इस एजेंसी का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो चुका था. उसके बाद विश्वविद्यालय ने टेंडर जारी किया, जिसमें दूसरी एजेंसी का चयन किया गया. लेकिन पुरानी एजेंसी दूसरी एजेंसी को चार्ज देने को तैयार नहीं है और वह हाईकोर्ट चली गई है.
"मामला कोर्ट में होने की वजह से छात्रों का परीक्षा परिणाम लटक गया है. अगर डाटा एनालिसिस एजेंसी छात्रों का परिणाम घोषित कर दे या कोर्ट की तरफ से विश्वविद्यालय के हक में परिणाम आ जाए तो जल्दी परीक्षार्थियों का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जाएगा."- प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू
बता दें कि, विश्वविद्यालय ने कुछ समय पहले अपने डाटा सेंटर पर ताला जड़ दिया था और वहां काम कर रही एजेंसी को हटा दिया था. एजेंसी का कहना था कि, जब तक वह इस सत्र के परीक्षार्थियों का परिणाम घोषित नहीं कर देती तब तक वह काम छोड़कर नहीं जा सकती है, इसलिए एजेंसी ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वहां याचिका दायर कर दी. इसकी वजह से विश्वविद्यालय के 85 हजार छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लग गया है.
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