ETV Bharat / state

हाय रे लॉकडाउन! गर्मी आयी फिर भी ग्राहकों की बाट जो रहे कुम्हार - लॉकडाउन ने छीनी कुम्हारों चैन

कुंम्हारों का कहना है कि हमलोगों ने दुकान तो खोल कर रखा हुआ है. लेकिन लागू लॉकडाउन के कारण बिक्री नहीं हो पा रही है. इस वजह से हमलोगों के सामने भुखमरी की समस्या आन पड़ी है.

दरभंगा
दरभंगा
author img

By

Published : May 11, 2020, 11:03 AM IST

दरभंगा: गर्मी की दस्तक होते ही हर साल मिट्टी के मटके और सुराही की मांग बढ़ जाती थी. लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉक डाउन की वजह से इस साल कुम्हारों के व्यापार चौपट हो गए हैं. शहर के मौलागंज, हसन चौक आदि जगहों पर मटके और सुराही की बाजार सज चुकी है. लेकिन लॉक डाउन के चलते इन दुकानों पर ग्राहक मटके की खरीदारी के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. आलम यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में दाम कम करने के बावजूद भी सामानों की बिक्री नहीं हो रही है. जिसके चलते कुम्हारों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

'लॉकडाउन के चलते व्यापार पूरी तरह चौपट'
कुंभकार भरत पंडित ने बताया कि हमलोगों ने दुकान तो खोल कर रखा हुआ है. लेकिन, एक भी रुपये की बिक्री नहीं हो पा रही है. जिस वजह से हम लोगों का व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है. हम लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.

मिट्टी के सामान बना रहे कुम्हार
मिट्टी के सामान बना रहे कुम्हार

किसी भी प्रकार की सामान को बनाने में भी डर लग रहा है. लॉकडाउन के कारण हम लोग अपने बनाए हुए मटके और सुराही को नहीं बेच पा रहे हैं. गर्मी के तीन चार महीनों में थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी. लेकिन लागू लॉक डाउन के कारण उस पर भी ग्रहण लगा हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'लॉकडाउन ने कुम्हारों के सपनों पर फेरा पानी'
दरअसल, मिट्टी से बने सुराही और घड़े की खासियत यह है कि इसमें रखा गया जल प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है. जिस वजह से आज भी घड़ा और सुराही लोगों के घर में अपनी जगह बनाए हुए हैं. इसको देखते हुए कुम्हार परिवार के लोग गर्मी के महीनों में बड़े पैमाने पर इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. ताकि गर्मी की शुरूआत होते ही इसकी बिक्री कर सके. लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इनके सपनों पर पानी फेर दिया है.

दरभंगा: गर्मी की दस्तक होते ही हर साल मिट्टी के मटके और सुराही की मांग बढ़ जाती थी. लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉक डाउन की वजह से इस साल कुम्हारों के व्यापार चौपट हो गए हैं. शहर के मौलागंज, हसन चौक आदि जगहों पर मटके और सुराही की बाजार सज चुकी है. लेकिन लॉक डाउन के चलते इन दुकानों पर ग्राहक मटके की खरीदारी के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. आलम यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में दाम कम करने के बावजूद भी सामानों की बिक्री नहीं हो रही है. जिसके चलते कुम्हारों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

'लॉकडाउन के चलते व्यापार पूरी तरह चौपट'
कुंभकार भरत पंडित ने बताया कि हमलोगों ने दुकान तो खोल कर रखा हुआ है. लेकिन, एक भी रुपये की बिक्री नहीं हो पा रही है. जिस वजह से हम लोगों का व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है. हम लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.

मिट्टी के सामान बना रहे कुम्हार
मिट्टी के सामान बना रहे कुम्हार

किसी भी प्रकार की सामान को बनाने में भी डर लग रहा है. लॉकडाउन के कारण हम लोग अपने बनाए हुए मटके और सुराही को नहीं बेच पा रहे हैं. गर्मी के तीन चार महीनों में थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी. लेकिन लागू लॉक डाउन के कारण उस पर भी ग्रहण लगा हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'लॉकडाउन ने कुम्हारों के सपनों पर फेरा पानी'
दरअसल, मिट्टी से बने सुराही और घड़े की खासियत यह है कि इसमें रखा गया जल प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है. जिस वजह से आज भी घड़ा और सुराही लोगों के घर में अपनी जगह बनाए हुए हैं. इसको देखते हुए कुम्हार परिवार के लोग गर्मी के महीनों में बड़े पैमाने पर इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. ताकि गर्मी की शुरूआत होते ही इसकी बिक्री कर सके. लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इनके सपनों पर पानी फेर दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.