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नेपाल की नागरिकता संशोधन कानून पर मिथिलांचल में आक्रोश, नेपाल को बताया चीन की कठपुतली

एक तरफ चीन भारत को आंखे दिखा रहा है तो दूसरी भारत के रहमों करम पर रहने वाला नेपाल भी गुर्राने लगा है. इसपर नेपाल की सीमा से लगे बिहार के जिलों के लोगों में काफी आक्रोश है. पढ़ें ये पूरी रिपोर्ट.

नेपाल
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Published : Jun 23, 2020, 2:30 PM IST

दरभंगा: भारत और नेपाल के रिश्तों को उल्लेखित करने के लिए 'रोटी-बेटी के रिश्ते' की कहावत मशहूर है. यह दोनों देशों के बीच यह संबंध सदियों से चला आ रहा है. खासतौर पर मिथिला में, जहां रामायण काल से सीता और राम के विवाह से अब तक ये रिश्ता चला आ रहा है. दोनों देशों की बेटियां एक-दूसरे के देशों में ब्याही जाती रही हैं. ब्याह के साथ ही अब तक उन्हें खुद ही दोहरी नागरिकता मिलती रही है.

बातचीत करने पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता
बातचीत करने पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

चीन की कठपुतली बनी नेपाल सरकार
लेकिन चीन के हाथों की कठपुतली बनी नेपाल सरकार ने अब भारत के साथ सदियों से चले आ रहे इस संबंध को एक बड़ा झटका दे दिया है. नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक ऐसे कानून को मंजूरी दी है जिसके तहत अब भारत से नेपाल में शादी कर गईं बेटियों को वहां की नागरिकता के लिए 7 साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा. साथ ही नेपाल की नागरिकता उन्हें तब मिलेगी जब वे भारत की नागरिकता छोड़ने का प्रमाण पत्र दाखिल करेंगी.

इस फैसले के बाद बिहार के मिथिलांचल में नेपाल सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है. मिथिलांचल के इतिहास में शायद ये पहला मौका है जब लोगों ने नेपाल की सरकार के खिलाफ बड़े गुस्से के साथ विरोध शुरू कर दिया है. ईटीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने दरभंगा के लोगों से बात कर इस आक्रोश को समझने की कोशिश की.

नेपाल के खिलाफ नारेबाजी करते लोग
नेपाल के खिलाफ नारेबाजी करते लोग

'धधक चुकी है बड़े आंदोलन की चिंगारी'
मिथिला विकास संघ के अध्यक्ष विप्लव कुमार चौधरी ने ईटीवी भारत से कहा कि नेपाल के साथ हमारा सदियों से बेटी-रोटी का अटूट संबंध रहा है. राजा राम अयोध्या के थे जिनका मिथिला की बेटी कही जाने वाली सीता से विवाह हुआ था. आज भी दरभंगा और समूचे मिथिलांचल में बहुत से लड़के-लड़कियों की शादी नेपाल में होती है. लेकिन, अब चीन की शह पर नेपाल की ओली सरकार भारत से सारे रिश्ते तोड़ना चाहती है. विप्लव कुमार चौधरी ने कहा कि नेपाल सरकार के इस फैसले के खिलाफ दोनों देशों के मिथिला संस्कृति से जुड़े लोग एकजुट हैं. इसके खिलाफ बड़े आंदोलन की चिंगारी धधक चुकी है.

प्रो. चंदशेखर झा
प्रो. चंदशेखर झा

'भारत के धर्म और संस्कृति पर चोट'
वहीं, मैथिली लोक संस्कृति मंच के प्रो. उदय शंकर मिश्र ने कहा कि नेपाल की सरकार चाहे जो करे लेकिन दोनों देशों के मिथिला की जनता के संबंध आज भी बहुत मधुर हैं. उन्होंने कहा कि रामायण काल में सीता-राम के विवाह का उदाहरण है तो महाभारत काल में राजा विराट की पुत्री का अभिमन्यु से विवाह का उदाहरण मिलता है. उन्होंने कहा कि चीन की शह पर नेपाल की विधर्मी कम्युनिस्ट सरकार हमारे धर्म और संस्कृति पर चोट कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

सुजीत आचार्य से बातचीत
सुजीत आचार्य से बातचीत

'मिथिला वापस करे नेपाल'
विद्यापति सेवा संस्थान के मीडिया प्रभारी प्रो. चंद्रशेखर झा 'बूढ़ा भाई' ने कहा कि उनकी बहू खुद जनकपुर की है. उनके परिवार का नेपाल से बहुत गहरा पुराना नाता रहा है. सुख-दुख में सभी एक दूसरे के साथ होते हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल की सरकार इन संबंधों पर कितनी भी चोट पहुंचा ले, इन्हें तोड़ना संभव नहीं होगा. अगर नेपाल को इतनी ही दिक्कत है तो हमारे मिथिला का इलाका भारत को वापस सौंप दे. क्योंकि सुगौली संधि की 200 साल की मियाद अब पूरी हो चुकी है. हम मिथिला के लोग एक संस्कृति के अलावा एक भूगोल के तहत रहना चाहते हैं.

संवाददाता से बात करते प्रो. उदय शंकर मिश्र
संवाददाता से बात करते प्रो. उदय शंकर मिश्र

'नेपाली जनता को चीनी खतरे को समझने की जरूरत'
वहीं दूसरी तरफ मिथिला लेखक मंच के संयोजक चंद्रेश ने कहा कि इस विपरीत परिस्थिति में भी भारत सरकार को नेपाल से अटूट संबंधों को बनाए रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेपाल की जनता को चीन के खतरों से जागरूक करने की जरूरत है. भारत के लोगों का भी दायित्व है कि नेपाल के इस नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मधेश की जनता के साथ मिल कर संघर्ष करें.

भारत की चूक का खामियाजा!
मिथिला विकास संघ के महासचिव मो. सगीर नज़्म ने कहा कि भारत सरकार से नेपाल के मामलों में कुछ चूक हुई है, जिसका खामियाजा आज भुगतना पड़ रहा है. नेपाल में जब 90 के दशक में सत्ता परिवर्तन हो रहा था तब भारत ने प्रभावी कूटनीतिक कदम नहीं उठाए, जिससे नेपाल चीन की तरफ चला गया. उन्होंने कहा कि नेपाल में सही तरीके से इंटेलिजेंस ग्रुप खड़ा करना होगा. नेपाल की सरकार पर कूटनीतिक दबाव डालना होगा कि अगर इस नागरिकता संशोधन कानून को अमली जामा पहनाया गया तो हम नेपाली मिथिला के इलाके को वापस लेने की मांग करेंगे.

छिन जाएगा लाखों नेपालियों का रोजगार!
मिथिला विकास संघ के संरक्षक सुजीत कुमार आचार्य ने कहा कि चीन के वित्तपोषित नेपाल की सरकार और वहां के राजनेता आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. अगर दोनों देशों के संबंध बिगड़ते हैं तो नेपाल के लाखों लोग जो भारत में रोजगार पा रहे हैं उनके साथ रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह नेपाल पर दबाव डालकर इस भेदभावपूर्ण नागरिकता संशोधन कानून को बनाने से रोकें.

देखें वीडियो

भारतीय जमीन पर नेपाल ठोका दावा
बता दें कि भारत नेपाल के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद गहराया हुआ है. इसमें सबसे अहम नक्शा विवाद है, जिसमें नेपाल ने भारत के लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा बताया है. नेपाल की कैबिनेट ने एक लैंडमार्क फैसले में नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. दरअसल, लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया.

इंडिया कर रहा इनकार
नेपाल की कैबिनेट ने इसे अपना जायज दावा करार देते हुए कहा कि महाकाली यानी कि शारदा नदी का स्रोत लिम्पियाधुरा है जो फिलहाल भारत के उत्तराखंड का हिस्सा है. वहीं, भारत इससे इनकार करता रहा है. नेपाल की कैबिनेट का फैसला भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क के उद्धाटन के दस दिनों बाद आया है. लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया था.

लंबे समय से भारतीय हिस्से पर नेपाल की नजर
दरअसल छह महीने पहले भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दिखाया गया था. इस मैप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया गया था. नेपाल इन इलाकों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है.

बिहार पर पड़ रहा असर
दोनों सरकारों की तरफ से उठाए गए इन कदमों का असर बिहार पर भी पड़ा है. बिहार से लगी नेपाल की सीमा पर स्थानीय लोगों से विवाद देखा गया, जिसमें बिहार के स्थानीय की मौत भी हो गई थी और चार लोग घायल हो गए थे.

दरभंगा: भारत और नेपाल के रिश्तों को उल्लेखित करने के लिए 'रोटी-बेटी के रिश्ते' की कहावत मशहूर है. यह दोनों देशों के बीच यह संबंध सदियों से चला आ रहा है. खासतौर पर मिथिला में, जहां रामायण काल से सीता और राम के विवाह से अब तक ये रिश्ता चला आ रहा है. दोनों देशों की बेटियां एक-दूसरे के देशों में ब्याही जाती रही हैं. ब्याह के साथ ही अब तक उन्हें खुद ही दोहरी नागरिकता मिलती रही है.

बातचीत करने पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता
बातचीत करने पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

चीन की कठपुतली बनी नेपाल सरकार
लेकिन चीन के हाथों की कठपुतली बनी नेपाल सरकार ने अब भारत के साथ सदियों से चले आ रहे इस संबंध को एक बड़ा झटका दे दिया है. नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक ऐसे कानून को मंजूरी दी है जिसके तहत अब भारत से नेपाल में शादी कर गईं बेटियों को वहां की नागरिकता के लिए 7 साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा. साथ ही नेपाल की नागरिकता उन्हें तब मिलेगी जब वे भारत की नागरिकता छोड़ने का प्रमाण पत्र दाखिल करेंगी.

इस फैसले के बाद बिहार के मिथिलांचल में नेपाल सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है. मिथिलांचल के इतिहास में शायद ये पहला मौका है जब लोगों ने नेपाल की सरकार के खिलाफ बड़े गुस्से के साथ विरोध शुरू कर दिया है. ईटीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने दरभंगा के लोगों से बात कर इस आक्रोश को समझने की कोशिश की.

नेपाल के खिलाफ नारेबाजी करते लोग
नेपाल के खिलाफ नारेबाजी करते लोग

'धधक चुकी है बड़े आंदोलन की चिंगारी'
मिथिला विकास संघ के अध्यक्ष विप्लव कुमार चौधरी ने ईटीवी भारत से कहा कि नेपाल के साथ हमारा सदियों से बेटी-रोटी का अटूट संबंध रहा है. राजा राम अयोध्या के थे जिनका मिथिला की बेटी कही जाने वाली सीता से विवाह हुआ था. आज भी दरभंगा और समूचे मिथिलांचल में बहुत से लड़के-लड़कियों की शादी नेपाल में होती है. लेकिन, अब चीन की शह पर नेपाल की ओली सरकार भारत से सारे रिश्ते तोड़ना चाहती है. विप्लव कुमार चौधरी ने कहा कि नेपाल सरकार के इस फैसले के खिलाफ दोनों देशों के मिथिला संस्कृति से जुड़े लोग एकजुट हैं. इसके खिलाफ बड़े आंदोलन की चिंगारी धधक चुकी है.

प्रो. चंदशेखर झा
प्रो. चंदशेखर झा

'भारत के धर्म और संस्कृति पर चोट'
वहीं, मैथिली लोक संस्कृति मंच के प्रो. उदय शंकर मिश्र ने कहा कि नेपाल की सरकार चाहे जो करे लेकिन दोनों देशों के मिथिला की जनता के संबंध आज भी बहुत मधुर हैं. उन्होंने कहा कि रामायण काल में सीता-राम के विवाह का उदाहरण है तो महाभारत काल में राजा विराट की पुत्री का अभिमन्यु से विवाह का उदाहरण मिलता है. उन्होंने कहा कि चीन की शह पर नेपाल की विधर्मी कम्युनिस्ट सरकार हमारे धर्म और संस्कृति पर चोट कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

सुजीत आचार्य से बातचीत
सुजीत आचार्य से बातचीत

'मिथिला वापस करे नेपाल'
विद्यापति सेवा संस्थान के मीडिया प्रभारी प्रो. चंद्रशेखर झा 'बूढ़ा भाई' ने कहा कि उनकी बहू खुद जनकपुर की है. उनके परिवार का नेपाल से बहुत गहरा पुराना नाता रहा है. सुख-दुख में सभी एक दूसरे के साथ होते हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल की सरकार इन संबंधों पर कितनी भी चोट पहुंचा ले, इन्हें तोड़ना संभव नहीं होगा. अगर नेपाल को इतनी ही दिक्कत है तो हमारे मिथिला का इलाका भारत को वापस सौंप दे. क्योंकि सुगौली संधि की 200 साल की मियाद अब पूरी हो चुकी है. हम मिथिला के लोग एक संस्कृति के अलावा एक भूगोल के तहत रहना चाहते हैं.

संवाददाता से बात करते प्रो. उदय शंकर मिश्र
संवाददाता से बात करते प्रो. उदय शंकर मिश्र

'नेपाली जनता को चीनी खतरे को समझने की जरूरत'
वहीं दूसरी तरफ मिथिला लेखक मंच के संयोजक चंद्रेश ने कहा कि इस विपरीत परिस्थिति में भी भारत सरकार को नेपाल से अटूट संबंधों को बनाए रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेपाल की जनता को चीन के खतरों से जागरूक करने की जरूरत है. भारत के लोगों का भी दायित्व है कि नेपाल के इस नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मधेश की जनता के साथ मिल कर संघर्ष करें.

भारत की चूक का खामियाजा!
मिथिला विकास संघ के महासचिव मो. सगीर नज़्म ने कहा कि भारत सरकार से नेपाल के मामलों में कुछ चूक हुई है, जिसका खामियाजा आज भुगतना पड़ रहा है. नेपाल में जब 90 के दशक में सत्ता परिवर्तन हो रहा था तब भारत ने प्रभावी कूटनीतिक कदम नहीं उठाए, जिससे नेपाल चीन की तरफ चला गया. उन्होंने कहा कि नेपाल में सही तरीके से इंटेलिजेंस ग्रुप खड़ा करना होगा. नेपाल की सरकार पर कूटनीतिक दबाव डालना होगा कि अगर इस नागरिकता संशोधन कानून को अमली जामा पहनाया गया तो हम नेपाली मिथिला के इलाके को वापस लेने की मांग करेंगे.

छिन जाएगा लाखों नेपालियों का रोजगार!
मिथिला विकास संघ के संरक्षक सुजीत कुमार आचार्य ने कहा कि चीन के वित्तपोषित नेपाल की सरकार और वहां के राजनेता आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. अगर दोनों देशों के संबंध बिगड़ते हैं तो नेपाल के लाखों लोग जो भारत में रोजगार पा रहे हैं उनके साथ रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह नेपाल पर दबाव डालकर इस भेदभावपूर्ण नागरिकता संशोधन कानून को बनाने से रोकें.

देखें वीडियो

भारतीय जमीन पर नेपाल ठोका दावा
बता दें कि भारत नेपाल के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद गहराया हुआ है. इसमें सबसे अहम नक्शा विवाद है, जिसमें नेपाल ने भारत के लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा बताया है. नेपाल की कैबिनेट ने एक लैंडमार्क फैसले में नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. दरअसल, लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया.

इंडिया कर रहा इनकार
नेपाल की कैबिनेट ने इसे अपना जायज दावा करार देते हुए कहा कि महाकाली यानी कि शारदा नदी का स्रोत लिम्पियाधुरा है जो फिलहाल भारत के उत्तराखंड का हिस्सा है. वहीं, भारत इससे इनकार करता रहा है. नेपाल की कैबिनेट का फैसला भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क के उद्धाटन के दस दिनों बाद आया है. लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया था.

लंबे समय से भारतीय हिस्से पर नेपाल की नजर
दरअसल छह महीने पहले भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दिखाया गया था. इस मैप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया गया था. नेपाल इन इलाकों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है.

बिहार पर पड़ रहा असर
दोनों सरकारों की तरफ से उठाए गए इन कदमों का असर बिहार पर भी पड़ा है. बिहार से लगी नेपाल की सीमा पर स्थानीय लोगों से विवाद देखा गया, जिसमें बिहार के स्थानीय की मौत भी हो गई थी और चार लोग घायल हो गए थे.

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