दरभंगा: कहते हैं कि अगर भगवान के प्रति मन में सच्ची श्रद्धा हो तो चाहे लाख बाधा आए लेकिन भक्त की इच्छा भगवान जरूर पूरी करते हैं. ऐसा ही कुछ कोरोना महामारी के इस लॉक डाउन में देखने को मिला जब कई दशकों से दरभंगा से देवघर के बैद्यनाथ धाम तक भादो कर गणेश चतुर्थी से आरंभ होने वाली कांवर यात्रा इस बार नहीं हो सकी. लेकिन भक्तों का उत्साह ऐसा था कि आखिरकार उनकी इच्छा भगवान ने ऑनलाइन पूरी कर दी. देवघर मंदिर के पुजारी बिजली पंडा ने ऑनलाइन श्रद्धालुओं की पूजा करवाई.
गौतम कुंड से कांवर यात्रा शुरू
दरअसल सिंहवाड़ा प्रखंड के मधपुर और केवटी प्रखंड के पिंडारुच समेत कई गांवों के लोग लॉक डाउन की वजह से जब वर्षों से चली आ रही पारंपरिक कांवर यात्रा लेकर देवघर के बैद्यनाथधाम नहीं जा सके, तो कांवरियों ने भोलेनाथ और माता पार्वती के जलाभिषेक का अनूठा तरीका ढूंढ लिया. श्रद्धालुओं ने रामायण सर्किट में शामिल दरभंगा के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गौतम कुंड से जल उठा कर कांवर यात्रा शुरू की.
वीडियो कॉलिंग माध्यम से ऑनलाइन संकल्प
कांवरिए विश्व प्रसिद्ध अहिल्या स्थान होते हुए पैदल चल कर 5 दिनों में मधपुर के मुनेश्वर स्थान मंदिर पहुंचे और वहां भगवान शिव और माता पार्वती का जलाभिषेक किया. सभी कांवरियों को देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पुजारी बिजली पंडा ने वीडियो कॉलिंग के माध्यम से ऑनलाइन संकल्प करवाया और पूजा करवाई. श्रद्धालुओं ने पुजारी को दक्षिणा भी ऑनलाइन ही समर्पित किया. इस श्रद्धा-भक्ति और पूजा की चर्चा पूरे जिले में हो रही है.
संपन्न हो रही ऑनलाइन पूजा
श्रद्धालु रामेश्वर झा ने बताया कि वे करीब 30 साल से अपने गांव के कांवरियों के जत्थे के साथ चौरचन के अगले दिन देवघर के लिए कांवर लेकर चलते थे. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के लॉक डाउन की वजह से ये कांवर यात्रा नहीं हो सकी. इसलिए उनलोगों ने गौतम कुंड से जल उठाकर 5 दिनों की कांवर यात्रा शुरू की. उन्होंने मधपुर के शिवालय में जलाभिषेक किया. सबसे बड़ी बात ये रही कि देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर से वहां के पुजारी ने उनकी ऑनलाइन पूजा करवाई. इससे उन्हें बेहद संतुष्टि मिली है.
वहीं, एक अन्य श्रद्धालु चंचल झा ने कहा कि इस कांवर यात्रा में बड़ी संख्या में आसपास के कई गांवों के लोग शामिल हुए और उन्होंने मधपुर के मुनेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक के समय बना बैद्यनाथ के मंदिर से वहां के पुजारी के माध्यम से ऑनलाइन पूजा की.