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DMCH में नर्सों की कमी के कारण मरीजों से रोज होते हैं झगड़े, समय पर नहीं मिल पाती दवाएं - Hospital Superintendent Dr. Raj Ranjan Prasad

अस्पताल में मौजूद एक मरीज के परिजन ने बताया कि समस्या यह है कि 12 बजे के बाद कोई सिस्टर हम लोगों की बात सुनती ही नहीं. मरीजों को दवा भी समय पर नहीं मिलती.

डीएमसीएच
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Published : Aug 30, 2019, 10:53 AM IST

दरभंगाः उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में नर्सों की कमी की वजह से मरीज परेशान हैं. यहां काम करने वाली नर्सों को भी अपनी समस्याओं को लेकर फजीहत झेलनी पड़ती है. वार्ड में मरीजों की संख्या में इजाफा होने पर उन्हें सुबह की दवा और इंजेक्शन देते-देते दोपहर हो जाती है. जिसके चलते जिस अनुपात में मरीज को दवा चलनी चाहिए, वो नहीं चल पाती है. नर्सों की कमी की वजह से यहां आए दिन झगड़े भी हो जाते हैं. ये वजह मरीज और प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

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अस्पताल में मरीज

हॉस्पिटल में बनी रहती है तनाव की स्थिति
दरअसल डीएमसीएच के विभिन्न विभागों में रोजाना 700 मरीज होते हैं. डीएमसीएच में उपलब्ध 310 नर्सों की ड्यूटी तीन शिफ्ट में बांटी जाती है. इनमें से कई नर्स अवकाश पर भी रहती हैं. इससे अंदाज लगाया जा सकते है कि उत्तर बिहार के सबसे बड़े हॉस्पिटल की क्या स्थिति है. आउटडोर इमरजेंसी समेत अस्पताल के सभी विभागों में मरीजों की संख्या में रोजाना बढ़ोतरी होती है. नर्सों की कमी के कारण मरीजों को समय पर दवा नहीं मिलने से अक्सर हॉस्पिटल में तनाव की स्थिति बनी रहती है.

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मरीज को देख रही नर्स

डीएमसीएच में 310 नर्स ही हैं कार्यरत
गौरतलब है कि दरभंगा डीएमसीएच में 1079 नर्स के पद स्वीकृत है. जिसमें मात्र 310 नर्स ही कार्यरत हैं. वहीं, दूसरी तरफ डीएमसीएच में ए ग्रेड नर्स के 961 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 655 पद लंबे समय से खाली पड़े हैं. ऐसी स्थिति के बाद भी नर्सों की बहाली नहीं की जा रही है. आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में 800 सौ जीएनएम नर्सो की संविदा पर बहाली के लिए वॉक इंटरव्यू लिया गया था. लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते अभी तक उसका रिजल्ट ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.

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मरीज के साथ नर्स

'12 बजे के बाद कोई सिस्टर नहीं सुनती'
वहीं, अपनी पत्नी का इलाज करवा रहे पंकज कुमार झा ने कहा कि समस्या यह है कि 12 बजे के बाद कोई सिस्टर हमलोगों की बात सुनती ही नहीं है. पानी खत्म होने के बाद 20 बार उनको जाकर कहना पड़ता है. बुलाने पर कहते हैं कि 10 मिनट में आते हैं, लेकिन आते हैं आधे घंटे के बाद. पंकज ने बताया कि जिनकी दवाई तीन समय चलती है, उनको दवाई दो टाइम ही मिलती है. मेरा ये कहना है कि यहां ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कम से कम मरीज को दवा सही समय पर मिल सके.

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अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज

नहीं हो पाती मरीजों की ठीक से देखभाल
इस संबंध में ड्यूटी पर तैनात एक नर्स ने कहा कि परेशानी यह है कि यहां मरीजों की संख्या बहुत है. स्टाफ की संख्या कम है. जिसके चलते हमलोग चाह कर भी काम पूरा नहीं कर सकते हैं. यहां पर डेढ़ सौ से लेकर दो सौ मरीज रहते हैं. लेकिन स्टाफ हैं दो या तीन कैसे हो पाएगा. हम लोग पूरा काम नहीं कर पाते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण यहां आए दिन बहस होती रहती है.

अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज बयान देते परिजन, नर्स और अधीक्षक

सृजित पद से एक तिहाई कम हैं नर्सेज
इस संबंध में जब अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां जो नर्सेज की स्थिति है, वह बहुत ही बदतर है. यहां 1079 पद सृजित हैं. लेकिन हमारे यहां कार्यरत सिर्फ 310 हैं. जिसमें से कुछ अनुबंध पर काम करने वाली नर्सेज भी हैं. ऐसी स्थिति में आप समझ लीजिए कि एक तिहाई से भी कम हैं. इसके बावजूद भी मरीजों को बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कमी की वजह से कभी-कभार काफी परेशानी भी झेलनी पड़ती है.

दरभंगाः उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में नर्सों की कमी की वजह से मरीज परेशान हैं. यहां काम करने वाली नर्सों को भी अपनी समस्याओं को लेकर फजीहत झेलनी पड़ती है. वार्ड में मरीजों की संख्या में इजाफा होने पर उन्हें सुबह की दवा और इंजेक्शन देते-देते दोपहर हो जाती है. जिसके चलते जिस अनुपात में मरीज को दवा चलनी चाहिए, वो नहीं चल पाती है. नर्सों की कमी की वजह से यहां आए दिन झगड़े भी हो जाते हैं. ये वजह मरीज और प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

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अस्पताल में मरीज

हॉस्पिटल में बनी रहती है तनाव की स्थिति
दरअसल डीएमसीएच के विभिन्न विभागों में रोजाना 700 मरीज होते हैं. डीएमसीएच में उपलब्ध 310 नर्सों की ड्यूटी तीन शिफ्ट में बांटी जाती है. इनमें से कई नर्स अवकाश पर भी रहती हैं. इससे अंदाज लगाया जा सकते है कि उत्तर बिहार के सबसे बड़े हॉस्पिटल की क्या स्थिति है. आउटडोर इमरजेंसी समेत अस्पताल के सभी विभागों में मरीजों की संख्या में रोजाना बढ़ोतरी होती है. नर्सों की कमी के कारण मरीजों को समय पर दवा नहीं मिलने से अक्सर हॉस्पिटल में तनाव की स्थिति बनी रहती है.

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मरीज को देख रही नर्स

डीएमसीएच में 310 नर्स ही हैं कार्यरत
गौरतलब है कि दरभंगा डीएमसीएच में 1079 नर्स के पद स्वीकृत है. जिसमें मात्र 310 नर्स ही कार्यरत हैं. वहीं, दूसरी तरफ डीएमसीएच में ए ग्रेड नर्स के 961 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 655 पद लंबे समय से खाली पड़े हैं. ऐसी स्थिति के बाद भी नर्सों की बहाली नहीं की जा रही है. आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में 800 सौ जीएनएम नर्सो की संविदा पर बहाली के लिए वॉक इंटरव्यू लिया गया था. लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते अभी तक उसका रिजल्ट ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.

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मरीज के साथ नर्स

'12 बजे के बाद कोई सिस्टर नहीं सुनती'
वहीं, अपनी पत्नी का इलाज करवा रहे पंकज कुमार झा ने कहा कि समस्या यह है कि 12 बजे के बाद कोई सिस्टर हमलोगों की बात सुनती ही नहीं है. पानी खत्म होने के बाद 20 बार उनको जाकर कहना पड़ता है. बुलाने पर कहते हैं कि 10 मिनट में आते हैं, लेकिन आते हैं आधे घंटे के बाद. पंकज ने बताया कि जिनकी दवाई तीन समय चलती है, उनको दवाई दो टाइम ही मिलती है. मेरा ये कहना है कि यहां ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कम से कम मरीज को दवा सही समय पर मिल सके.

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अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज

नहीं हो पाती मरीजों की ठीक से देखभाल
इस संबंध में ड्यूटी पर तैनात एक नर्स ने कहा कि परेशानी यह है कि यहां मरीजों की संख्या बहुत है. स्टाफ की संख्या कम है. जिसके चलते हमलोग चाह कर भी काम पूरा नहीं कर सकते हैं. यहां पर डेढ़ सौ से लेकर दो सौ मरीज रहते हैं. लेकिन स्टाफ हैं दो या तीन कैसे हो पाएगा. हम लोग पूरा काम नहीं कर पाते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण यहां आए दिन बहस होती रहती है.

अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज बयान देते परिजन, नर्स और अधीक्षक

सृजित पद से एक तिहाई कम हैं नर्सेज
इस संबंध में जब अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां जो नर्सेज की स्थिति है, वह बहुत ही बदतर है. यहां 1079 पद सृजित हैं. लेकिन हमारे यहां कार्यरत सिर्फ 310 हैं. जिसमें से कुछ अनुबंध पर काम करने वाली नर्सेज भी हैं. ऐसी स्थिति में आप समझ लीजिए कि एक तिहाई से भी कम हैं. इसके बावजूद भी मरीजों को बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कमी की वजह से कभी-कभार काफी परेशानी भी झेलनी पड़ती है.

Intro:उत्तर बिहार के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान डीएमसीएच में नर्सों की कमी की वजह से ना सिर्फ मरीजों को परेशानी हो रही है। बल्कि यहां पर काम करने वाले नर्सों को भी अपनी समस्याओं को लेकर फजीहत झेलनी पड़ती है। अक्सर देखा जाता है कि वार्ड में मरीजों की संख्या में इजाफा होने पर, उन्हें सुबह की दवा और इंजेक्शन देने में दोपहर गुजर जाता है। जिसके चलते जिस अनुपात में मरीज को दवा चलनी चाहिए, वो नही चल पाती है। गौरतलब है कि दरभंगा डीएमसीएच में 1079 नर्स के पद स्वीकृत हैं, जिसमें मात्र 310 नर्स ही कार्यरत है। वहीं दूसरी ओर डीएमसीएच में ए ग्रेड नर्स के 961 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 655 पद भी लंबे समय से खाली पड़े हैं। नर्सों की घोर कमी लंबे समय से मरीज व प्रशासन के लिए परेशानी की सबब बनी हुई है।


Body:दरअसल डीएमसीएच के विभिन्न बिग़प्प विभागों में अमूमन रोजाना 700 मरीज इलाज रहते हैं। डीएमसीएच में उपलब्ध 310 नर्सों की ड्यूटी तीन पालियो में बांटी जाती है। इनमें से कई नर्स अवकाश पर भी रहती हैं। इससे अंदाज लगा सकते हैं कि उत्तर बिहार के सबसे बड़े हॉस्पिटल की क्या स्थिति है। आउटडोर इमरजेंसी सहित अस्पताल के सभी विभागों के वार्डो में मरीजों की संख्या में रोजाना बढ़ोतरी होती रहती है। नर्सों की कमी के कारण समय पर दवा नहीं मिलने के कारण अक्सर हॉस्पिटल में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति के बाद ही नर्सों की बहाली नहीं की जा रही है। आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में 800 सौ जीएनएम नर्सो की संविदा पर बहाली के लिए वॉक इंटरव्यू लिया गया था। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते अभी तक साक्षात्कार का रिजल्ट ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।

वही अपनी पत्नी का इलाज करवा रहे पंकज कुमार झा ने कहा कि समस्या यह है कि 12 बजे के बाद कोई सिस्टर हमलोगों की बात सुनती ही नहीं है। पानी खत्म होने के बाद 20 बार उनको जाकर कहो, तब सुनेंगे, बुलाने पर कहते हैं कि 10 मिनट में आते हैं लेकिन आते हैं आधे घंटे के बाद। साथ ही उन्होंने कहा की जिनकी दवाई तीन समय चलता है, इसके कारण उनको दवाई दो टाइम ही मिलती है। मेरा यही कहना है कि यहां ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कम से कम मरीज को दवा सही समय पर मिल सके।


Conclusion:वही ड्यूटी पर तैनात नर्स ने मंटू कुमारी ने कहा कि परेशानी यह है कि यहां मरीजों की संख्या बहुत है और स्टाफ की संख्या कम है। जिसके चलते हमलोग चाह कर भी काम पूरा नहीं कर सकते हैं। यहां पर डेड सौ से लेकर दो सौ मरीज रहते हैं। लेकिन स्टाफ है दो या तीन कैसे हो पाएगा। हम लोग चाह कर भी पूरा काम नहीं कर पाते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण हमलोगों को रोजाना लड़ाई होता रहता है।

वही इस संबंध में जब हमने अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां जो नर्सेज की स्थिति है, वह बहुत ही बदतर है। हमारे यहां 1079 पद सृजित है। लेकिन हमारे यहां कार्यरत बल सिर्फ 310 है, जिसमें से कुछ अनुबंध पर काम करने वाली नर्सेज भी है। ऐसी स्थिति में आप समझ लीजिए कि एक तिहाई से भी कम है। इसके बावजूद भी जितना बढ़िया काम हो सकता है। उन्हीं के माध्यम से मरीजों को बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। वही उन्होंने कहा की कमी की वजह से कभी-कभार परेशानी भी झेलनी पड़ती है।

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पंकज कुमार झा, परिजन
मंटु कुमारी, नर्स
डॉ राज रंजन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक
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