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पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्र की टीम ने निकाला अल्जाइमर का तोड़, WHO ने किया पंजीकृत

अल्जाइमर एक बेहद खतरनाक बीमारी है. इसमें आदमी की स्मृति खत्म हो जाती है. भारत में अल्जाइमर के करीब 40 लाख मरीज हैं.

मोहन मिश्र, डॉक्टर
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Published : Jun 16, 2019, 8:17 PM IST

दरभंगा: डॉ. मोहन मिश्र के नेतृत्व में तीन डॉक्टरों की टीम ने खतरनाक बीमारी अल्जाइमर का तोड़ निकाला है. उनके इस खोज से संबंधित आलेख को लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स के जर्नल में प्रकाशित की गई है. साथ ही इस शोध को डब्ल्यूएचओ ने प्राथमिक रजिस्ट्री में पंजीकृत किया है.

अल्जाइमर रोगियों पर कर चुके हैं शोध
इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. मोहन मिश्र ने बताया कि दुनिया में अब तक अल्जाइमर की कोई कारगर एलोपैथिक दवा नहीं है. इसकी जांच के लिये भी कोई तकनीक अब तक नहीं बनी है. ऐसे में भारतीय जड़ी-बूटी ब्राह्मी पर उनकी इस खोज से रोगियों को बहुत लाभ होगा. उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने ब्राह्मी बूटी से 12 अल्जाइमर रोगियों पर ये शोध किया है. सभी रोगियों में सांख्यिकीय सुधार दिखा है.

darbhanga
डिमेंशिया के उपचार

WHO ने किया पंजीकृत
अपने शोध के आलेख को उन्होंने लंदन में भी प्रस्तुत किया था. इसके बाद इसे डब्ल्यूएचओ ने पंजीकृत किया. अब उनकी टीम के एक सदस्य डॉ. अजय कुमार मिश्र को दो और तीन सितंबर को रोम में होने वाले यूरो कांग्रेस ऑन डिमेंशिया एंड अल्जाइमर्स डिजीज पर भाषण देने के लिये आमंत्रित किया गया है.

मोहन मिश्र, डॉक्टर

दवा बनाने के लिए करने होंगे कई परीक्षण
डॉ. मिश्र ने बताया कि उनकी शोध को एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में मान्यता और इससे दवा बनाने की अनुमति के लिये कई चरणों के परीक्षण से गुजरना होगा. इसमें इसके लिए संसाधन और पैसों के साथ-साथ समय की भी जरूरत है. इसके लिए उन्होंने सक्षम कंपनियों, संस्थाओं और सरकार से उनकी शोध में शामिल होने की अपील की है.

क्या है अल्जाइमर की बीमारी
बता दें कि अल्जाइमर एक बेहद खतरनाक बीमारी है. इसमें आदमी की स्मृति खत्म हो जाती है. भारत में अल्जाइमर के करीब 40 लाख मरीज हैं. दुनिया भर में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या करीब चार करोड़ है. यह संख्या लगातार बढ़ रही है.

दरभंगा: डॉ. मोहन मिश्र के नेतृत्व में तीन डॉक्टरों की टीम ने खतरनाक बीमारी अल्जाइमर का तोड़ निकाला है. उनके इस खोज से संबंधित आलेख को लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स के जर्नल में प्रकाशित की गई है. साथ ही इस शोध को डब्ल्यूएचओ ने प्राथमिक रजिस्ट्री में पंजीकृत किया है.

अल्जाइमर रोगियों पर कर चुके हैं शोध
इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. मोहन मिश्र ने बताया कि दुनिया में अब तक अल्जाइमर की कोई कारगर एलोपैथिक दवा नहीं है. इसकी जांच के लिये भी कोई तकनीक अब तक नहीं बनी है. ऐसे में भारतीय जड़ी-बूटी ब्राह्मी पर उनकी इस खोज से रोगियों को बहुत लाभ होगा. उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने ब्राह्मी बूटी से 12 अल्जाइमर रोगियों पर ये शोध किया है. सभी रोगियों में सांख्यिकीय सुधार दिखा है.

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डिमेंशिया के उपचार

WHO ने किया पंजीकृत
अपने शोध के आलेख को उन्होंने लंदन में भी प्रस्तुत किया था. इसके बाद इसे डब्ल्यूएचओ ने पंजीकृत किया. अब उनकी टीम के एक सदस्य डॉ. अजय कुमार मिश्र को दो और तीन सितंबर को रोम में होने वाले यूरो कांग्रेस ऑन डिमेंशिया एंड अल्जाइमर्स डिजीज पर भाषण देने के लिये आमंत्रित किया गया है.

मोहन मिश्र, डॉक्टर

दवा बनाने के लिए करने होंगे कई परीक्षण
डॉ. मिश्र ने बताया कि उनकी शोध को एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में मान्यता और इससे दवा बनाने की अनुमति के लिये कई चरणों के परीक्षण से गुजरना होगा. इसमें इसके लिए संसाधन और पैसों के साथ-साथ समय की भी जरूरत है. इसके लिए उन्होंने सक्षम कंपनियों, संस्थाओं और सरकार से उनकी शोध में शामिल होने की अपील की है.

क्या है अल्जाइमर की बीमारी
बता दें कि अल्जाइमर एक बेहद खतरनाक बीमारी है. इसमें आदमी की स्मृति खत्म हो जाती है. भारत में अल्जाइमर के करीब 40 लाख मरीज हैं. दुनिया भर में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या करीब चार करोड़ है. यह संख्या लगातार बढ़ रही है.

Intro:दरभंगा। काला अज़ार की कारगर दवा ढूंढने वाले देश के जाने-माने चिकित्सक दरभंगा के पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्र के नेतृत्व में तीन चिकित्सकों की टीम ने दुनिया की ख़तरनाक बीमारी डिमेंशिया (अल्ज़ाइमर) की प्रभावी एलोपैथिक दवा की खोज का दावा किया है। उनकी इस खोज से संबंधित आलेख को लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स के फ्यूचर हेल्थ केअर जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस शोध को डब्ल्यूएचओ ने प्राथमिक रजिस्ट्री में पंजीकृत किया है। उनकी टीम के डॉ. अजय कुमार मिश्र को सितंबर में रोम में होने वाले सम्मेलन में इस शोध को रखने के लिये आमंत्रित किया गया है।


Body:डॉ. मोहन मिश्र ने बताया कि अल्ज़ाइमर की दुनिया में अब तक कोई कारगर एलोपैथिक दवा नहीं है। इसकी जांच के लिये भी कोई तकनीक अब तक नहीं बनी है। बस रोगी से बातचीत कर ही इसकी पहचान होती है। ऐसे में भारतीय जड़ी-बूटी ब्राह्मी पर उनकी इस खोज से रोगियों को बहुत लाभ होगा।

उन्होंने बताया कि उनके साथ इस खोज में डॉ. अजय कुमार मिश्र और डॉ. उद्भट मिश्र ने सहयोग किया है। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने ब्राह्मी बूटी से 12 अल्ज़ाइमर रोगियों पर ये शोध किया है। सभी रोगियों में सांख्यिकीय सुधार दिखा। उन्होंने अपने शोध आलेख को लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन के इनोवेशन इन मेडिसिन सम्मेलन में 25-26 जून 2018 को प्रस्तुत किया था। इसे बाद इसे डब्ल्यूएचओ ने पंजीकृत किया। अब उनकी टीम के एक सदस्य डॉ. अजय कुमार मिश्र को दो और तीन सितंबर को रोम में होने वाले यूरो कांग्रेस ऑन डिमेंशिया एंड अल्ज़ाइमर्स डिजीज में बोलने के लिये आमंत्रित किया गया है।

डॉ. मिश्र ने कहा कि उनकी शोध को एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में मान्यता और इससे दवा बनाने की अनुमति के लिये कई चरणों के परीक्षण से गुजरना होगा। इसमें बहुत धन, संसाधन और समय की ज़रूरत है। तीन चिकित्सकों की उनकी टीम के लिये बिना आर्थिक और तकनीकी मदद के मुकाम तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। उन्होंने सक्षम कंपनियों, संस्थाओं और सरकार से उनकी शोध में शामिल होने की अपील की।


Conclusion:बता दें कि अल्ज़ाइमर एक बेहद खतरनाक बीमारी है। इसमें आदमी की स्मृति खत्म हो जाती है। भारत में अल्ज़ाइमर के करीब 40 लाख रोगी हैं। दुनिया भर में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या करीब चार करोड़ है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। अगर भारतीय जड़ी-बूटी ब्राह्मी का प्रयोग कर इसकी दवा बनायी जाये तो यह बहुत सस्ती पड़ेगी जो गरीब रोगियों की पहुंच में भी होगी। डॉ. मोहन मिश्र की टीम को उम्मीद है कि उन्हें इस शोध के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।


बाइट 1- पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्र, प्रसिद्ध चिकित्सक


विजय कुमार श्रीवास्तव
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