दरभंगा: सरकार ने डीएमसीएच में भर्ती मरीजों को खयाल में रखते हुए लाखों रुपये खर्च कर यहां मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री स्थापित करवाई है. ताकि अस्पताल में इलाजरत मरीजों को साफ-सुथरे कपड़े मिल सके. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और उचित देखभाल के अभाव में यहां के लॉन्ड्री में लगी अधिकतर मशीनें खराब हो गई हैं. जिसके कारण वर्तमान में इस लॉन्ड्री के धुले कपड़ों को खुले आसमान के नीचे और पशुओं के मल-मूत्र वाली जगहों पर सुखाया जा रहा है. जहां अनेक तरह की बैक्टीरिया और गंदगी पहले से ही मौजूद है.
ये कपड़े सर्जरी के मरीज और नवजातों के लिए खतरनाक
इसके अलावा यहां से दर्जनों वाहनों की आवाजाही होती है. जिसकी वजह से ओटी और इंडोर के सारे कपड़े गंदे धूल से भर जाते हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. दरअसल अस्पताल की लॉन्ड्री में 6 मशीनें हैं. इनमें से चार मशीनें महीनों से खराब पड़ी है. कपड़ा धोने की दो मशीनें काम कर रही हैं. लेकिन कपड़े निचोड़ने और उन्हें सुखाने वाली मशीनों के साथ ही कई मशीन महीनों से खराब पड़ी है. जिसकी वजह से कपड़ों को बाहर रस्सी, गंदी जगह सहित जलकुंभियों के ऊपर सुखाते हैं. जिस तरह से यहां कपड़े को सुखाया जाता है, यह कपड़ा सर्जरी के मरीज और नवजात बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है.
साफ-सफाई पर सालाना 25 से 30 लाख रुपये का खर्च
बता दें कि डीएमसीएच में कपड़े की साफ सफाई पर सालाना 25 से 30 लाख रुपये खर्च होता है. इसके बावजूद खुले में सूखते कपड़े सीधे यहां के मरीजों को कई अन्य बीमारियों का न्योता दे रहा है. वहीं, दूसरी तरफ लॉन्ड्री की अधिकतर मशीनें खराब रहने की वजह से डीएमसीएच में मरीजों को बेड पर रोजाना साफ-सुथरी चादरें उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की सतरंगी चादर योजना की हवा निकल गई है.
क्या कहते हैं कर्मी
वहीं, लॉन्ड्री के एक कर्मी ने बताया कि परेशानी यह हो रही है कि यहां की 6 मशीनों में से 4 मशीन खराब है. दो मशीन पर काम चल रहा है, वो भी राम भरोसे. शिकायत करने पर साहेब बोलते हैं कि आज कल में ठीक हो जाएगा और पिछले 2 साल से यही हाल है. जिसके कारण हमलोग मजबूरी में खुले आसमान के नीचे कपड़े सुखाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टर कहते हैं कि इस तरह सुखाने में इन्फेक्शन होगा. लेकिन हम लोग क्या करें, कोई व्यवस्था ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मशीन के अभाव में हम लोग समय पर कपड़ा भी वार्ड में नहीं दे पाते हैं. जिसकी वजह से कभी-कभी हम लोगों को डांट भी सुननी पड़ती है और मरीजों को भी बिना चादर के बेड पर रहना पड़ता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले पर जब अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की लॉन्ड्री को बेहतर ढंग से चलाने के लिए हमलोगों ने इसका टेंडर लिया है. लेकिन डायरेक्टर इन चीफ के यहां से फिलहाल इसे स्थगित करने का निर्देश आया है. जैसे ही इस संबंध में निविदा खोलने का निर्देश मिलेगा, वैसे ही निविदा खोल दी जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि जो मशीन अभी खराब है, उससे भी ठीक करने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं, सड़क के किनारे और गंदगी के बीच में कपड़े सुखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने वहां पर काम करने वाले को हिदायत दी है कि जब तक मशीन ठीक नहीं हो जाती है, तब तक कपड़े को साफ जगहों पर सुखाने का काम करें.