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DMCH में गंदी जगहों पर सुखाये जाते हैं धुले कपड़े, महीनों से खराब पड़ी हैं लॉन्ड्री की मशीनें

लॉन्ड्री के एक कर्मी ने बताया कि परेशानी यह हो रही है कि यहां की 6 मशीनों में से 4 मशीन खराब है. दो मशीन पर काम चल रहा है, वो भी राम भरोसे. शिकायत करने पर साहेब बोलते हैं कि आज कल में ठीक हो जाएगा और पिछले 2 साल से यही हाल है.

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Published : Aug 11, 2019, 1:33 PM IST

डीएमसीएच का मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री

दरभंगा: सरकार ने डीएमसीएच में भर्ती मरीजों को खयाल में रखते हुए लाखों रुपये खर्च कर यहां मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री स्थापित करवाई है. ताकि अस्पताल में इलाजरत मरीजों को साफ-सुथरे कपड़े मिल सके. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और उचित देखभाल के अभाव में यहां के लॉन्ड्री में लगी अधिकतर मशीनें खराब हो गई हैं. जिसके कारण वर्तमान में इस लॉन्ड्री के धुले कपड़ों को खुले आसमान के नीचे और पशुओं के मल-मूत्र वाली जगहों पर सुखाया जा रहा है. जहां अनेक तरह की बैक्टीरिया और गंदगी पहले से ही मौजूद है.

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खुले में सूखते कपड़े

ये कपड़े सर्जरी के मरीज और नवजातों के लिए खतरनाक
इसके अलावा यहां से दर्जनों वाहनों की आवाजाही होती है. जिसकी वजह से ओटी और इंडोर के सारे कपड़े गंदे धूल से भर जाते हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. दरअसल अस्पताल की लॉन्ड्री में 6 मशीनें हैं. इनमें से चार मशीनें महीनों से खराब पड़ी है. कपड़ा धोने की दो मशीनें काम कर रही हैं. लेकिन कपड़े निचोड़ने और उन्हें सुखाने वाली मशीनों के साथ ही कई मशीन महीनों से खराब पड़ी है. जिसकी वजह से कपड़ों को बाहर रस्सी, गंदी जगह सहित जलकुंभियों के ऊपर सुखाते हैं. जिस तरह से यहां कपड़े को सुखाया जाता है, यह कपड़ा सर्जरी के मरीज और नवजात बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है.

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कपड़े को बाहर रस्सी पर सुखाते हैं कर्मी

साफ-सफाई पर सालाना 25 से 30 लाख रुपये का खर्च
बता दें कि डीएमसीएच में कपड़े की साफ सफाई पर सालाना 25 से 30 लाख रुपये खर्च होता है. इसके बावजूद खुले में सूखते कपड़े सीधे यहां के मरीजों को कई अन्य बीमारियों का न्योता दे रहा है. वहीं, दूसरी तरफ लॉन्ड्री की अधिकतर मशीनें खराब रहने की वजह से डीएमसीएच में मरीजों को बेड पर रोजाना साफ-सुथरी चादरें उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की सतरंगी चादर योजना की हवा निकल गई है.

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सड़क के किनारे सुखते कपड़े

क्या कहते हैं कर्मी
वहीं, लॉन्ड्री के एक कर्मी ने बताया कि परेशानी यह हो रही है कि यहां की 6 मशीनों में से 4 मशीन खराब है. दो मशीन पर काम चल रहा है, वो भी राम भरोसे. शिकायत करने पर साहेब बोलते हैं कि आज कल में ठीक हो जाएगा और पिछले 2 साल से यही हाल है. जिसके कारण हमलोग मजबूरी में खुले आसमान के नीचे कपड़े सुखाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टर कहते हैं कि इस तरह सुखाने में इन्फेक्शन होगा. लेकिन हम लोग क्या करें, कोई व्यवस्था ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मशीन के अभाव में हम लोग समय पर कपड़ा भी वार्ड में नहीं दे पाते हैं. जिसकी वजह से कभी-कभी हम लोगों को डांट भी सुननी पड़ती है और मरीजों को भी बिना चादर के बेड पर रहना पड़ता है.

डीएमसीएच के मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री की मशीनें महीनों से खराब है

क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले पर जब अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की लॉन्ड्री को बेहतर ढंग से चलाने के लिए हमलोगों ने इसका टेंडर लिया है. लेकिन डायरेक्टर इन चीफ के यहां से फिलहाल इसे स्थगित करने का निर्देश आया है. जैसे ही इस संबंध में निविदा खोलने का निर्देश मिलेगा, वैसे ही निविदा खोल दी जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि जो मशीन अभी खराब है, उससे भी ठीक करने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं, सड़क के किनारे और गंदगी के बीच में कपड़े सुखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने वहां पर काम करने वाले को हिदायत दी है कि जब तक मशीन ठीक नहीं हो जाती है, तब तक कपड़े को साफ जगहों पर सुखाने का काम करें.

दरभंगा: सरकार ने डीएमसीएच में भर्ती मरीजों को खयाल में रखते हुए लाखों रुपये खर्च कर यहां मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री स्थापित करवाई है. ताकि अस्पताल में इलाजरत मरीजों को साफ-सुथरे कपड़े मिल सके. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और उचित देखभाल के अभाव में यहां के लॉन्ड्री में लगी अधिकतर मशीनें खराब हो गई हैं. जिसके कारण वर्तमान में इस लॉन्ड्री के धुले कपड़ों को खुले आसमान के नीचे और पशुओं के मल-मूत्र वाली जगहों पर सुखाया जा रहा है. जहां अनेक तरह की बैक्टीरिया और गंदगी पहले से ही मौजूद है.

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खुले में सूखते कपड़े

ये कपड़े सर्जरी के मरीज और नवजातों के लिए खतरनाक
इसके अलावा यहां से दर्जनों वाहनों की आवाजाही होती है. जिसकी वजह से ओटी और इंडोर के सारे कपड़े गंदे धूल से भर जाते हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. दरअसल अस्पताल की लॉन्ड्री में 6 मशीनें हैं. इनमें से चार मशीनें महीनों से खराब पड़ी है. कपड़ा धोने की दो मशीनें काम कर रही हैं. लेकिन कपड़े निचोड़ने और उन्हें सुखाने वाली मशीनों के साथ ही कई मशीन महीनों से खराब पड़ी है. जिसकी वजह से कपड़ों को बाहर रस्सी, गंदी जगह सहित जलकुंभियों के ऊपर सुखाते हैं. जिस तरह से यहां कपड़े को सुखाया जाता है, यह कपड़ा सर्जरी के मरीज और नवजात बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है.

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कपड़े को बाहर रस्सी पर सुखाते हैं कर्मी

साफ-सफाई पर सालाना 25 से 30 लाख रुपये का खर्च
बता दें कि डीएमसीएच में कपड़े की साफ सफाई पर सालाना 25 से 30 लाख रुपये खर्च होता है. इसके बावजूद खुले में सूखते कपड़े सीधे यहां के मरीजों को कई अन्य बीमारियों का न्योता दे रहा है. वहीं, दूसरी तरफ लॉन्ड्री की अधिकतर मशीनें खराब रहने की वजह से डीएमसीएच में मरीजों को बेड पर रोजाना साफ-सुथरी चादरें उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की सतरंगी चादर योजना की हवा निकल गई है.

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सड़क के किनारे सुखते कपड़े

क्या कहते हैं कर्मी
वहीं, लॉन्ड्री के एक कर्मी ने बताया कि परेशानी यह हो रही है कि यहां की 6 मशीनों में से 4 मशीन खराब है. दो मशीन पर काम चल रहा है, वो भी राम भरोसे. शिकायत करने पर साहेब बोलते हैं कि आज कल में ठीक हो जाएगा और पिछले 2 साल से यही हाल है. जिसके कारण हमलोग मजबूरी में खुले आसमान के नीचे कपड़े सुखाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टर कहते हैं कि इस तरह सुखाने में इन्फेक्शन होगा. लेकिन हम लोग क्या करें, कोई व्यवस्था ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मशीन के अभाव में हम लोग समय पर कपड़ा भी वार्ड में नहीं दे पाते हैं. जिसकी वजह से कभी-कभी हम लोगों को डांट भी सुननी पड़ती है और मरीजों को भी बिना चादर के बेड पर रहना पड़ता है.

डीएमसीएच के मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री की मशीनें महीनों से खराब है

क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले पर जब अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की लॉन्ड्री को बेहतर ढंग से चलाने के लिए हमलोगों ने इसका टेंडर लिया है. लेकिन डायरेक्टर इन चीफ के यहां से फिलहाल इसे स्थगित करने का निर्देश आया है. जैसे ही इस संबंध में निविदा खोलने का निर्देश मिलेगा, वैसे ही निविदा खोल दी जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि जो मशीन अभी खराब है, उससे भी ठीक करने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं, सड़क के किनारे और गंदगी के बीच में कपड़े सुखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने वहां पर काम करने वाले को हिदायत दी है कि जब तक मशीन ठीक नहीं हो जाती है, तब तक कपड़े को साफ जगहों पर सुखाने का काम करें.

Intro:सरकार ने डीएमसीएच के भर्ती मरीजों को खयाल में रखते हुए लाखों रुपए खर्च कर यहां मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री स्थापित करवाई, ताकि यहां पर इलाजरत मरीजों को साफ-सुथरे कपड़े मिल सके। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही व उचित देखभाल के अभाव में यहां के लॉन्ड्री में लगे अधिकतर मशीनें खराब हो गई है। जिसके कारण वर्तमान में इस लॉन्ड्री के धुले कपड़े को खुले आसमान के नीचे और पशुओं के मल-मूत्र वाली जगहों पर सुखाया जा रहा है। जहां अनेक प्रकार की बैक्टीरिया व गंदगी पहले से ही मौजूद है। इसके अलावा इधर से दर्जनों वाहनों की आवाजाही होती है। जिसके चलते ओटी तथा इंडोर के सारे कपड़े गंदे धूल से भर जाते हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है।


Body:दरअसल अस्पताल की लॉन्ड्री में 6 मशीनें हैं। इनमें से चार मशीनें महीनों से खराब पड़ी है। कपड़ा धोने की दो मशीनें काम कर रही है, पर कपड़े निचोड़ने व उन्हें सुखाने वाली मशीनें के साथ ही कई मशीन महीनों से खराब पड़ी है। जिसके चलते कपड़े को बाहर रस्सी, गंदी जगह सहित जलकुंभीयों के ऊपर सुखाते हैं। जिस तरह से यहां कपड़े को सुखाया जाता है, यह कपड़ा सर्जरी के मरीज तथा नवजात बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

आपको बताते चलू डीएमसीएच में कपड़े की साफ सफाई पर सलाना 25 से 30 लाख रुपया खर्च होता है। इसके बावजूद खुले में सूखते कपड़े सीधे यहां के मरीजो को कई अन्य बीमारीयो का न्योता दे रहा हैं। वही दूसरी तरफ लॉन्ड्री का अधिकतर मशीन खराब रहने के चलते डीएमसीएच में मरीजों को बेड पर रोजाना साफ-सुथरी चादरे उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की सतरंगी चादर योजना की हवा निकल गई है।


Conclusion:वहीं लॉन्ड्री के कर्मी लाल बैठा ने कहा कि परेशानी यह हो रही है कि यहां के 6 मशीन में से 4 मशीन खराब है। दो मशीन पर काम चल रहा है वो भी राम भरोसे। शिकायत करने पर साहेब बोलते हैं कि आज कल में ठीक हो जाएगा और पिछले 2 साल से यही हाल है। जिसके कारण हमलोग मजबूरी में खुले आसमान के नीचे कपड़े सुखाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टर लोग कहते हैं कि इस तरफ से सुखाने में इन्फेक्शन होगा। लेकिन हम लोग क्या करें, कोई व्यवस्था ही नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि मशीन के अभाव में हम लोग समय पर कपड़ा भी वार्ड में नहीं दे पाते हैं। जिसके चलते कभी-कभी हम लोगों को डांट भी सुनना पड़ता है और मरीजों को भी बिना चादर के बेड पर रहना पड़ता है।

इस सिलसिले के जानकारी दी जाने पर अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद ने बताया कि अस्पताल की लॉन्ड्री को बेहतर ढंग से चलाने के लिए हमलोगों ने इसका टेंडर किया है। लेकिन डायरेक्ट इन चिप के यहां से फिलहाल स्थगित करने का निर्देश आया है। जैसे ही इस संबंध में निविदा को खोलने का निर्देश मिलेगा, वैसे ही निविदा को खोल दी जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जो मशीन अभी खराब है उससे भी ठीक करने की प्रक्रिया चल रही है। वहीं सड़क के किनारे व गंदगी के बीच में कपड़े सुखाने के सवाल पर कहा कि हमने वहां पर काम करने वाले को हिदायत दी है कि जब तक मशीन ठीक नहीं हो जाती है तब तक कपड़े को साफ जगहों पर सुखाने का काम करें।

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लाल बैठा, लॉन्ड्री कर्मी
डॉ राज रंजन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक
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