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दरभंगा: प्रख्यात महेश्वरनाथ महादेव मंदिर में पहली सोमवारी को उमड़ी भक्तों की भारी भीड़

सावन की पहली सोमवारी में देशभर के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. शिवालयो में बम-बम भोले के नारों के साथ भक्त बाबा का जलाभिषेक करने में लगे हैं.

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Published : Jul 22, 2019, 2:05 PM IST

शिवलिंग पे जलाभिषेक करते भक्त

दरभंगा: सावन के पहली सोमवारी में देशभर के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. शिवालयों में बम-बम भोले के नारों के साथ लोग जलाभिषेक करने में जुट गए हैं. सावन में भगवान शिव की आराधना का बहुत महत्व होता है. श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान शिव के शिवलिंग को गंगाजल, दूध और दही से अभिषेक करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती हैं.

सावन की सोमवारी के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. ऐसा माना जाता है कि सर्वप्रथम महर्षि परशुराम ने कांवड़ में जल लाकर शिव जी को जल अर्पित किया था. उसी दिन से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जो निरंतर चली आ रही है.

महेश्वरनाथ महादेव मंदिर

महेश्वरनाथ महादेव की मान्यता
दरभंगा राज परिसर स्थित महेश्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है. इनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. ऐसी मान्यता है कि ग्रेनाइट पत्थर के शिवलिंग की अर्चना कर काशी विश्वनाथ के दर्शन जैसे फल प्राप्त होते हैं. यह शिवालय दरभंगा राज की श्मशान भूमि पर बनी हुई है. इसका निर्माण तकरीबन 225 साल पहले महाराज ने इसी परिसर में सबसे पहले करवाया था.

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मिथिलांचल के लोग पहले अंतिम समय में काशी जाते थे. जिसको देखते हुए महाराजा माधव सिंह इस मंदिर का निर्माण इसी बात को ध्यान रखकर करवाया था कि यदि कोई काशी नहीं जा सके तो, उन्हें यहीं उसका फल प्राप्त हो. वहीं लोगों का मानना है कि सावन के इस महीने में अपने मन में किसी प्रकार की मनोकामना लेकर शिवलिंग पर जो जलाभिषेक करते हैं, उनकी मुरादें पूरी होती हैं.

दरभंगा: सावन के पहली सोमवारी में देशभर के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. शिवालयों में बम-बम भोले के नारों के साथ लोग जलाभिषेक करने में जुट गए हैं. सावन में भगवान शिव की आराधना का बहुत महत्व होता है. श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान शिव के शिवलिंग को गंगाजल, दूध और दही से अभिषेक करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती हैं.

सावन की सोमवारी के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. ऐसा माना जाता है कि सर्वप्रथम महर्षि परशुराम ने कांवड़ में जल लाकर शिव जी को जल अर्पित किया था. उसी दिन से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जो निरंतर चली आ रही है.

महेश्वरनाथ महादेव मंदिर

महेश्वरनाथ महादेव की मान्यता
दरभंगा राज परिसर स्थित महेश्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है. इनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. ऐसी मान्यता है कि ग्रेनाइट पत्थर के शिवलिंग की अर्चना कर काशी विश्वनाथ के दर्शन जैसे फल प्राप्त होते हैं. यह शिवालय दरभंगा राज की श्मशान भूमि पर बनी हुई है. इसका निर्माण तकरीबन 225 साल पहले महाराज ने इसी परिसर में सबसे पहले करवाया था.

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मिथिलांचल के लोग पहले अंतिम समय में काशी जाते थे. जिसको देखते हुए महाराजा माधव सिंह इस मंदिर का निर्माण इसी बात को ध्यान रखकर करवाया था कि यदि कोई काशी नहीं जा सके तो, उन्हें यहीं उसका फल प्राप्त हो. वहीं लोगों का मानना है कि सावन के इस महीने में अपने मन में किसी प्रकार की मनोकामना लेकर शिवलिंग पर जो जलाभिषेक करते हैं, उनकी मुरादें पूरी होती हैं.

Intro:सावन के पहले सोमवारी को देश भर के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। शिवालयो में बम बम भोले के नारों के साथ ही लोग जलाभिषेक करने में जुटे हुए हैं। सावन में भगवान शिव की आराधना का श्रेष्ठ माह माना जाता है। श्रद्धालुओ का मानना है कि भगवान शिव के शिवलींग को गंगाजल दूध व दही से अभिषेक करने से मनुष्य को पापों से मुक्त होता है। सावन की सोमवारी के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मान्यता है कि सर्वप्रथम महर्षि परशुराम ने कांवड़ में जल लाकर शिव को जल अर्पित किया था। उसी दिन से शिवलिंग पर जल चढ़ाने से परंपरा शुरू हुई, जो निरंतर चलता आ रहा है।


Body:दरअसल दरभंगा राज परिसर स्थित मधेशस्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है। इनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है। यूं तो सालों भर भक्त यहां आते हैं, पर सावन के पावन अवसर पर भक्ति इनके दरबार में भी हाजिरी लगाना नहीं भूलते हैं। ऐसी मान्यता है कि ग्रेनाइट पत्थर के शिवलिंग की अर्चना कर काशी विश्वनाथ के दर्शन का फल प्राप्त होते हैं। यह शिवालय दरभंगा राज की शमशान भूमि पर बनी हुई है और इसका निर्माण तकरीबन 225 साल पहले महाराज माधव सिंह ने इस परिसर में सबसे पहले करवाया था।


Conclusion:मिथिलांचल के लोग पहले अंतिम समय में काशी जाते थे। जिसको देखते हुए महाराजा माधव सिंह इस मंदिर का निर्माण इस बात को ध्यान रखकर करवाया था कि यदि कोई काशी नहीं जा सके तो, उन्हें यही उसका फल प्राप्त हो। वहीं लोगों का मानना है कि सावन के इस महीने में अपने मन मे किसी प्रकार मनोकामना लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते है, तो उनकी सारी मुरादें पूरी होती है और उनके आशीर्वाद से भवसागर से मुक्ति मिल जाती है।

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राजीव कुमार झा, भक्त
सुखचंद्र झा, पुजारी
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