दरभंगा: जिले में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता के कारण एक कोरोना संदिग्ध मरीज की जान चली गई. इतना ही नहीं प्रशासन ने मरने के बाद भी उस परिवार की खोज-खबर नहीं ली. परिजनों का आरोप है कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद उन्हें प्रशासनिक मदद नहीं मिली. बाद में मंत्री संजय झा की पहल पर प्रशासन हरकत में आया और 24 घंटे बाद शव को दफनाया गया.
मामला हनुमान नगर ब्लॉक के गांव का है. मृतक की पत्नी की मानें तो वह पति और दो बच्चों के साथ दिल्ली में रहती थी. पिछले 2 जून को वह दिल्ली से पति और बच्चों संग गांव लौटी. दिल्ली से लौटने के क्रम में रास्ते में ही उसके पति को बुखार हो गया. गांव आने के बाद वह पति को लेकर सिंहवाड़ा पीएचसी गई. लेकिन, बुखार होने के बावजूद उसे जांच और इलाज के लिे मना कर दिया गया.
नहीं किया गया क्वारंटीन
कोरोना संदिग्ध को क्वारंटीन सेंटर भेजने की बजाए डॉक्टरों ने उसे घर भेज दिया. बाद में 5 जून को उसकी तबियत काफी बिगड़ गई. सही समय पर एंबुलेस की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण कोरोना संदिग्ध की मौत हो गई.
मुखिया ने दी जानकारी
पंचायत के मुखिया राजीव चौधरी ने बताया कि उन्हें जैसे ही कोरोना संदिग्ध व्यक्ति के पंचायत में आने की सूचना मिली तो उन्होंने तुरंत हनुमान नगर पीएचसी प्रभारी और बीडीओ को फोन कर एंबुलेंस भेजने का आग्रह किया. लेकिन, पीएचसी प्रभारी और बीडीओ ने एंबुलेंस भेजने से साफ इनकार कर दिया. मुखिया के अनुसार पीएचसी प्रभारी ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि लॉकडाउन खुलने के बाद उनकी सेवाएं समाप्त हो गई है.
मौत का बाद भी संवेदनहीन बना रहा प्रशासन
मुखिया ने कहा कि कोरोना संदिग्ध की मौत के बाद भी प्रशासन संवेदनहीन बना रहा. वे बार-बार अधिकारियों से गुहार लगाते रहे लेकिन न तो शव की कोरोना जांच हुई और न ही उसे दफनाने की कोई व्यवस्थी की गई. बाद में उन्होंने बिहार सरकार के मंत्री संजय झा से संपर्क किया. मंत्री की पहल के बाद प्रशासन हरकत में आया. गांव में मेडिकल टीम और पुलिस पहुंची. लगभग 24 घंटे बाद शनिवार की रात करीब 9 बजे शव को कब्रिस्तान में दफनाने के लिए ले जाया जा सका.