दरभंगा: जिले के अस्पतालों में प्रसव के लिए आ रही महिलाओं का नॉर्मल डिलिवरी के मुकाबले सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव कराने का चलन बढ़ रहा है. निजी अस्पतालों में तो ये आंकड़ा ज्यादा है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी इसके बढ़ने की प्रवृत्ति देखी जा रही है. उत्तर बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डीएमसीएच में पिछले एक साल का आंकड़ा इसे साबित करता है.
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- साल 2020 में डीएमसीएच में प्रसव के लिए आई 6049 महिलाएं
- 3711 महिलाओं की कराई गई नॉर्मल डिलिवरी
- 2338 महिलाओं की सिजेरियन डिलिवरी
- औसतन प्रति माह 309 नॉर्मल डिलिवरी
- औसतन प्रति माह 194 सिजेरियन डिलिवरी
''सिजेरियन ऑपरेशन से बढ़ते प्रसव के चलन की वजह लोगों में जागरुकता की कमी है. दूसरे अस्पतालों से क्रिटिकल कंडीशन में प्रसूति महिला को डीएमसीएच रेफर किया जाता है, इसलिए यहां इमरजेंसी की हालत में सिजेरियन ऑपेरशन करना पड़ता है''- डॉ. मणिभूषण शर्मा, अधीक्षक, डीएमसीएच
- साल 2021 में जनवरी में 233 महिलाओं की नॉर्मल डिलिवरी
- सिजेरियन से 191 महिलाओं की डिलिवरी
- फरवरी में 264 महिलाओं की नॉर्मल डिलिवरी
- सिजेरियन से 203 महिलाओं की डिलिवरी
''मेरी बहू का ये दूसरा बच्चा है जो डीएमसीएच में सिजेरियन ऑपरेशन से हुआ है. बहू का पहला बच्चा उल्टा था, इसलिए डॉक्टर ने डीएमसीएच में ही सिजेरियन ऑपरेशन किया था. अब दूसरे बच्चे के समय भी डॉक्टर ने सिजेरियन ऑपरेशन करने को कहा है. पहले और दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल नहीं था. नार्मल डिलिवरी में दिक्कत आ रही थी. इसलिए सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चा पैदा हुआ है''- मीना देवी, प्रसूति किरण देवी की सास
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''मेरी बेटी की डिलिवरी में देरी हो रही थी. डॉक्टर ने बताया कि उसके गर्भाशय का पानी भी सूख रहा है. गर्भ में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ रही है. इसलिए उनकी बेटी को डीएमसीएच रेफर कर दिया गया. यहां आकर नॉर्मल डिलिवरी कराने की कोशिश की गई, लेकिन स्थिति खराब होती देख डॉक्टर ने सिजेरियन ऑपेरशन कर दिया''- नीलम कुमारी, प्रसूति खुशबू कुमारी की मां
सरकारी अस्पतालों में बढ़ा आंकड़ा
इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने जब डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. मणिभूषण शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों की तुलना में सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन ऑपेरशन से प्रसव का आंकड़ा आज भी कम है. डीएमसीएच में बड़ी संख्या में वे महिलाएं आती हैं, जिनकी पहले से स्थिति बिगड़ी होती है. इसलिए यहां मजबूरी में सिजेरियन ऑपरेशन करना पड़ता है. इस कारण भी सिजेरियन डिलिवरी की संख्या में वृद्धि होती है.
''आम तौर पर महिलाओं का सामान्य प्रसव ही होता है. 3-4 आपातकालीन परिस्थियां होती हैं, जिनमें सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव होता है. उन्होंने कहा कि अगर शादी की उम्र सही हो और बच्चों के बीच कम से कम 3 साल का अंतर हो तो सामान्य प्रसव के ही ज्यादा चांस होते हैं''- डॉ. मणिभूषण शर्मा, अधीक्षक, डीएमसीएच
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सिजेरियन से प्रसव का चलन बढ़ा
डॉ. मणिभूषण शर्मा ने स्वीकार किया कि पिछले कुछ साल में सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव का चलन बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह लोगों में जागरुकता का अभाव है. लोग प्रसव के लिए इंतजार करना नहीं चाहते हैं. प्रसव एक सामान्य प्रक्रिया है, कोई बीमारी नहीं है जिसका इलाज ऑपरेशन से हो.