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जीआई टैग में बिहार मखाना के बजाए मिथिला मखाना हो नाम- संजय सरावगी

भाजपा विधायक संजय सरावगी ने जीआई टैग में बिहार मखाना के बजाए मिथिला मखाना नाम देने की मांग की है. इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.

darbhanga
भाजपा विधायक संजय सरावगी
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Published : Aug 31, 2020, 11:04 PM IST

दरभंगा: बिहार विधानसभा में प्राक्कलन समिति के सभापति और दरभंगा नगर से भाजपा विधायक संजय सरावगी ने मखाना की जीआई टैगिंग में प्रस्तावित नाम 'मखाना फ्रॉम बिहार' का विरोध करते हुए 'मिथिला मखाना' नाम दिए जाने की मांग की है. इसको लेकर विधायक ने बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री समेत केंद्रीय मंत्री और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग परिषद को पत्र लिखा है.

मिथिलांचल में विपरीत प्रतिक्रिया
संजय सरावगी ने पत्र की प्रति बिहार कृषि विवि सबौर और भागलपुर के कुलपति को भी भेजी है. विधायक ने अपने पत्र में कहा है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने मखाना की जीआई टैगिंग के लिए 'मखाना फ्राॅम बिहार' के नाम का प्रस्ताव भेजा है. इस पर मिथिलांचल में विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है.

जिले के लिए गौरव की बात
भाजपा विधायक ने कहा कि जिस मखाना के साथ यहां की विरासत और इतिहास जुड़ा है, भूगोल जुड़ा है, संस्कृति जुड़ी है, उसकी जीआई टैगिंग में मिथिला शब्द का जुड़ना अनिवार्य है. यह निश्चित रूप से हमारे लिए गौरव की बात होगी.

मिथिला के लोगों का योगदान
अपने पत्र में नगर विधायक ने कहा है कि मिथिला नरेश राजा जनक के जमाने से पर्व-त्योहार से लेकर स्वागत सत्कार तक में मखाना का उपयोग होता रहा है. मखाना का मिथिला में हजारों वर्ष का इतिहास है और इसे देश-विदेश पहुंचाने में, लोकप्रिय बनाने में मिथिला के लोगों का योगदान है. इसलिए इसकी मूल उत्पत्ति का क्षेत्र हजारों वर्षों से मिथिला ही है.

75 फीसदी मखाना का उत्पादन
वर्तमान समय में भी संपूर्ण देश के 75 फीसदी मखाना का उत्पादन केवल मिथिला में ही हो रहा है. संजय सरावगी ने कहा है कि भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से दरभंगा-मधुबनी से लेकर पूर्णिया-कटिहार तक मिथिला का ही क्षेत्र है. मिथिला की पहचान से जुड़े रहने के कारण केंद्र सरकार ने मखाना अनुसंधान केंद्र का मुख्यालय दरभंगा को बनाया था.

नरेंद्र मोदी ने की चर्चा
भाजपा विधायक ने कहा कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिथिला के मखाना की चर्चा की है, तब से मिथिला के मखाना के प्रति देश और विदेशों में भी रुझान बढ़ा है. प्रधानमंत्री ने भी अपने संबोधन में आत्मनिर्भर अभियान के प्रसंग में मिथिला के मखाना की ब्रांडिंग और विदेश व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया था. ऐसी परिस्थिति में मखाना की जीआई टैगिंग में मिथिला जुड़ना आवश्यक है. बल्कि यह क्षेत्र के लिए गौरव की बात भी होगी.

'मिथिला मखाना' से मिले जीआई टैग
महामहिम को लिखे पत्र में विधायक ने कहा है कि मिथिला की जन भावना, सांस्कृतिक महत्व और उत्पत्ति के हजारों वर्ष के इतिहास को ध्यान में रखते हुए मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग होना चाहिए. इसे मखाना फ्रॉम बिहार के स्थान पर मखाना फ्रॉम मिथिला या मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग मिलना चाहिए.

दरभंगा: बिहार विधानसभा में प्राक्कलन समिति के सभापति और दरभंगा नगर से भाजपा विधायक संजय सरावगी ने मखाना की जीआई टैगिंग में प्रस्तावित नाम 'मखाना फ्रॉम बिहार' का विरोध करते हुए 'मिथिला मखाना' नाम दिए जाने की मांग की है. इसको लेकर विधायक ने बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री समेत केंद्रीय मंत्री और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग परिषद को पत्र लिखा है.

मिथिलांचल में विपरीत प्रतिक्रिया
संजय सरावगी ने पत्र की प्रति बिहार कृषि विवि सबौर और भागलपुर के कुलपति को भी भेजी है. विधायक ने अपने पत्र में कहा है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने मखाना की जीआई टैगिंग के लिए 'मखाना फ्राॅम बिहार' के नाम का प्रस्ताव भेजा है. इस पर मिथिलांचल में विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है.

जिले के लिए गौरव की बात
भाजपा विधायक ने कहा कि जिस मखाना के साथ यहां की विरासत और इतिहास जुड़ा है, भूगोल जुड़ा है, संस्कृति जुड़ी है, उसकी जीआई टैगिंग में मिथिला शब्द का जुड़ना अनिवार्य है. यह निश्चित रूप से हमारे लिए गौरव की बात होगी.

मिथिला के लोगों का योगदान
अपने पत्र में नगर विधायक ने कहा है कि मिथिला नरेश राजा जनक के जमाने से पर्व-त्योहार से लेकर स्वागत सत्कार तक में मखाना का उपयोग होता रहा है. मखाना का मिथिला में हजारों वर्ष का इतिहास है और इसे देश-विदेश पहुंचाने में, लोकप्रिय बनाने में मिथिला के लोगों का योगदान है. इसलिए इसकी मूल उत्पत्ति का क्षेत्र हजारों वर्षों से मिथिला ही है.

75 फीसदी मखाना का उत्पादन
वर्तमान समय में भी संपूर्ण देश के 75 फीसदी मखाना का उत्पादन केवल मिथिला में ही हो रहा है. संजय सरावगी ने कहा है कि भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से दरभंगा-मधुबनी से लेकर पूर्णिया-कटिहार तक मिथिला का ही क्षेत्र है. मिथिला की पहचान से जुड़े रहने के कारण केंद्र सरकार ने मखाना अनुसंधान केंद्र का मुख्यालय दरभंगा को बनाया था.

नरेंद्र मोदी ने की चर्चा
भाजपा विधायक ने कहा कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिथिला के मखाना की चर्चा की है, तब से मिथिला के मखाना के प्रति देश और विदेशों में भी रुझान बढ़ा है. प्रधानमंत्री ने भी अपने संबोधन में आत्मनिर्भर अभियान के प्रसंग में मिथिला के मखाना की ब्रांडिंग और विदेश व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया था. ऐसी परिस्थिति में मखाना की जीआई टैगिंग में मिथिला जुड़ना आवश्यक है. बल्कि यह क्षेत्र के लिए गौरव की बात भी होगी.

'मिथिला मखाना' से मिले जीआई टैग
महामहिम को लिखे पत्र में विधायक ने कहा है कि मिथिला की जन भावना, सांस्कृतिक महत्व और उत्पत्ति के हजारों वर्ष के इतिहास को ध्यान में रखते हुए मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग होना चाहिए. इसे मखाना फ्रॉम बिहार के स्थान पर मखाना फ्रॉम मिथिला या मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग मिलना चाहिए.

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