दरभंगाः जिले में त्याग और बलिदान का पारंपरिक पर्व बकरीद शांतिपूर्ण और सौहार्द तरीके से मनाया जा रहा है. शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक ईदगाह और मस्जिदों में बकरीद की नमाज अदा की गई. इस दौरान लोगों ने देश में खुशहाली शांति और अमन-चैन की दुआ की.
सुरक्षा का व्यापक इंतजाम
सुबह से ही बूढ़े, बच्चे और नौजवान नए कपड़े और टोपियां पहनकर ईदगाह पहुंचे. बकरीद की नमाज अदा कर एक-दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद दी. सभी ईदगाहों में सुबह से ही नमाजियों की काफी भीड़ देखी गई. हर ईदगाह पर मेला सा नजारा था. वहीं, कुछ नमाजी फकीरों और मजलूमों को अनाज व रुपये दान करते देखे गए. बकरीद पर्व में किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं.
पैगंबर ने दी बेटे की कुर्बानी
दरअसल, इस्लाम धर्म में बकरीद को बलिदान का त्योहार माना गया है. बकरीद का पर्व रमजान के लगभग 70 दिनों के बाद मनाया जाता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों में बकरे की कुर्बानी देने का बहुत अधिक महत्व है. ऐसी मान्यता है कि अल्लाह ने अपने पैगंबर हजरत इब्राहिम को अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का स्वप्न दिया था. हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर सबसे प्यारी चीज अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए.
आंखों पर बांध ली थी पट्टी
हजरत इब्राहीम के लिए सबसे प्रिय तो उनका बेटा ही था. इसलिए उन्होंने अपने बेटे की ही बलि देना स्वीकार किया. हजरत इब्राहिम को लगा की कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती है, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो, उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा पड़ा हुआ था. तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा चली आ रही है.
गरीबों का रखा जाता है खास ख्याल
वहीं, बकरीद की नमाज अदा कर लौट रहे एक नेमाजी फैजुल्ला ने बताया कि देश में अमन चैन व शांति बनी रहे इसके लिए हम लोगों ने अल्लाह से दुआ मांगी है. आज के दिन अल्लाह को कुर्बानी प्यारी है, इसीलिए कुरान का पाठ कर बकरीद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लाम में गरीबों और मजदूरों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं.