ETV Bharat / state

BJP सांसद का नीतीश सरकार पर हमला, कहा- लालू और नीतीश राज में कोई फर्क नहीं है

बीजेपी सांसद ने कहा कि,'लालू जी के समय से आज तक बिहार में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. उसी समय से अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. बिहार की वर्तमान सरकार ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Jul 3, 2019, 9:46 PM IST

पटना: बिहार के 12 जिलों में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत पर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने नीतीश सरकार और आरजेडी अध्यक्ष पर निशाना साधा है. गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि कि लालू और नीतीश कुमार के राज में कोई फर्क नहीं है.

बीजेपी सांसद ने कहा कि,'लालू जी के समय से आज तक बिहार में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. उसी समय से अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. बिहार की वर्तमान सरकार ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है.

चमकी बुखार पर बिहार सरकार ने दाखिल किया SC में हलफनामा
बिहार में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत पर सुप्रीमकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं के जवाब में बिहार सरकार ने हलफनामा दायर किया है. हलमफनामा में सरकार ने माना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश में संसाधनों का घोर अभाव है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में नीतीश सरकार ने माना है कि प्रदेश में 47 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है. विभाग में 71 प्रतिशत नर्स, 62 प्रतिशत लैब टेक्नीशियन और 48 प्रतिशत फार्मासिस्ट के पद खाली पड़े हैं.

हलफनामे में बिहार सरकार ने कोर्ट को यह आश्वस्त करने की कोशिश की है कि मेडिकल ऑफिसर, पैरा मेडिकल और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति को लेकर कदम उठाने जा रही है.

नहीं थम रहा AES का कहर
चमकी या एईएस से हो रही बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. इस बुखार के चलते मंगलवार को एसकेएमसीएच में एक और बच्चे की मौत हो गई. वहीं, हॉस्पिटल के पीआईसीयू में 14 बच्चे भर्ती हैं. इनमें से 5 की हालत गंभीर है. चमकी या एईएस से मरने वालों बच्चों की कुल संख्या 193 हो गई है. हालांकि, सरकारी आंकड़ा 137 है. इनमें 116 बच्चों की मौत एसकेएमसीएम और 21 बच्चों की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई है.

पटना: बिहार के 12 जिलों में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत पर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने नीतीश सरकार और आरजेडी अध्यक्ष पर निशाना साधा है. गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि कि लालू और नीतीश कुमार के राज में कोई फर्क नहीं है.

बीजेपी सांसद ने कहा कि,'लालू जी के समय से आज तक बिहार में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. उसी समय से अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. बिहार की वर्तमान सरकार ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है.

चमकी बुखार पर बिहार सरकार ने दाखिल किया SC में हलफनामा
बिहार में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत पर सुप्रीमकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं के जवाब में बिहार सरकार ने हलफनामा दायर किया है. हलमफनामा में सरकार ने माना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश में संसाधनों का घोर अभाव है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में नीतीश सरकार ने माना है कि प्रदेश में 47 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है. विभाग में 71 प्रतिशत नर्स, 62 प्रतिशत लैब टेक्नीशियन और 48 प्रतिशत फार्मासिस्ट के पद खाली पड़े हैं.

हलफनामे में बिहार सरकार ने कोर्ट को यह आश्वस्त करने की कोशिश की है कि मेडिकल ऑफिसर, पैरा मेडिकल और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति को लेकर कदम उठाने जा रही है.

नहीं थम रहा AES का कहर
चमकी या एईएस से हो रही बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. इस बुखार के चलते मंगलवार को एसकेएमसीएच में एक और बच्चे की मौत हो गई. वहीं, हॉस्पिटल के पीआईसीयू में 14 बच्चे भर्ती हैं. इनमें से 5 की हालत गंभीर है. चमकी या एईएस से मरने वालों बच्चों की कुल संख्या 193 हो गई है. हालांकि, सरकारी आंकड़ा 137 है. इनमें 116 बच्चों की मौत एसकेएमसीएम और 21 बच्चों की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई है.

Intro:Body:

बिहार में चमकी बुखार से अब तक 190 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. बिहार में चमकी बुखार का कहर 12 जिलों में है लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर में है.

बिहार: चमकी बुखार से ठीक हो चुके बच्चों के दिव्यांग होने का खतरा





मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में फैले एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित होकर मौत के मुंह से निकल चुके बच्चों के अब दिव्यांग होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. एईएस के कारणों की जांच कर रही केंद्रीय टीम ऐसे बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पीड़ित बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग की जरूरत बताई है.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार और जांच टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ ए के सिन्हा ने आशंका जताई है कि एईएस पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं या उनके शरीर का कोई अंग प्रभावित हो सकता है. ऐसे में ठीक होकर घर लौटे बच्चों में रोगों से बचने के लिए प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.

पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को काउंसलिंग की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि बीमारी से उबरे बच्चों के अभिभावकों को इसके प्रति जागरूकता बच्चों के लिए काफी मददगार साबित होगी.

उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में इस वर्ष गर्मी के मौसम में एईएस का कहर प्रारंभ हो गया था. हालांकि राहत की बात यह है कि बारिश प्रारंभ होने के बाद एईएस से पीड़ित बच्चों के अस्पताल आने की संख्या में कमी आई है.

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक, राज्य में एईएस या चमकी बुखार से अब तक 800 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 155 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.