बक्सर: बिहार के बक्सर में 24 नवंबर से पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra Started in Buxar ) शुरू हो गयी है. पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे दिन 25 नवम्बर को श्रद्धालुओं की जत्था नारद मुनि के आश्रम नदाव में पहुंचेगा. अगहन मास के पंचमी से शुरू होने वाले इस पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra) में शामिल होने के लिए बिहार समेत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, उड़ीसा और नेपाल समेत पूरे देश और विदेशों से श्रद्धालु बक्सर आये हैं. कोरोना काल में 2 साल बाद आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध इस पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (World Famous Panchkosi Parikrama) को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है. हालांकि श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था और साफ-सफाई नहीं किये जाने से लोगों में नाराजगी है.
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पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव में श्रद्धालुओं का जत्था मां अहिल्या के आश्रम अहिरौली (Ahilya Ashram Ahiroli) पहुंचा. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालु अहिल्या मंदिर में पूजा-पाठ कर पुआ पकवान का भोग लगाए. हालांकि इस साल उत्तरायणी गंगा के तट से लेकर मंदिर परिसर के चारों तरफ कचरे का अंबार लगा हुआ है. जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन के द्वारा ना तो साफ सफाई की व्यवस्था की गयी और न ही नगर परिषद के अधिकारियों ने इसपर संज्ञान लिया. इस यात्रा के दूसरे दिन श्रद्धालु नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचने लगे है. जहां नारद मुनि सरोवर में स्नान (Bathing in Narada Muni Sarovar) करने के बाद 25 नवम्बर को मंदिर में पूजा पाठ करेंगे और सत्तू-मूली का भोग लगाकर इस यात्रा के तीसरे दिन भार्गव ऋषि के आश्रम भवर के लिए प्रस्थान करेंगे.
बता दें कि पंचकोसी परिक्रमा यात्रा को लेकर कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम (Lord Rama in Treta Yuga) अपने भ्राता लक्ष्मण, ऋषि विश्वामित्र के साथ बक्सर आये थे. उस समय बक्सर में ताड़का, सुबाहू, मारीच आदि राक्षसों का आतंक था. इन राक्षसों का वध कर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र (Rishi Vishwamitra) से यहां शिक्षा ग्रहण किया था. ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ 5 कोस की यात्रा प्रारम्भ की. इस यात्रा के पहले पड़ाव में गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचे, जहां पत्थर रूपी अहिल्या को अपने चरणों से स्पर्श कर उनका उद्धार किया और उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पुआ पकवान खाये.
इस यात्रा के दूसरे पड़ाव में नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचे, जहां सरोवर में स्नान करने के बाद सत्तू और मूली का उन्होंने भोग लगाया. इसी तरह तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम (Ashram of Rishi Bhargava) भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि के आश्रम उनवास, और पांचवे एवं अंतिम पड़ाव में चरित्र वन बक्सर में पहुंचकर उन्होंने लिट्टी चोखा का भोग लगाया. उस समय से ही इस परंपरा का निर्वहन लोग करते आए हैं. प्रत्येक साल अगहन महीने के पंचमी से इस यात्रा की शुरुआत होती है. जिसमें भाग लेने के लिए लाखों श्रद्धालु बक्सर आते हैं. इसके बावजूद जिला प्रशासन के द्वारा इस साल पंचकोसी परिक्रमा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जिसके कारण स्थानीय लोगों से लेकर श्रद्धालुओं में घोर नाराजगी है.
पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के दूसरे पड़ाव में श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारी में जुटे मंदिर के पुजारी और मुखिया पति ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर परिसर से लेकर रास्ते में चारों तरफ कूड़े बिखरे हैं. प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने फोन कर मुखिया को ही साफ सफाई से लेकर व्यवस्था करने का जिम्मेदारी दी दी. उन्होंने कहा कि उनके पास जितना संसाधन है, उसके अनुसार कार्य करवा रहा हूं. केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा राम से जुड़े तमाम स्थलों को रामायण सर्किट से जोड़ने की बात कही गई थी, लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही वह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. आलम यह है कि अब इस यात्रा के नाम पर केवल कोरम पूरा किया जा रहा है. जब लाखों श्रद्धालु यहां से अपने अपने प्रदेश में जाएंगे तो बक्सर को बदनामी के सिवा कुछ नहीं मिलेगा.
गौरतलब है कि 24 नवंबर से शुरू हुए पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव में श्रद्धालु आज माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली पहुंचे. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान (Bathing in Uttarayani Ganga) करने के बाद माता अहिल्या के मंदिर में दीप जलाकर पूजा पाठ करने के साथ ही पुआ-पकवान का भोग लगाया. इसके बाद श्रद्धालु नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचने लगे हैं. जहां 25 नवंबर को पूजा पाठ कर सत्तू-मूली का भोग लगायेंगे. इस यात्रा के तीसरे दिन 26 नवम्बर को भार्गव मुनि का आश्रम भभुअर के लिए प्रस्थान करेंगे. वहीं यात्रा के चौथे दिन 27 नवंबर को उद्दालक ऋषि के आश्रम उनवास और इस यात्रा के अंतिम पड़ाव में 28 नवंबर को श्रद्धालु बक्सर के चरित्र वन में पहुंचकर उत्तरायणी गंगा में स्नान कर लिट्टी चोखा का भोग लगाने के साथ ही इस यात्रा का समापन करेंगे.
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