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बक्सर: बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए अनुपूरक आहार जरूरी

जिले में अन्नप्राशन दिवस के अवसर पर सभी सेविकाओं ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र के छह माह की उम्र पार करने वाले बच्चों का अन्नप्राशन करवाया. साथ ही बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी सुझाव भी दिए.

बक्सर
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Published : May 21, 2021, 10:03 AM IST

बक्सर: जिले में एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के निर्देश पर हर माह की 19 तारीख को छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है. जिसके तहत बुधवार को जिले के सभी प्रखंडों में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान जिले के सभी सेविकाओं ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र के छह माह की उम्र पार करने वाले बच्चों का अन्नप्राशन करवाया. साथ ही माताओं को जागरूक कर पोषण की जानकारी दी गई.

ये भी पढ़ें : बेगूसराय: संवरेगा बच्चों का भविष्य, खेल-खेल में सीखेंगे भाषा, गणित व विज्ञान

ऊपरी आहार के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी है जरूरी
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तरणि कुमारी ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी करवाना चाहिए. जिससे बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण हो पाएगा. इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गई.

बताया गया कि 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना और 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाना चाहिए. इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले-नारंगी फलों को शामिल करने की बात भी बताई गई.

पौष्टिक आहार की महत्ता की दी गई जानकारी
डुमरांव प्रखंड में स्थित कोड संख्या 47 की सेविका लीलावती देवी ने बताया कि बच्चों के विकास में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. साथ ही शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है. छह माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है, इसलिए इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है. घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है.

बक्सर: जिले में एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के निर्देश पर हर माह की 19 तारीख को छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है. जिसके तहत बुधवार को जिले के सभी प्रखंडों में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान जिले के सभी सेविकाओं ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र के छह माह की उम्र पार करने वाले बच्चों का अन्नप्राशन करवाया. साथ ही माताओं को जागरूक कर पोषण की जानकारी दी गई.

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ऊपरी आहार के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी है जरूरी
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तरणि कुमारी ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी करवाना चाहिए. जिससे बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण हो पाएगा. इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गई.

बताया गया कि 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना और 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाना चाहिए. इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले-नारंगी फलों को शामिल करने की बात भी बताई गई.

पौष्टिक आहार की महत्ता की दी गई जानकारी
डुमरांव प्रखंड में स्थित कोड संख्या 47 की सेविका लीलावती देवी ने बताया कि बच्चों के विकास में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. साथ ही शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है. छह माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है, इसलिए इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है. घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है.

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