बक्सरः शराबबंदी वाले बिहार में जाम छलकाना मतलब कानून का उल्लंघन और दंड का भागीदार होना है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन किसे पता था कि बक्सर के डुमरांव अनुमंडल में शराब पीकर (Buxar Poisonous Liquor Death Case) जश्न मना रहे 5 लोग हमेशा के लिए सो जाएंगे. किसे पता था कि अमसारी गांव के पांच घरों के चूल्हे बुझ जाएंगे. कौन जानता था कि कई मासूमों के सिर से पिता का साया उठ जाएगा. कइयों की मांग की सिंदूर उजड़ जाएगी. मासूमों की चीत्कार से गांव सन्नाटे में डूब जाएगा.
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गुरुवार को अमसारी गांव में आनंद कुमार सिंह (30 वर्षीय), मिंकू सिंह (35 वर्षीय), भिरूग सिंह (48 वर्षीय), शिव मोहन यादव (55 वर्षीय) और सुखु मुसहर (60 वर्षीय) की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई. ये अलग बात है कि प्रशासन अभी भी इन मौतों की वजह जहरीली शराब स्वीकार न कर रहा हो, लेकिन मृतकों के परिजन चीख-चीखकर कर रहे हैं मौतें उससे ही हुई.
बहरहाल, मृतकों के परिजनों पर अब क्या गुजर रहा होगा? जिनका कमाने वाला अब इस दुनिया में नहीं रहा उस परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा? कैसे जिएंगे वो मासूम जिनके सिर से पिता का साया हट गया. इन हालातों का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची जहां मातमी सन्नाटा पसरा था. चीत्कार थी. मरने वाले पांच लोगों में से एक सुखु मुसहर के घर.
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घर में 10 साल से छोटे 4 मासूम. 2 बड़ी बेटियां और एक सुखु की एक विधवा पत्नी. मासूम अभी चल भी नहीं पाते हों. जवान बेटियों की शादी दहलीज पर खड़ी है. घर का इकलौता कमाने वाला अब इस दुनिया में नहीं रहा. बेसहारा पत्नी विलाप कर रही हैं. पत्नी तेतरी देवी बताती हैं कि 26 जनवरी को रात में उनके पति (सुखु) घर पहुंचे थे कि अचानक उनके पेट में दर्द उठा. फिर उल्टी करने लगे.
उल्टी से शराब की बदबू आ रही थी. कुछ देर के बाद पूरा चेहरा काला पड़ने लगा. गांव में एक-एक कर लोगों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया. फिर थाने का चौकीदार घर आया. उसने बताया कि शराब पार्टी हुई, जिसमें सुखु मुसहर भी शामिल था. बाद में चौकीदार ने ही गाड़ी बुलाई और उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा लेकिन सुखु मुसहर की मौत हो गई.
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सुखु मुसहर की बेटी ने बताया कि गांव के ही एक व्यक्ति के तालाब पर मुर्गा-भात बना था. वहां खाना खाने के बाद लोगों ने शराब भी पी थी. जिस तालाब के पास शराब पार्टी हुई, उस घर के एक सदस्य की भी जहरीली शराब से मौत हुई. इस घटना की सूचना के बाद जिला अधिकारी अमन समीर, पुलिस कप्तान नीरज कुमार सिंह, एवं तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव में पहुंचकर मामले की तफ्तीश की. जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की बात कही लेकिन मुआवजे की बात नहीं. इसलिए कि ऐसी घटनाओं में मुआवजे का प्रावधान नहीं है.
जहरीली शराब से एक ही गांव में आधा दर्जन लोगों की मौत होने के बाद पूरे जिले में हड़कम्प मचा हुआ है. प्रशासनिक अधिकारी अब शराब माफियाओं को खोजने में लगी है. लेकिन हैरानी की बात है, कि शराबबन्दी कानून लागू होने के 5 साल 9 महीने बाद भी, तमाम पुलिस और प्रशासन के अधिकारी इस कानून को जमीन पर नहीं उतार पाए, जब भी कोई घटना घट जाती है, तो चौकीदार पर करवाई कर अन्य लोगों को क्लीन चिट दे दी जाती है. लेकिन ऐसी घटनाओं की वजह से जिसके परिवार सड़क पर आ जाता है, उसपर किसी का ध्यान नहीं है.
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