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Buxar News: उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर बक्सर में खुलेगा आर्ट काॅलेज, स्थल चयन की हुई समीक्षा

विश्व प्रसिद्ध शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर डुमरांव में कला महाविद्यालय बनेगा. स्थानीय विधायक अजीत कुमार सिंह और जिलाधिकारी अमन समीर ने इसको लेकर स्थल का निरीक्षण (Site inspection for art college in Buxar ) किया. इससे कला प्रेमियों के साथ ही जिलेवासियों में खुशी की लहर है. पढ़ें पूरी खबर..

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर कला महाविद्यालय
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर कला महाविद्यालय
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Published : Feb 24, 2023, 4:42 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में डुमरांव शहर में जन्में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर जल्द ही कला महाविद्यालय (art college on name of Ustad Bismillah Khan) खुलेगा. इसको लेकर कवायद चल रही है. लोगों ने कहा कि अपने ही घर में उस्ताद उपेक्षित थे. देर से ही सही सरकार को सदबुद्धि आई. जिलाधिकारी अमन समीर व डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह की अध्यक्षता में स्थल चयन सहित अन्य पहलुओं की शुक्रवार को समीक्षा की गयी. इस दौरान जिला उपविकास आयुक्त, महेंद्र पाल और डुमरांव अनुमंडल पदाधिकारी कुमार पंकज भी उपस्थित रहे.

ये भी पढ़ेंः Buxar News: कचरे के ढेर में तब्दील हुआ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का शहर डुमरांव

विधानसभा में स्थानीय विधायक ने उठाया था मुद्दाः डुमरांव विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह ने विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे पर सवाल उठाया था. इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान भी कला महाविद्यालय खोलने की अपनी मांग को मजबूती से दोहराया था. मुख्यमंत्री ने कला महाविद्यालय शुरू करने का निर्देश भी दे चुके हैं. इससे कला प्रेमियों के साथ ही लोगों में उम्मीद की नई किरण जगमगाने लगी है. इस दौरान स्थानीय विधायक ने कहा कि स्थल चयन की प्रक्रिया पूर्ण होते ही कला महाविद्यालय खुल जाएगा.

कला महाविद्यालय के निर्माण से उस्ताद को मिलेगा सम्मानः विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि डुमरांव सहित पूरे बिहार के कला क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को लाभ मिलेगा. जनता की दशकों से मांग थी कि बिस्मिल्लाह खां की जन्मस्थली पर उनके सम्मान में कला महाविद्यालय का निर्माण हो. यह जनता की जीत है. पूरे हिंदुस्तान में शहनाई को पहचान दिलाने वाले भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की पहचान अपने ही घर में मिटती जा रही है. आज भी जब शहनाई का जिक्र होता है तो दिल व दिमाग में सिर्फ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का ही चेहरा घूमता है.

"स्थल चयन की प्रक्रिया पूर्ण होते ही कला महाविद्यालय खुल जाएगा. डुमरांव सहित पूरे बिहार के कला क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को लाभ मिलेगा. जनता की दशकों से मांग थी कि बिस्मिल्लाह खां की जन्मस्थली पर उनके सम्मान में कला महाविद्यालय का निर्माण हो" - अजीत कुमार सिंह, विधायक, डुमरांव

डुमरांव में हुआ था जन्मः उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म बक्सर के डुमरांव में 21 मार्च, 1916 को हुआ था. पांच पीढ़ियों से इनका परिवार शहनाई के प्रति समर्पित रहा है. उनके दादा-परदादा भोजपुर राजवाड़ा के दरबारी संगीतकार थे. उनके पिता डुमरांव रियासत के दरबार में शहनाई वादन करते थे. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां छह साल की छोटी उम्र में बनारस चले गए थे और वहीं संगीत की शिक्षा ली थी. उनके चाचा अली बक्श विलायती विश्वनाथ मंदिर के शहनाई वादक थे.

अपनी ही जन्मभूमि में उपेक्षित हैं उस्तादः बक्सर में जन्म होने के बाद भी यहां उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर कहीं कुछ नहीं है. उनकी जन्मस्थली यूं ही उपेक्षित है. उनके निधन के 17 साल बाद भी उनकी विरासत को संजोकर रखने के लिए प्रशासन ने कोई पहल नहीं की गई. आज पूरे जिले में उनके नाम पर कोई भवन, अकादमी, स्कूल, संस्थान कुछ भी नहीं है. अगर ऐसा ही रहा तो आने वाली पीढ़ी को पता भी नहीं होगा कि बिहार के बक्सर में ही बिस्मिल्लाह खां जैसी हस्ती का जन्म हुआ था और यही उनकी जन्मभूमि है.

बक्सर: बिहार के बक्सर में डुमरांव शहर में जन्में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर जल्द ही कला महाविद्यालय (art college on name of Ustad Bismillah Khan) खुलेगा. इसको लेकर कवायद चल रही है. लोगों ने कहा कि अपने ही घर में उस्ताद उपेक्षित थे. देर से ही सही सरकार को सदबुद्धि आई. जिलाधिकारी अमन समीर व डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह की अध्यक्षता में स्थल चयन सहित अन्य पहलुओं की शुक्रवार को समीक्षा की गयी. इस दौरान जिला उपविकास आयुक्त, महेंद्र पाल और डुमरांव अनुमंडल पदाधिकारी कुमार पंकज भी उपस्थित रहे.

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विधानसभा में स्थानीय विधायक ने उठाया था मुद्दाः डुमरांव विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह ने विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे पर सवाल उठाया था. इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान भी कला महाविद्यालय खोलने की अपनी मांग को मजबूती से दोहराया था. मुख्यमंत्री ने कला महाविद्यालय शुरू करने का निर्देश भी दे चुके हैं. इससे कला प्रेमियों के साथ ही लोगों में उम्मीद की नई किरण जगमगाने लगी है. इस दौरान स्थानीय विधायक ने कहा कि स्थल चयन की प्रक्रिया पूर्ण होते ही कला महाविद्यालय खुल जाएगा.

कला महाविद्यालय के निर्माण से उस्ताद को मिलेगा सम्मानः विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि डुमरांव सहित पूरे बिहार के कला क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को लाभ मिलेगा. जनता की दशकों से मांग थी कि बिस्मिल्लाह खां की जन्मस्थली पर उनके सम्मान में कला महाविद्यालय का निर्माण हो. यह जनता की जीत है. पूरे हिंदुस्तान में शहनाई को पहचान दिलाने वाले भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की पहचान अपने ही घर में मिटती जा रही है. आज भी जब शहनाई का जिक्र होता है तो दिल व दिमाग में सिर्फ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का ही चेहरा घूमता है.

"स्थल चयन की प्रक्रिया पूर्ण होते ही कला महाविद्यालय खुल जाएगा. डुमरांव सहित पूरे बिहार के कला क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को लाभ मिलेगा. जनता की दशकों से मांग थी कि बिस्मिल्लाह खां की जन्मस्थली पर उनके सम्मान में कला महाविद्यालय का निर्माण हो" - अजीत कुमार सिंह, विधायक, डुमरांव

डुमरांव में हुआ था जन्मः उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म बक्सर के डुमरांव में 21 मार्च, 1916 को हुआ था. पांच पीढ़ियों से इनका परिवार शहनाई के प्रति समर्पित रहा है. उनके दादा-परदादा भोजपुर राजवाड़ा के दरबारी संगीतकार थे. उनके पिता डुमरांव रियासत के दरबार में शहनाई वादन करते थे. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां छह साल की छोटी उम्र में बनारस चले गए थे और वहीं संगीत की शिक्षा ली थी. उनके चाचा अली बक्श विलायती विश्वनाथ मंदिर के शहनाई वादक थे.

अपनी ही जन्मभूमि में उपेक्षित हैं उस्तादः बक्सर में जन्म होने के बाद भी यहां उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर कहीं कुछ नहीं है. उनकी जन्मस्थली यूं ही उपेक्षित है. उनके निधन के 17 साल बाद भी उनकी विरासत को संजोकर रखने के लिए प्रशासन ने कोई पहल नहीं की गई. आज पूरे जिले में उनके नाम पर कोई भवन, अकादमी, स्कूल, संस्थान कुछ भी नहीं है. अगर ऐसा ही रहा तो आने वाली पीढ़ी को पता भी नहीं होगा कि बिहार के बक्सर में ही बिस्मिल्लाह खां जैसी हस्ती का जन्म हुआ था और यही उनकी जन्मभूमि है.

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