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Lockdown Effect: दिहाड़ी मजदूरों को पड़े खाने के लाले, नहीं मिल रहा दाना-पानी - कोरोना वायरस इफेक्ट

कोरोना वायरस की सबसे अधिक मार रोज कमाने-खाने वाले मजदूरों को झेलनी पड़ी है. उनके घरों में खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं. वे किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर हैं.

लॉक डाउन के कारण बढ़ी दिहाड़ी मजदूरों की परेशानी
लॉक डाउन के कारण बढ़ी दिहाड़ी मजदूरों की परेशानी
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Published : Apr 4, 2020, 7:58 AM IST

बक्सर: वैश्विक आपदा कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन किया गया. अचानक हुए लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक परेशानी दिहाड़ी मजदूरों को झेलनी पड़ रही है. यूं तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन एक के बाद एक कड़े कदम उठा रहा है जिससे आम आदमी को परेशानी न हो. बावजूद इसके फुटपाथ और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों को इसका लाभ न के बराबर मिल रहा है.

नगर थाना क्षेत्र के सिंडिकेट नहर के किनारे फुटपाथ पर झोपड़ी बनाकर दिहाड़ी पर काम करने वाले गौतम कुमार कहते हैं कि सड़क किनारे फुटपाथ पर रहकर वे किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन, लॉकडाउन के कारण उनके सामने भोजन का भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. वहीं, राशन कार्ड नहीं होने के कारण सरकारी लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है.

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लॉक डाउन के कारण लोग परेशान

'हम रोज बनाकर बेचने-खाने वाले लोग हैं'

लॉकडाउन की मार झेल रहे मजदूर गौतम कुमार ने रुआंसा स्वर में कहा कि हम रोज सामान बनाकर तैयार करते हैं और उसे प्रतिदिन बाजारों में बेचकर परिवार के लिए भोजन खरीदते हैं. लेकिन, इस लॉकडाउन में घर से निकलना मुश्किल है. नतीजतन भूखे पेट सोना पड़ रहा है.

'नहीं है घर में अनाज का एक भी दाना'

वहीं, इस लॉकडाउन को लेकर झुग्गी बस्तियों में रहने वाली राजकुमारी देवी ने बताया कि उनके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है. बच्चे भूख से तड़प रहे हैं. रोज की तरह वे सामान तो तैयार कर रही हैं लेकिन, उसे बेचेंगी कहां? बाजार बंद है और कोई खरीदार भी नहीं है. ऐसे में वो और उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया.

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लॉक डाउन के कारण जन-जीवन बाधित

राशन कार्ड नहीं होने से बढ़ी परेशानी

गौरतलब है कि मौजूदा हालातों में जिनके पास न राशन कार्ड है, न ही लेबर कार्ड है वैसे लोगों की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ गई हैं. उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, जिला जिलाधिकारी अमन समीर ने वैसे लोगों को भी चिन्हित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है. ताकि स्थानीय प्रशासन की ओर से उन्हें मदद पहुंचाई जा सके. बता दें कि बक्सर पुलिस कप्तान उपेंद्र नाथ वर्मा ने बीते शुक्रवार को ऐसे लोगों के बीच राहत सामग्री का वितरण भी किया था.

बक्सर: वैश्विक आपदा कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन किया गया. अचानक हुए लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक परेशानी दिहाड़ी मजदूरों को झेलनी पड़ रही है. यूं तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन एक के बाद एक कड़े कदम उठा रहा है जिससे आम आदमी को परेशानी न हो. बावजूद इसके फुटपाथ और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों को इसका लाभ न के बराबर मिल रहा है.

नगर थाना क्षेत्र के सिंडिकेट नहर के किनारे फुटपाथ पर झोपड़ी बनाकर दिहाड़ी पर काम करने वाले गौतम कुमार कहते हैं कि सड़क किनारे फुटपाथ पर रहकर वे किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन, लॉकडाउन के कारण उनके सामने भोजन का भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. वहीं, राशन कार्ड नहीं होने के कारण सरकारी लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है.

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लॉक डाउन के कारण लोग परेशान

'हम रोज बनाकर बेचने-खाने वाले लोग हैं'

लॉकडाउन की मार झेल रहे मजदूर गौतम कुमार ने रुआंसा स्वर में कहा कि हम रोज सामान बनाकर तैयार करते हैं और उसे प्रतिदिन बाजारों में बेचकर परिवार के लिए भोजन खरीदते हैं. लेकिन, इस लॉकडाउन में घर से निकलना मुश्किल है. नतीजतन भूखे पेट सोना पड़ रहा है.

'नहीं है घर में अनाज का एक भी दाना'

वहीं, इस लॉकडाउन को लेकर झुग्गी बस्तियों में रहने वाली राजकुमारी देवी ने बताया कि उनके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है. बच्चे भूख से तड़प रहे हैं. रोज की तरह वे सामान तो तैयार कर रही हैं लेकिन, उसे बेचेंगी कहां? बाजार बंद है और कोई खरीदार भी नहीं है. ऐसे में वो और उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया.

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लॉक डाउन के कारण जन-जीवन बाधित

राशन कार्ड नहीं होने से बढ़ी परेशानी

गौरतलब है कि मौजूदा हालातों में जिनके पास न राशन कार्ड है, न ही लेबर कार्ड है वैसे लोगों की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ गई हैं. उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, जिला जिलाधिकारी अमन समीर ने वैसे लोगों को भी चिन्हित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है. ताकि स्थानीय प्रशासन की ओर से उन्हें मदद पहुंचाई जा सके. बता दें कि बक्सर पुलिस कप्तान उपेंद्र नाथ वर्मा ने बीते शुक्रवार को ऐसे लोगों के बीच राहत सामग्री का वितरण भी किया था.

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