बक्सर: कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन के कारण जन जीवन बुरी तरह से बाधित हो गया है. रोज कमाने-खाने वालों के सामने भूखे मरने की नौबत आन पड़ी है. ऐसे में किसी तरह दाना-पानी का इंतजाम करने में लगे हुए हैं. इन दिनों जिले में लोग तपती गर्मी के बीच राशन दुकानें के बाहर लाइन लगाते नजर आते हैं. पेट की आग के सामने उन्हें सूरज की ताप कम लगती है.
अपने और अपने परिजनों का पेट भरने के लिए सैकड़ों लोग 46 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे घंटों लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं. शहर के रैन बसेरों में रहने वाले परिवार एक-दूसरे से मांगकर खाने को मजबूर हैं. जानकारी के मुताबिक इन रैन बसेरों में केवल रिक्शा चालक, ऑटो चालक ही नहीं रह रहे बल्कि कई मिडिल क्लास परिवार भी इस विषम परिस्थिति में यहां बसे हुए हैं.
पीड़ितों ने बताई आपबीती
नगर थाना क्षेत्र के चरित्रवन की रहने वाली रेखा देवी ने बताया कि, छोटा-मोटा रोजगार कर मेरे पति जो पैसा लाते थे, उसी पैसों से बच्चों की पढ़ाई और घर का भोजन चलता था. लेकिन, इस लॉकडाउन के कारण सारे रुपये खत्म हो गए हैं. घर मे पति और बच्चों को भूख से तड़पते देख सहन नहीं हुआ तो वे रैन बसेरा में खाना लेने चली आई. रुआंसी आवाज में उन्होंने कहा कि कोरोना से पहले कहीं भूख से ही मौत न हो जाए.
सामुदायिक किचन के भरोसे चल रहा जीवन
नगर परिषद क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परेशानियों को लेकर जब कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों के लिए नगर परिषद की ओर से सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. जहां भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. प्रतिदिन 100 से अधिक लोग भोजन लेकर अपने घर जाते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक लॉकडाउन खत्म नहीं हो जाता, तब तक लोगों को इसी तरह से सहायता मिलती रहेगी.