बक्सर: बक्सर एक धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक नगरी है. इसे महर्षि विश्वामित्र का साधना स्थल तो भगवान राम और लक्ष्मण की शिक्षा भूमि के रूप में भी जाना जाता है. बक्सर की पहचान छोटी काशी उपनाम से भी है. यहां धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. इन तथ्यों को ध्यान में रखकर अगर कार्य किया गया होता तो बक्सर का रूप आज कुछ और दिखता. 1991 में ही बक्सर को भोजपुर से अलग करके एक जिला का दर्जा दिया गया था लेकिन इतने वर्षों के बाद भी आज तक यहां कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था (Waste Disposal System in Buxar) नहीं हो पाई है.
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कभी शहर के बीचोंबीच बाईपास नहर के किनारे कूड़ा फेंका जाता है तो कभी किला मैदान के बगल में नहर किनारे. कभी ठोरा नदी के पास सड़क किनारे कचरे का अंबार लगा दिया जाता है. जिसके चलते बदबू से लोगों का आना-जाना मुहाल हो जाता है. इस बात की शिकायत मिलने पर बक्सर सदर से कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी (Congress MLA Sanjay Kumar Tiwari) ने गत विधानसभा सत्र में सवाल उठाया था कि आखिर सरकार बक्सर में कूड़ा निस्तारण के लिए क्या कर रही है. इसमें जवाब में बताया गया था कि पहले सोहनी पट्टी में फिर नदाव में पांच एकड़ भूमि चिह्नित की गई थी किंतु पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने से वहां नहीं किया जा सका.
अब चौसा पंचायत में इसके लिए तीन एकड़ जमीन देखी गई है जहां कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन यह राह भी बहुत आसान नहीं दिख रही है. इस मामले में कहीं ना कहीं एक ही पार्टी के दो विधायक आमने-सामने दिख रहें हैं. इसके लिए लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक में चल रही है. कोई सड़क पर बयान दे रहा है तो कोई सदन में सवाल कर रहा है. इस बाबत सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने ईटीवी भारत से हुए खास बातचीत में कहा कि जब मैंने विधानसभा में इसके लिए सवाल किया तो सरकार ने तीन महीने के समय के बारे कहा. अगर बक्सर में कचरा निस्तारण की व्यवस्था नहीं की गई तो आगामी बजट सत्र में फिर यह प्रश्न उठाऊंगा.
सदर विधायक ने कहा कि कचरा निस्तारण के स्थान चयन के लिए मैं अनुमंडल पदाधिकारी, एडीएम एवं कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद के साथ गया था. स्थान का चयन भी हो गया किंतु बाद में कांग्रेस के ही राजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक विश्वनाथ राम ने कहा कि यहां पर कचरा निस्तारण स्थल मेरी लाश पर बनेगा. इस पर सदर विधायक ने कहा कि एक जन प्रतिनिधि को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए.
इस बाबत जब राजपुर क्षेत्र से विधायक विश्वनाथ राम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि चूंकि चौसा पंचायत में चिह्नित जमीन एक स्कूल की है. जिसे स्थानीय लोगों ने विद्यालय को दान स्वरूप दिया था. ऐसे में वहां कचरा निस्तारण कैसे हो सकता है. उस जमीन के कागजात को शीघ्र ही जिला प्रशासन के समझ प्रस्तुत किया जाएगा. वैसे अब स्थानीय प्रशासन को ही निर्णय लेना है कि बक्सर के कचरे का निस्तारण कैसे और कहां होगा?
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