बक्सर: देश में कोरोना के बढ़ते मरीजों (Corona Patients in Bihar) को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने 5 दिन पहले से ही मॉक ड्रिल के जरिये विभाग की तैयारियों की समीक्षा की. इस समीक्षा में पाया कि बक्सर स्वास्थ्य विभाग अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए केवल अपनी उपलब्धि बताकर पीठ थपथपाने में लगी है. बताया जाता है कि अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन तक सभी लोग सिर्फ कागजी कार्रवाई में मुस्तैद हैं, जबकि जमीनी हकीकत जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. यहां अस्पताल में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में सेनिटाइजर और वेंटिलेटर भी शोभा की वस्तु बने हुए हैं.
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अस्पताल में कोई सामान मौजूद नहीं: कोरोना संक्रमण को बड़े स्तर पर फैलते हुए दिखने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने जब जिले के स्वास्थ्य विभाग से पूछताछ की तब जाकर मालूम हुआ कि विभाग सिर्फ कागजी प्रक्रिया में मजबूत हैं. जबकि जमीनी स्तर पर अस्पताल में न तो सेनिटाइजर, मास्क, वेंटिलेटर चलाने वाले कर्मी कुछ भी नहीं हैं. यहां कई वेंटिलेटर सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रखी हुई है. बताया जाता है कि अभी तक सिर्फ पूरे शहर के 32 प्रतिशत लोगों को कोरोना का बूस्टर डोज लगा है.
"कोरोना वायरस को लेकर हमारी तैयारी पूरी है. सदर अस्पताल में 1000 एलपीएम और 500 एलपीएम का दो ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया है.110 बेड पर निरंतर ऑक्सीजन का सप्लाई हो रही है".- भूपेन्द्र नाथ, सिविल सर्जन बक्सर
शहर में संक्रमण का डर: राज्य भर में स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिहार में भी कोरोना ने दस्तक दे दिया है. जानकारी मिली है कि बगल के दो जिलों रोहतास और औरंगाबाद में भी कोरोना मरीज मिले हैं. हालांकि अभी तक बक्सर में एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिला है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि हम हर परिस्थिति से लड़ने को तैयार है. जबकि इनके पास किसी परिस्थिति से लड़ने के लिए कोई भी सामग्री उपलब्ध नहीं हो.
सेनिटाइजर उपलब्ध नहीं: जानकारी के मुताबिक सदर अस्पताल से लेकर अनुमंडलीय अस्पताल या किसी भी पीएचसी, सीएचसी के पास कोई सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं है. यहां तक कि जिले के सरकारी अस्पताल के गोदाम में भी एक बूंद सेनेटाइजर नहीं है. जिसकी जानकारी दवा भंडार के प्रभारी ने लिखित रूप से दी है. इसके बावजूद भी यहां के स्वास्थ्यकर्मी और जिला प्रशासन हर परिस्थिति से लड़कर जीतने को तैयार है.
वेंटिलेटर कर्मी भी नदारद: कोरोना की पहली और दूसरी लहर में हुए सैकड़ों लोगों की मौत के बाद विभाग ने मरीजों के लिए 6 वेंटिलेटर लगाया. लेकिन आज तीन साल का समय गुजरने के बाद भी कर्मी की बहाली नहीं हुई. जिसके कारण अस्पताल का वेंटिलेटर शोभा का वस्तु बना हुआ है. अस्पताल अधीक्षक डॉ आर के गुप्ता ने बताया कि वह पद पूरी तरह से खाली है.
32 प्रतिशत लोगों को लगा बूस्टर डोज: कोरोना संक्रमण से निपटने की तैयारी पर स्वास्थ्य विभाग के प्रत्यरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर आर के सिंह ने बताया कि जिले के 82 प्रतिशत लोगों को पहला डोज, 92 प्रतिशत लोगों को दूसरा डोज, और 32 प्रतिशत लोगों को बूस्टर डोज दिया गया है. हमारे यहां वैक्सीन की उपलब्धता नहीं होने के कारण टीकाकरण का काम पूरी तरह से बंद है.