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बक्सर: 15 दिनों में मिले 36 अति कुपोषित बच्चे, आंगनबाड़ी केंद्रों पर लापरवाही का आरोप

राज्य सरकार लगातार बिहार के बढ़ते ग्रोथ रेट को लेकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है. लेकिन दूसरी ओर जिले में 15 दिनों के अंदर अबतक 36 अति कुपोषित बच्चे मिले हैं.

बक्सर सदर प्रखंड में मिले अति कुपोषित बच्चे
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Published : Jul 17, 2019, 1:35 PM IST

बक्सर: जिले के नावानगर प्रखंड के बाद अब सदर प्रखंड में भी अति कुपोषित पांच बच्चे मिले हैं. विभाग की तरफ से कहा गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों की लापरवाही के कारण कुपोषण के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. चमकी बुखार ने सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों को अपनी चपेट में लिया था. इनकी संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी से राज्य सरकार के विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.

सकते में स्वास्थ्य विभाग
एक तरफ जहां राज्य सरकार लगातार बिहार के बढ़ते ग्रोथ रेट को लेकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है. वहीं, दूसरी ओर जिले में 15 दिनों के अंदर अब तक 36 अति कुपोषित बच्चे मिले हैं. सदर अस्पताल से अति कुपोषित बच्चों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग भी सकते में आ गया है.

दर प्रखंड में तेजी से बढ़ रहे कुपोषित बच्चे

आंगनबाड़ी केंद्रों पर लापरवाही का आरोप
अस्पताल की डाइटीशियन सह एनसीआर इंचार्ज डॉक्टर अमिता ने बताया कि बक्सर सदर प्रखंड से पांच बच्चे आये हैं जो अति कुपोषण के शिकार हैं. अगर आंगनबाड़ी केंद्रों से इन बच्चों को पूरी खुराक दी गई होती तो इनकी संख्या न के बराबर होती. 15 दिनों में 36 अति कुपोषण के शिकार बच्चों का मिलना अपने आप में सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाता है.

बक्सर: जिले के नावानगर प्रखंड के बाद अब सदर प्रखंड में भी अति कुपोषित पांच बच्चे मिले हैं. विभाग की तरफ से कहा गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों की लापरवाही के कारण कुपोषण के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. चमकी बुखार ने सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों को अपनी चपेट में लिया था. इनकी संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी से राज्य सरकार के विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.

सकते में स्वास्थ्य विभाग
एक तरफ जहां राज्य सरकार लगातार बिहार के बढ़ते ग्रोथ रेट को लेकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है. वहीं, दूसरी ओर जिले में 15 दिनों के अंदर अब तक 36 अति कुपोषित बच्चे मिले हैं. सदर अस्पताल से अति कुपोषित बच्चों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग भी सकते में आ गया है.

दर प्रखंड में तेजी से बढ़ रहे कुपोषित बच्चे

आंगनबाड़ी केंद्रों पर लापरवाही का आरोप
अस्पताल की डाइटीशियन सह एनसीआर इंचार्ज डॉक्टर अमिता ने बताया कि बक्सर सदर प्रखंड से पांच बच्चे आये हैं जो अति कुपोषण के शिकार हैं. अगर आंगनबाड़ी केंद्रों से इन बच्चों को पूरी खुराक दी गई होती तो इनकी संख्या न के बराबर होती. 15 दिनों में 36 अति कुपोषण के शिकार बच्चों का मिलना अपने आप में सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाता है.

 बक्सर/एंकर-बक्सर जिला के नावानगर प्रखंड के बाद ,अब बक्सर सदर प्रखंड में भी मिले अति कुपोषण के शिकार पांच बच्चे,बिभाग ने कहा आंगन बाड़ी केंद्रों की लापरवाही के कारण बढ़े है,कुपोषण के मरीज।



एक तरफ जंहा राज्य सरकार लगातार,बिहार की बढ़ रहे ग्रोथ रेट को लेकर अपना पीठ थपथपाने में लगी है,वही दूसरे तरफ इसी बिहार के बक्सर जिला में लगातार बढ़ रहे कुपोषण के शिकार मरीजो की संख्या राज्य सरकार के विकास के दावा को आइना दिखा रहा है, जंहा 15 दिन के अंदर अब तक 36 अति कुपोषण के शिकार बच्चे मिले है।

सूबे के मुखिया नीतीश कुमार एक बार नही हजारो बार मीडिया के सामने न्याय के साथ विकास करने की बात कह अपना पीठ थपथपाने में भले हो कोई कोर कसर नही छोड़ा हो, लेकिन सुशासन बाबू के प्रदेश के ही बक्सर जिला के नावानगर प्रखंड के बाद अब बक्सर  सदर से पांच अति कुपोषित बच्चा मिलने से स्वास्थ्य बिभाग भी सदमे में आ गया है। लगातर सदर अस्पताल के एनसीआर वार्ड में बढ़ रहे अति कुपोषित बच्चों की संख्या को लेकर सदर अस्पताल के डाइटीशियन,सह एनसीआर इंचार्ज डॉक्टर अमिता ने बताया कि आज ही बक्सर सदर प्रखंड से पांच बच्चे आये है,जो अति कुपोषण के शिकार है, अगर आंगन बाड़ी केंद्रों से इन बच्चों को पूरी खुराक दी गई होती तो आक इनकी संख्या न के बराबर होता,लेकिन 15 दिन में 36 अति कुपोषण के शिकार बच्चों को मिलना अपने आप मे सिस्टम पर गम्भीर सवाल।

Byte-डॉक्टर अमिता एनसीआर इंचार्ज सदर हॉस्पिटल

हम आपको बताते चले कि अस्पताल में अपने बच्चों के इलाज कराने पहुँची मताओं ने काउंसिलिंग के दौरान ही आंगन बाड़ी के वास्तविकता का पोल खोल दिया जो etv भारत की कैमरे में कैद हो गया।
सवाल है,की गर्भ से लेकर 59 महीना तक  बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाखों रुपये खर्च कर सरकार द्वारा जो आंगन बाड़ी सेंटर चलाये जा रहे,क्या वह केवल कागजो पर ही चल रहे है,अगर नही तो फिर केवल दो प्रखंडो में कैसे मिले 15 दिन में 36 अति कुपोषित बच्चे।
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