बक्सर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही बिहार का ग्रोथ रेट देश में अव्वल बताकर वाहवाही लूटने में लगे हैं. लेकिन जिले में मिले 5 अतिकुपोषित बच्चे सरकार के इस दावे की पोल खोल रहे हैं. गौरतलब है कि नावानगर प्रखंड में पिछले कुछ दिनों के अंदर 5 अतिकुपोषित बच्चे मिले है. सभी बच्चों को बक्सर सदर अस्पताल के एनआरसी में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. वहीं, इन बच्चों से पहले भी दूसरे-दूसरे प्रखंड से 5 और बच्चों का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है. लेकिन नावानगर प्रखंड से ही 5 अतिकुपोषित बच्चों के मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है.
बतातें चलें कि कुछ दिन पहले नावानगर अस्पताल से आठ माह के मोहित कुमार को बक्सर रेफर किया गया. साथ ही रेंका गांव निवासी मुनमुन साह के पुत्र को कुपोषित होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दाखिल कराया गया था. वहां से उसे एनआरसी केन्द्र बक्सर रेफर कर दिया गया. इसके साथ ही अन्य चार बच्चे भी कुपोषण के शिकार पाए गए है.
मौके से गायब थे चिकित्सक
अस्पताल में इलाजरत बच्चों का जायजा लेने जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो मौके से संबंधित चिकित्सक गायब थे. वहीं, मौजूद नर्स भी कुछ बताने से परहेज करती नजर आई. दरअसल स्वास्थ्य विभाग इन मामलों से अनजान नहीं है. परिवार एवं कल्याण मंत्रालय भी इस तरह के आंकड़ों पर नजर रखता है. ऐसे मामले सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग के साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी सवाल उठेंगे. अस्पताल में बच्चों का इलाज करा रहे परिजनों ने बताया कि पीडीएस डीलरों द्वारा सरकारी अनाज भी समय से उन्हें नहीं मिलता है.
आरबीएस की टीम करती है जांच
सदर अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन के के राय ने बातया कि अतिकुपोषित बच्चों को ही एनआरसी में इलाज के लिए लाया जाता है. हमारी आरबीएस की टीम आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर वहां के बच्चों को जांच करती है. इसके बाद उनमें से अतिकुपोषित बच्चों को यहां इलाज के लिए भेजते हैं. हमलोगों का प्रयास होता है कि बच्चों को इलाज कर जल्द से जल्द ठीक किया जाये.
'पिछले साल भी हो चुकी है मौत'
आपको बतातें चले कि पिछले साल इसी जिले के कोरानसराय में भूख से दो बच्चों की मौत के बाद मामले ने काफी तूल पकड़ा था. इसके बावजूद प्रशासनिक महकमों में इस बार भी पांच अतिकुपोषित बच्चों के मिलने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.