बक्सरः दो वर्ष पूर्व हुए 10 वर्षीय बालक के अपहरण मामले (10 year old boy Kidnapping case) में जेल में बंद 2 कैदियों का पॉलीग्राफ यानी कि लाई डिटेक्टर टेस्ट (Lie detector test of 2 prisoners in Buxar jail) कराया गया. बक्सर में पहली बार किसी कैदी का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया गया है. टेस्ट के लिए दिल्ली से 2 सदस्यीय विशेष टीम बक्सर सेंट्रल जेल में पहुंची थी, जहां तकरीबन 4 घंटे तक आरोपी दोनों कैदियों से सघन पूछताछ की गई. कैदियों से पूछताछ के दौरान जो डेटा एकत्रित किया गया, टीम उसे अपने साथ लेकर चली गई है, जिसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.
पहली बार कराया गया किसी कैदी का लाई डिटेक्टर टेस्टः दरअसल 2 साल पहले औधोगिक थाना क्षेत्र से एक 10 बर्षीय बालक की अपहरण हो जाने की प्राथमिकी परिजनों के द्वारा औधोगिक थाना में दर्ज करवाई गई थी, पुलिस ने त्वरित करवाई करते हुए नामजद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए दोनों आरोपी किसी भी प्रकार से यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि उनके द्वारा ही उस बालक का अपहरण किया गया है. जबकि अपहृत बालक के पिता ने दोनों को नामजद आरोपी बनाया था. ऐसे में पुलिस के अनुरोध पर पटना उच्च न्यायालय के द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने का निर्देश दिया गया.
28 सितंबर 2020 को हुआ था अपहरणः मिली जानकारी के अनुसार औद्योगिक थाना क्षेत्र के दलसागर गांव निवासी लोहा चौहान के 10 वर्ष पुत्र का 28 सितंबर 2020 को अपहरण कर लिया गया था. वह घर से खेलने की बात कह कर निकला था लेकिन, जब नहीं लौटा तो पिता ने यह आशंका जताते हुए दलसागर गांव निवासी कमलेश चौहान तथा दुर्गेश चौहान को आरोपी बनाया था. बाद में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया एवं पूछताछ कर जेल भेज दिया. पुलिस मामले के अनुसंधान में तो लगी रही लेकिन बालक की बरामदगी अब तक नहीं की जा सकी है.
चार घंटे तक चली गहन पूछताछ : वहीं इस पूछताछ को लेकर जब फोन पर कारा अधीक्षक राजीव कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया की, पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए दिल्ली से दो सदस्यीय टीम बक्सर पहुंची थी, जिसने जेल में बंद 2 कैदियों से लाई डिटेक्टर मशीन के माध्यम से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान जो जानकारियां एकत्रित की गई उन जानकारियों के आधार पर मामले के अनुसंधान में आगे का कार्य किया जाएगा.
"पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए दिल्ली से दो सदस्यीय टीम आई थी. जेल में बंद 2 कैदियों से लाई डिटेक्टर मशीन के माध्यम से पूछताछ की गई है पूछताछ के दौरान जो जानकारियां मिली हैं, उन जानकारियों के आधार पर मामले के अनुसंधान में आगे का कार्य किया जाएगा"- राजीव कुमार, कारा अधीक्षक
झूठ पकड़ने के लिए होता है लाई डिटेक्टर टेस्ट: गौरतलब है कि अपराधियों के झूठ पकड़ने के लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है. इस टेस्ट के द्वारा शरीर के विभिन्न स्थानों पर तारों को जोड़ा जाता है और उनके माध्यम से तरंगों को कंप्यूटर या लैपटॉप की सहायता से देखा और उनका अध्ययन किया जाता है. इस दौरान पल्स, ब्लड प्रेशर, हाथ और पैर की मूवमेंट तथा शरीर में होने वाले अन्य परिवर्तनों पर ध्यान रखा जाता है. पहले कैदी से उसके नाम और पते जैसे आसान सवाल पूछे जाते हैं. फिर अचानक उसके सामने घटना से जुड़े प्रश्न रखे जाते हैं. इस दौरान उसके शरीर में हुए परिवर्तन को नोट करते हुए उसका अध्ययन किया जाता है.