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2025 तक टीबी मुक्त होगा भारत : अश्विनी चौबे

बक्सर में स्वास्थ्य व परिवार कल्याण और जनजातीय मंत्रालय द्वारा "टीबी पहल-जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग" कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पटना से मंत्री अश्विनी चौबे ने वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया. जिसमें उन्होंने कहा कि 2025 तक देश को टीबी मुक्त भारत करने का लक्ष्य रखा गया है.

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Published : Mar 26, 2021, 9:58 PM IST

बक्सर : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है. हमारे प्रधानमंत्री ने 2025 तक ही भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. प्रधानमंत्री के संकल्प के अनुरूप ही देश निर्धारित समय सीमा में टीबी मुक्त हो जाएगा. इसे लेकर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय कटिबद्ध है. इस कड़ी में "टीबी पहल-जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग" कार्यक्रम का इस समुदाय में बीमारी के प्रति जागरूकता व इलाज में मील का पत्थर साबित होगा.

टीबी बीमारी से सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय प्रभावित
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने अश्विनी चौबे ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण और जनजातीय मंत्रालय द्वारा "टीबी पहल-जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग" अभियान को पटना से वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के इलाज व जागरूकता के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न दृष्टिकोणों के माध्यम से उन समुदायों तक पहुंचने की कार्यनीति विकसित कर रहे हैं. एक लाख व्यक्ति पर टीबी का मरीज 703 जनजातीय समुदाय से है. जबकि राष्ट्रीय औसत 256 व्यक्ति , 1 लाख पर है. टीबी मरीजों में 10.4 प्रतिशत जनजातीय समुदाय से है. जनजातीय समुदायों को टीबी रोग के शीघ्र निदान और उपचार में सहायता करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ समन्वय कार्यकलापों का लगातार अनुसरण करेगा और कार्यनीति बनाएगा.

केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे
केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे

जनजातीय समुदाय बनेंगे सशक्त
मंत्रालय प्राथमिकता वाले राज्यों के स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों में इन दृष्टिकोणों को शामिल करने की पहल कर चुका है. इस संयुक्त प्रयास से, टीबी. परिचर्या और उपचार के आत्म-निर्भर-भारत मॉडल का भारतीय स्वास्थ्य परिचर्या पारिस्थितिक-जीवतंत्र को बदलने का केंद्र बिंदु होगा. जहां जनजातीय समुदाय आगे आने में सशक्त होंगे और उस स्वास्थ्य परिचर्या का लाभ उठा सकेंगे जो सुलभ और सस्ती है. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री चौबे ने कहा कि वर्ष 2020 के दौरान जब विश्व ने देखा कि कोविड-19 महामारी ने अनेकों राष्ट्रों की समस्त स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई है वहीं भारत ने इस बीमारी से डटकर मुकाबला किया और पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम की. नवीन प्रयासों तथा अपनी स्वास्थ्य पद्धति की सतत सहायता से हमने उन चुनौतियों को नए अवसरों में बदला है. हमने कोविड-19 तथा टीबी के द्वि-दिशापरक जांच संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें- विश्व यक्ष्मा दिवस: 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' जन आंदोलन कार्यक्रम की स्वास्थ्य मंत्री ने की शुरुआत

टीबी मरीजों के बीच 1005 करोड़ का वितरण
जनजातीय समुदायों का सशक्तिकरण जनजातीय टीबी पहल का एक प्रमुख मार्गदर्शी सिद्धांत है और यह न केवल कार्यक्रम तैयार करने में बल्कि इसकी शासन संरचना से भी जुड़ा है. पंचायती राज संस्थाओं को साथ लेते हुए जिला और राज्य स्तरीय शासन तंत्र के माध्यम से जनजातीय समुदाय मिलकर निर्णय लेने में सक्षम होंगे. उन्होंने कहा कि समाज और मरीज़ों की राष्ट्रीय क्षय रोग कार्यक्रम में भागीदारी बढ़ाने के लिए हमने 2019 में नेशनल टीबी फोरम की स्थापना भी की है. एनडीए की सरकार ने टीबी के विरूद्ध इस संघर्ष में साहसपूर्ण, महत्‍वाकांक्षी एवं सुदृढ़ प्रतिबद्धता के साथ एक नई कार्यनीति बनाई और इस सोच में बदलाव किए हैं. कोरोना ने टीबी देखभाल में जो चुनौतियां पैदा की हैं हम उनसे भी लड़ रहे हैं. इसके लिए हम टीबी सेवाओं की आधारभूत संरचना को सशक्त और विकसित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. निक्षय पोषण योजना के माध्यम से 40 लाख से भी अधिक टीबी मरीज़ को 1005 करोड़ रुपए से अधिक राशि वितरित की गई है.

बक्सर : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है. हमारे प्रधानमंत्री ने 2025 तक ही भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. प्रधानमंत्री के संकल्प के अनुरूप ही देश निर्धारित समय सीमा में टीबी मुक्त हो जाएगा. इसे लेकर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय कटिबद्ध है. इस कड़ी में "टीबी पहल-जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग" कार्यक्रम का इस समुदाय में बीमारी के प्रति जागरूकता व इलाज में मील का पत्थर साबित होगा.

टीबी बीमारी से सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय प्रभावित
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने अश्विनी चौबे ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण और जनजातीय मंत्रालय द्वारा "टीबी पहल-जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग" अभियान को पटना से वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के इलाज व जागरूकता के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न दृष्टिकोणों के माध्यम से उन समुदायों तक पहुंचने की कार्यनीति विकसित कर रहे हैं. एक लाख व्यक्ति पर टीबी का मरीज 703 जनजातीय समुदाय से है. जबकि राष्ट्रीय औसत 256 व्यक्ति , 1 लाख पर है. टीबी मरीजों में 10.4 प्रतिशत जनजातीय समुदाय से है. जनजातीय समुदायों को टीबी रोग के शीघ्र निदान और उपचार में सहायता करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ समन्वय कार्यकलापों का लगातार अनुसरण करेगा और कार्यनीति बनाएगा.

केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे
केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे

जनजातीय समुदाय बनेंगे सशक्त
मंत्रालय प्राथमिकता वाले राज्यों के स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों में इन दृष्टिकोणों को शामिल करने की पहल कर चुका है. इस संयुक्त प्रयास से, टीबी. परिचर्या और उपचार के आत्म-निर्भर-भारत मॉडल का भारतीय स्वास्थ्य परिचर्या पारिस्थितिक-जीवतंत्र को बदलने का केंद्र बिंदु होगा. जहां जनजातीय समुदाय आगे आने में सशक्त होंगे और उस स्वास्थ्य परिचर्या का लाभ उठा सकेंगे जो सुलभ और सस्ती है. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री चौबे ने कहा कि वर्ष 2020 के दौरान जब विश्व ने देखा कि कोविड-19 महामारी ने अनेकों राष्ट्रों की समस्त स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई है वहीं भारत ने इस बीमारी से डटकर मुकाबला किया और पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम की. नवीन प्रयासों तथा अपनी स्वास्थ्य पद्धति की सतत सहायता से हमने उन चुनौतियों को नए अवसरों में बदला है. हमने कोविड-19 तथा टीबी के द्वि-दिशापरक जांच संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

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टीबी मरीजों के बीच 1005 करोड़ का वितरण
जनजातीय समुदायों का सशक्तिकरण जनजातीय टीबी पहल का एक प्रमुख मार्गदर्शी सिद्धांत है और यह न केवल कार्यक्रम तैयार करने में बल्कि इसकी शासन संरचना से भी जुड़ा है. पंचायती राज संस्थाओं को साथ लेते हुए जिला और राज्य स्तरीय शासन तंत्र के माध्यम से जनजातीय समुदाय मिलकर निर्णय लेने में सक्षम होंगे. उन्होंने कहा कि समाज और मरीज़ों की राष्ट्रीय क्षय रोग कार्यक्रम में भागीदारी बढ़ाने के लिए हमने 2019 में नेशनल टीबी फोरम की स्थापना भी की है. एनडीए की सरकार ने टीबी के विरूद्ध इस संघर्ष में साहसपूर्ण, महत्‍वाकांक्षी एवं सुदृढ़ प्रतिबद्धता के साथ एक नई कार्यनीति बनाई और इस सोच में बदलाव किए हैं. कोरोना ने टीबी देखभाल में जो चुनौतियां पैदा की हैं हम उनसे भी लड़ रहे हैं. इसके लिए हम टीबी सेवाओं की आधारभूत संरचना को सशक्त और विकसित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. निक्षय पोषण योजना के माध्यम से 40 लाख से भी अधिक टीबी मरीज़ को 1005 करोड़ रुपए से अधिक राशि वितरित की गई है.

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