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निर्भया के आरोपियों को फांसी देने के लिए बक्सर में बनने लगी है रस्सी

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Published : Dec 9, 2019, 10:54 AM IST

Updated : Dec 9, 2019, 3:16 PM IST

बक्सर जेल में बनी रस्सी से ही निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा दी जायेगी. यहीं की बनी रस्सी से ही कसाब, अफजल गुरू और याकूब को फांसी दी गई थी.

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मनीला रस्सी

बक्सर: जब भी किसी अपराधी को मौत की सजा दी जाती है तो बक्सर की मनीला रस्सी की चर्चा शुरू हो जाती है. पूरे देश में केवल बक्सर जेल में ही फांसी देने वाली खास रस्सी तैयार होती है. यहीं की बनी रस्सी से कसाब व अफजल जैसे देश के दुश्मनों को फांसी दी गई थी.

जेल अधीक्षक ने क्या कहा?
केन्द्रीय कारा बक्सर के अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि बक्सर जेल में फांसी के फंदे का निर्माण पहले से ही होता रहा है. यह यहां के लिए सामान्य बात है. देश की किसी जेल में फांसी देने के लिए यहीं से फंदा भेजा जाता है. फंदा खत्म होने की वजह से निर्माण किया जा रहा है. फिलहाल,10 फंदों का निर्माण कराया जा रहा है. अगर कहीं से भी आधिकारिक तौर पर फंदे की मांग की जाएगी तो उपलब्ध करवाया जाएगा. अभी तक आधिकारिक तौर पर कहीं से डिमांड नहीं आया है.

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विजय कुमार अरोड़ा, जेल अधीक्षक

निर्भया के आरोपी फांसी के फंदे पर लटकेंगे?
बता दें कि दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका लगाई है. इस मामले में दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज चुकी है. अब गृह मंत्रालय निर्भया के दरिंदों की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजेगा. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस पर फैसला लेंगे.

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बक्सर जेल

फांसी के लिए बक्सर से भेजी है रस्सी
बक्सर जेल में 1884 में पहली बार बने फंदे से भारतीय कैदी को फांसी दी गई. इसके बाद देश की तमाम जेलों में फांसी के लिए बक्सर से ही रस्सी को मंगाया जाता है. मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब को फांसी देने में भी बक्सर जेल में बनी रस्सी का प्रयोग किया था.

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बक्सर में बनी रस्सी

ये भी पढ़ेंः लोकसभा में आज पेश किया जाएगा नागरिकता (संशोधन) विधेयक

फांसी वाली रस्सी का इतिहास
वर्ष 1844 ई. में अंग्रेज शासकों द्वारा केन्द्रीय कारा बक्सर में मौत का फंदा तैयार करने की फैक्ट्री लगाई गई थी. यहां तैयार किए गए मौत के फंदे से पहली बार सन 1884 ई. में एक भारतीय नागरिक को फांसी पर लटकाया गया था.

खास है 'मनीला' रस्सी
इससे पहले यह रस्सी फिलीपिंस के मनीला जेल में बनती थी, इसलिए इसे मनीला रस्सी भी कहा जाता है. देश में जब-जब मौत का फरमान जारी होता है, केंद्रीय कारा, बक्सर के कैदी ही मौत का फंदा तैयार करते हैं. इसे खास किस्म के धागों से तैयार किया जाता है.

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मनीला रस्सी

ऐसे बनती हैं रस्सियां
जेल मैनुअल के अनुसार एक फांसी की रस्सी को तैयार करने में 3 से 4 दिनों का समय लगता है. यहां दो प्रशिक्षित कैदियों की देखरेख में इस काम को अंजाम दिया जाता है. बाकायदा कारागार परिसर में इनके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था है. इन रस्सियों को एक तय मानक के अनुरूप लम्बाई, चौड़ाई व वजन निर्धारित है.

जानकारी देते जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा

मौत के फंदे की कीमत 1700 रुपये
पहले कच्चे सूत से एक-एक कर अठारह धागे तैयार किए जाते हैं. इसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है. एक पीतल के बुश पर इस प्रकार ऐठन किया जाता है कि 56 फिट लंबी रस्सी 16 फिट की हो जाती है. यही 16 फीट की रस्सी फांसी के लिए तैयार हो जाती है. इसकी कीमत 1700 रुपये रखी गई है.

बक्सर: जब भी किसी अपराधी को मौत की सजा दी जाती है तो बक्सर की मनीला रस्सी की चर्चा शुरू हो जाती है. पूरे देश में केवल बक्सर जेल में ही फांसी देने वाली खास रस्सी तैयार होती है. यहीं की बनी रस्सी से कसाब व अफजल जैसे देश के दुश्मनों को फांसी दी गई थी.

जेल अधीक्षक ने क्या कहा?
केन्द्रीय कारा बक्सर के अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि बक्सर जेल में फांसी के फंदे का निर्माण पहले से ही होता रहा है. यह यहां के लिए सामान्य बात है. देश की किसी जेल में फांसी देने के लिए यहीं से फंदा भेजा जाता है. फंदा खत्म होने की वजह से निर्माण किया जा रहा है. फिलहाल,10 फंदों का निर्माण कराया जा रहा है. अगर कहीं से भी आधिकारिक तौर पर फंदे की मांग की जाएगी तो उपलब्ध करवाया जाएगा. अभी तक आधिकारिक तौर पर कहीं से डिमांड नहीं आया है.

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विजय कुमार अरोड़ा, जेल अधीक्षक

निर्भया के आरोपी फांसी के फंदे पर लटकेंगे?
बता दें कि दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका लगाई है. इस मामले में दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज चुकी है. अब गृह मंत्रालय निर्भया के दरिंदों की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजेगा. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस पर फैसला लेंगे.

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बक्सर जेल

फांसी के लिए बक्सर से भेजी है रस्सी
बक्सर जेल में 1884 में पहली बार बने फंदे से भारतीय कैदी को फांसी दी गई. इसके बाद देश की तमाम जेलों में फांसी के लिए बक्सर से ही रस्सी को मंगाया जाता है. मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब को फांसी देने में भी बक्सर जेल में बनी रस्सी का प्रयोग किया था.

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बक्सर में बनी रस्सी

ये भी पढ़ेंः लोकसभा में आज पेश किया जाएगा नागरिकता (संशोधन) विधेयक

फांसी वाली रस्सी का इतिहास
वर्ष 1844 ई. में अंग्रेज शासकों द्वारा केन्द्रीय कारा बक्सर में मौत का फंदा तैयार करने की फैक्ट्री लगाई गई थी. यहां तैयार किए गए मौत के फंदे से पहली बार सन 1884 ई. में एक भारतीय नागरिक को फांसी पर लटकाया गया था.

खास है 'मनीला' रस्सी
इससे पहले यह रस्सी फिलीपिंस के मनीला जेल में बनती थी, इसलिए इसे मनीला रस्सी भी कहा जाता है. देश में जब-जब मौत का फरमान जारी होता है, केंद्रीय कारा, बक्सर के कैदी ही मौत का फंदा तैयार करते हैं. इसे खास किस्म के धागों से तैयार किया जाता है.

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मनीला रस्सी

ऐसे बनती हैं रस्सियां
जेल मैनुअल के अनुसार एक फांसी की रस्सी को तैयार करने में 3 से 4 दिनों का समय लगता है. यहां दो प्रशिक्षित कैदियों की देखरेख में इस काम को अंजाम दिया जाता है. बाकायदा कारागार परिसर में इनके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था है. इन रस्सियों को एक तय मानक के अनुरूप लम्बाई, चौड़ाई व वजन निर्धारित है.

जानकारी देते जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा

मौत के फंदे की कीमत 1700 रुपये
पहले कच्चे सूत से एक-एक कर अठारह धागे तैयार किए जाते हैं. इसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है. एक पीतल के बुश पर इस प्रकार ऐठन किया जाता है कि 56 फिट लंबी रस्सी 16 फिट की हो जाती है. यही 16 फीट की रस्सी फांसी के लिए तैयार हो जाती है. इसकी कीमत 1700 रुपये रखी गई है.

Intro:प्रायः देश मे कहीं भी किसी गुनहगार को फांसी पर लटकाना होता है तो बक्सर सेंट्रल जेल को याद किया जाता रहा है ।बहुचर्चित अफजल गुरू की फांसी का मामला हो या कोई और बक्सर सेंट्रल जेल में तैयार रस्सी से बने फंदे पर ही लटका कर मौत की सजा पूरी की गई ।एक बार फिर बक्सर सेंट्रल जेल को 10 फांसी के फंदे तैयार करने के निर्देश मिले हैं ।प्राप्त जानकारी के अनुसार 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया कांड के दोषी करार दिये जा चुके चारों गुनाहगारों को इन्हीं फंदों पर लटकाया जा सकता है ।Body:बक्सर सेंट्रल जेल के कारा अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा की माने तो वरीय अधिकारियों का एक निर्देश मिला है कि 10 फंदे तैयार करके रखें जाए ।आपकों बताते चलें कि बक्सर सेंट्रल जेल में फांसी के फंदे अंग्रेजों के समय से ही बनते आ रहें हैं ।बल्कि यूं कहें कि पूरे देश में केवल बक्सर सेंट्रल जेल में ही बनते थे ।अंग्रेज शुरू में इसे फिलीपींस के मनीला से बनवाकर मंगवाते थे ।बाद करीब 1844 ईसवी के आसपास बक्सर केंद्रीय कारा में बनने की व्यवस्था की गई ।तब से यह बक्सर के केंद्रीय कारा में बनाई जाने लगी ।शुरुआत में मनीला से आने के कारण इसे आज भी मनीला रस्सी के नाम से जाना जाता है ।यह एक खास किस्म के धागे से बनता है जिसमे 7200 धागों को मिलाकर एक रूप में तैयार किया जाता है।एक पीतल के बुश पर इस प्रकार ऐठन किया जाता है कि 56 फिट लंबी रस्सी 16 फिट की हो जाती है ।फिर इसे हर तरह परखा जाता है ।एक रस्सी को बनाने में लगभग 3 से 4 दिन लग जातें हैं ।इसकी कीमत करीब 1700 रुपये होती है ।
बाइट विजय कुमार अरोड़ा जेल अधीक्षक केंद्रीय कारा बक्सर ।Conclusion:
Last Updated : Dec 9, 2019, 3:16 PM IST
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