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यूरिया की किल्लत से जूझ रहे किसान, कृषि पदाधिकारी बोले- 'गांव तक पहुंचाने का नहीं लिया ठेका'

बक्सर में किसान यूरिया के लिए जूझ रहे हैं. दिनभर भूखे प्यासे लाइन लगाने के बावजूद भी उन्हें खाद नहीं मिल रही है. जिससे फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं. वहीं, कृषि विभाग का दावा है कि यूरिया की यहां पर कोई दिक्कत नहीं है.

किसान
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Published : Sep 23, 2021, 11:41 AM IST

बक्सर: बिहार में आयी बाढ़ से ज्यादातर इलाकों में फसलें बर्बाद (Crops Destroyed by Flood) हो गयी. वहीं, जो फसलें बची हैं, वह खाद की कमी से नष्ट (Crops Destroyed due to Lack of Fertilizer) होने की कगार पर हैं. ताजा मामला बक्सर का है, जहां यूरिया के लिए लगातार किसान संघर्ष (Farmers Struggling for Urea) कर रहे हैं. विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. लेकिन कालाबाजारी जारी है. लोग कृषि कार्यालय और दुकानों का चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि कृषि पदाधिकारी का दावा है कि कहीं भी यूरिया की दिक्कत नहीं है. वार्ड, पंचायत और गांव तक यूरिया पहुंचाने का ठेका विभाग ने नहीं लिया है.

ये भी पढ़ें- कृषि मंत्री के दावों से उलट जमुई में यूरिया की किल्लत से किसान परेशान, कालाबाजारी का लगाया आरोप

डुमराव अनुमंडल अंतर्गत नवानगर इलाके के किसानों ने बताया कि सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि 8 बजे तक यूरिया के लिए भटक रहे हैं. लेकिन यूरिया नहीं मिल रही है. जिस दुकानदार के पास यूरिया है. वह मनमाने दाम पर अपने लोगों को बेच रहे हैं. उत्तरा नक्षत्र में धान के गाभे में बाली आना शुरू हो गया है. ऐसे में यदि यूरिया का छिड़काव नहीं हुआ तो 15 से 20 प्रतिशत उत्पादन कम हो जाएगा. दुकानों पर कालाबाजारी जारी है. अपने परिचितों को दुकानदार खाद उपलब्ध करवा रहे हैं. 300 से लेकर 500 रुपये बोरी के हिसाब से खाद मिल रही है.

देखें वीडियो

हालांकि खाद विक्रेताओं का कहना है कि विभाग के द्वारा सीमित मात्रा में यूरिया दुकानदारों को उपलब्ध करायी जा रही है. जबकि किसानों की संख्या अधिक है. जिससे लोग झगड़ा करने पर उतारू हो जा रहे हैं. हम लोग चाहकर भी किसानों की मदद नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं, इस संबंध में पूछे जाने पर जिला कृषि पदाधिकारी गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उन्होंने कह दिया कि कैमरा, माइक लेकर घूमने वाले लोग किसान नहीं हैं और न ही कृषि एवं कृषक के बारे में उन्हें कुछ जानकारी है. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के द्वारा कृषि विभाग को कोई भी आंकड़ा साझा करने और बयान देने से माना किया गया है. पूरे जिले में एक हजार 484 मीट्रिक टन यूरिया दुकानदारों को उपलब्ध कराने के बाद भी विभाग के पास भंडारण है. जिसे लेने वाला कोई नहीं है. जो किसान इस तरह की बात कह रहे हैं, वह बार्गेनिंग कर रहे हैं. विभाग वार्ड, पंचायत और गांव तक यूरिया पहुंचाने का ठेका नहीं लिया है.

ये भी पढ़ें- नालंदा में खाद के लिए सड़क पर किसान, समझाने गए ASI को लोगों ने लाठी-डंडे से पीटा

कृषि विभाग के पोर्टल के अनुसार 1 लाख 42 हजार किसानों ने जिले के 11 प्रखंडों में 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की है. अगस्त में आयी बाढ़ की चपेट में आने से 7 हजार हेक्टेयर भूमि पर लगी फसलें प्रभावित हुई हैं. जिसमें से 4 हजार 200 हेक्टेयर भूमि में लगी 33 प्रतिशत से अधिक फसल क्षतिग्रस्त हुई है.

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने से पहले, बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश में किसानों की स्थिति काफी गम्भीर है. हमारी सरकार बनी तो किसानों की आमदनी दुगनी होगी. लेकिन इस बार भी मई में यास चक्रवात के चपेट में आयी फसलों का मुआवजा विभाग के द्वारा अभी नहीं दिया गया. 142 किसान आवेदन करके 4 महीने से कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

बक्सर: बिहार में आयी बाढ़ से ज्यादातर इलाकों में फसलें बर्बाद (Crops Destroyed by Flood) हो गयी. वहीं, जो फसलें बची हैं, वह खाद की कमी से नष्ट (Crops Destroyed due to Lack of Fertilizer) होने की कगार पर हैं. ताजा मामला बक्सर का है, जहां यूरिया के लिए लगातार किसान संघर्ष (Farmers Struggling for Urea) कर रहे हैं. विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. लेकिन कालाबाजारी जारी है. लोग कृषि कार्यालय और दुकानों का चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि कृषि पदाधिकारी का दावा है कि कहीं भी यूरिया की दिक्कत नहीं है. वार्ड, पंचायत और गांव तक यूरिया पहुंचाने का ठेका विभाग ने नहीं लिया है.

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डुमराव अनुमंडल अंतर्गत नवानगर इलाके के किसानों ने बताया कि सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि 8 बजे तक यूरिया के लिए भटक रहे हैं. लेकिन यूरिया नहीं मिल रही है. जिस दुकानदार के पास यूरिया है. वह मनमाने दाम पर अपने लोगों को बेच रहे हैं. उत्तरा नक्षत्र में धान के गाभे में बाली आना शुरू हो गया है. ऐसे में यदि यूरिया का छिड़काव नहीं हुआ तो 15 से 20 प्रतिशत उत्पादन कम हो जाएगा. दुकानों पर कालाबाजारी जारी है. अपने परिचितों को दुकानदार खाद उपलब्ध करवा रहे हैं. 300 से लेकर 500 रुपये बोरी के हिसाब से खाद मिल रही है.

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हालांकि खाद विक्रेताओं का कहना है कि विभाग के द्वारा सीमित मात्रा में यूरिया दुकानदारों को उपलब्ध करायी जा रही है. जबकि किसानों की संख्या अधिक है. जिससे लोग झगड़ा करने पर उतारू हो जा रहे हैं. हम लोग चाहकर भी किसानों की मदद नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं, इस संबंध में पूछे जाने पर जिला कृषि पदाधिकारी गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उन्होंने कह दिया कि कैमरा, माइक लेकर घूमने वाले लोग किसान नहीं हैं और न ही कृषि एवं कृषक के बारे में उन्हें कुछ जानकारी है. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के द्वारा कृषि विभाग को कोई भी आंकड़ा साझा करने और बयान देने से माना किया गया है. पूरे जिले में एक हजार 484 मीट्रिक टन यूरिया दुकानदारों को उपलब्ध कराने के बाद भी विभाग के पास भंडारण है. जिसे लेने वाला कोई नहीं है. जो किसान इस तरह की बात कह रहे हैं, वह बार्गेनिंग कर रहे हैं. विभाग वार्ड, पंचायत और गांव तक यूरिया पहुंचाने का ठेका नहीं लिया है.

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कृषि विभाग के पोर्टल के अनुसार 1 लाख 42 हजार किसानों ने जिले के 11 प्रखंडों में 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की है. अगस्त में आयी बाढ़ की चपेट में आने से 7 हजार हेक्टेयर भूमि पर लगी फसलें प्रभावित हुई हैं. जिसमें से 4 हजार 200 हेक्टेयर भूमि में लगी 33 प्रतिशत से अधिक फसल क्षतिग्रस्त हुई है.

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने से पहले, बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश में किसानों की स्थिति काफी गम्भीर है. हमारी सरकार बनी तो किसानों की आमदनी दुगनी होगी. लेकिन इस बार भी मई में यास चक्रवात के चपेट में आयी फसलों का मुआवजा विभाग के द्वारा अभी नहीं दिया गया. 142 किसान आवेदन करके 4 महीने से कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

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