बक्सर: राज्य सरकार और जिला प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी जिला के किसानों की धान की खरीद अब तक नहीं हो पाई है. किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा तय किए गए एमएसपी पर पैक्स कर्मी धान नहीं खरीद रहे हैं. प्रत्येक क्विंटल पर 5 किलो से 8 किलो अधिक धान लिया जा रहा है.
नहीं खुल रहा सहकारिता विभाग का पोर्टल
बक्सर में कृषि विभाग के पोर्टल पर 1 लाख 20 हजार से अधिक किसान रजिस्टर्ड हैं, जबकि सहकारिता विभाग के पोर्टल पर धान विक्री करने वाले लगभग 5 हजार किसान ही अब तक रजिस्ट्रेशन करवा पाए हैं. किसानों ने बताया कि सहकारिता विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने में काफी परेशानी हो रही है. 8 दिन से साईबर कैफे का चक्कर लगाने के बाद भी अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया. विभाग का पोर्टल खुल नहीं रहा है.
मंत्री ने दी ज्ञान बढ़ाने की नसीहत
बक्सर पहुंचे बिहार सरकार के कृषि और सहकारिता मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह से पत्रकारों ने किसानों की समस्या के संबंध में सवाल पूछा. इसपर मंत्री ने पत्रकारों को अल्प ज्ञानी कहा और उन्हें ज्ञान बढ़ाने की नसीहत दी. मंत्री ने कहा "अब धान बेचने के लिए सहकारिता विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना जरूरी नहीं है. कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसान सीधे अपना धान सरकारी समिति को बेच सकते हैं. पत्रकारों को अपना ज्ञान बढ़ाने और सरकार के बनाए नियम को समझने की जरूरत है."
पत्रकारों के ज्ञान पर सवाल उठाने वाले मंत्री के ज्ञान पर उस वक्त प्रश्न चिह्न लग गया जब नावानगर के पैक्स अध्यक्ष मृत्युंजय मिश्रा ने कहा "मंत्री दलील दे रहे हैं. जब तक किसान सहकारिता विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे तब तक उनके धान की खरीद किसी भी सरकारी संस्था द्वारा नहीं की जाएगी. सहकारिता विभाग द्वारा लाखों रुपए का विज्ञापन निकालकर इसकी जानकारी दी गई थी. वैसे किसान जिनके धान में 67% चावल नहीं निकल रहा है. उनसे अधिक धान भी लिया जा रहा है. सरकार के कहने से क्या हो जाएगा. पैक्स कर्मी अपने घर से मानक के अनरूप चावल नहीं देंगे. इसलिए धान कुटवाने के बाद चावल वजन करके ही धान लिया जा रहा है."
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1868 रुपए की जगह पैक्स 1500 रुपए क्विंटल खरीद रहे धान
"सरकार ने साधारण धान की कीमत 1868 रुपए जबकि ए ग्रेड के धान की कीमत 1888 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है. इसके बाद भी पैक्स द्वारा 1500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ही भुगतान किया जा रहा है. इसकी लिखित शिकायत मैंने सहकारिता विभाग के अधिकारी और मंत्री से की है. 20 दिन गुजर गए लेकिन अब तक कोई कर्रवाई नहीं हुई. 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से पैसा लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. मैं सरकार द्वारा तय किया गया मूल्य ही लूंगा."- अवध बिहारी, किसान
गौरतलब है कि 31 जनवरी तक जिला में 1 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान की खरीददारी करने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक लगभग 50 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद हो पाई है. देखने वाली बात यह होगी कि क्या 5 दिन में ही 1 लाख मीट्रिक टन धान की खरीददारी हो जाती है.