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बक्सर: पंचकोश यात्रा के लिए पहुंचे हजारों श्रद्धालु, भगवान राम से जुड़ा है ये पवित्र स्थल - Panchkosh Yatra

पंचकोश यात्रा में आए श्रद्धालुओं के लिए खास व्यवस्था की जाती है. श्रद्धालु यहां स्थित मंदिरों में पूजा अर्चना कर सपरिवार सुख और समृद्धि की कामना करते हैं.

बक्सर
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Published : Nov 21, 2019, 11:54 AM IST

बक्सर: जिले में ऐतिहासिक पंचकोशी मेला चल रहा है. इस अवसर पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं. यहां गंगा घाटों पर स्नान करने के बाद लिट्टी चोखा खाने की परंपरा है. पंचकोश यात्रा लेकर पुलिस भी मुस्तैद दिख रही है.

हजारों श्रद्धालु बक्सर के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान करने पहुंचे हुए हैं. यहां स्नान करने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. साथ ही शहर के किला मैदान में हजारों लोग जुटे हुए हैं. इस अवसर पर एक अनोखी परंपरा है. स्नान करने के बाद लोग यहां लिट्टी चोखा बनाने में जुट जाते हैं, लिट्टी चोखा ही प्रसाद माना जाता है.

ये भी पढ़ें: पटना: कृषि विभाग ने लगाया किसान चौपाल, आधुनिक खेती को लेकर किया गया जागरूक

हिन्दू धर्म में हैं कई मान्यताएं
इस मेले को लेकर हिन्दू धर्म में कई मान्यताएं हैं. लोगों का कहना है कि पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना है. भगवान श्रीराम विश्वामित्र नगरी बक्सर पहुंचे थे, तब उन्होंने यहां पांच जगहों की यात्रा की थी. जहां जो कुछ खाएं उस व्यंजन को लोग प्रसाद समझकर खाते हैं. पंचकोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में भगवान श्रीराम ने बक्सर में लिट्टी चोखा खाकर विदा हुए थे. इसके बाद से ही श्रद्धालु लिट्टी चोखा को प्रसाद के रूप में खाते हैं.

पुरोहित और श्रद्धालु का बयान

पंचकोश यात्रा को लेकर प्रशासन मुस्तैद
पंचकोश यात्रा में आए श्रद्धालुओं के लिए खास व्यवस्था की जाती है. इसको लेकर पुलिस अलर्ट है. जगह-जगह सादे ड्रेस में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं. वहीं, श्रद्धालु पंचकोश यात्रा को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं. श्रद्धालु यहां स्थित मंदिरो में पूजा अर्चना कर सपरिवार सुख और समृद्धि की कामना करते हैं.

बक्सर: जिले में ऐतिहासिक पंचकोशी मेला चल रहा है. इस अवसर पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं. यहां गंगा घाटों पर स्नान करने के बाद लिट्टी चोखा खाने की परंपरा है. पंचकोश यात्रा लेकर पुलिस भी मुस्तैद दिख रही है.

हजारों श्रद्धालु बक्सर के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान करने पहुंचे हुए हैं. यहां स्नान करने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. साथ ही शहर के किला मैदान में हजारों लोग जुटे हुए हैं. इस अवसर पर एक अनोखी परंपरा है. स्नान करने के बाद लोग यहां लिट्टी चोखा बनाने में जुट जाते हैं, लिट्टी चोखा ही प्रसाद माना जाता है.

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हिन्दू धर्म में हैं कई मान्यताएं
इस मेले को लेकर हिन्दू धर्म में कई मान्यताएं हैं. लोगों का कहना है कि पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना है. भगवान श्रीराम विश्वामित्र नगरी बक्सर पहुंचे थे, तब उन्होंने यहां पांच जगहों की यात्रा की थी. जहां जो कुछ खाएं उस व्यंजन को लोग प्रसाद समझकर खाते हैं. पंचकोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में भगवान श्रीराम ने बक्सर में लिट्टी चोखा खाकर विदा हुए थे. इसके बाद से ही श्रद्धालु लिट्टी चोखा को प्रसाद के रूप में खाते हैं.

पुरोहित और श्रद्धालु का बयान

पंचकोश यात्रा को लेकर प्रशासन मुस्तैद
पंचकोश यात्रा में आए श्रद्धालुओं के लिए खास व्यवस्था की जाती है. इसको लेकर पुलिस अलर्ट है. जगह-जगह सादे ड्रेस में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं. वहीं, श्रद्धालु पंचकोश यात्रा को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं. श्रद्धालु यहां स्थित मंदिरो में पूजा अर्चना कर सपरिवार सुख और समृद्धि की कामना करते हैं.

Intro:पांच कोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में श्रद्धालु का जत्था पहुचा बक्सर,गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु बना रहे है लिट्टी चोखा।Body:



एंकर - बक्सर का ऐतिहासिक पंचकोशी मेला को लेकर मुनि विश्वामित्र के नगरी बक्सर में श्रधालुओ की भारी भीड़ जुटी। बक्सर के अलावे दूर दराज के क्षेत्रो से भी भारी संख्या में लोग पहुंचे। मान्यता के अनुसार पहले लाखो लोगो ने बक्सर के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान कर मंदिरो में पूजा अर्चना की। इसके बाद लोगो ने समूह बनाकर लिट्टी चोखा का आयोजन किया। इस दौरान गंगा का तटीय इलाका और बक्सर के किला मैदान में मेला का नजारा दिखा। 

वीओ -०१-बक्सर के पंचकोशी मेले को लेकर देर रात से ही लोगो का आवागमन शुरू हो गया था। मेले के कारण पुरे शहर में भीड़ भाड़ का आलम रहा। सुबह सुबह भारी संख्या में पहुंचे लोगो ने बक्सर के ऐतिहासिक रामरेखा घाट पर गंगा में डुबकी लगाई और पवित्र स्नान के बाद पहले पूजा अर्चना का दौर चला। लोगो ने मंदिरो में पूजा अर्चना की और सपरिवार सुख और समृद्धि की कामना की। इस दौरान लोगो ने दान पुण्य का भी काम किया। दूर दराज से पहुंचे लोगो ने सुबह के तीन बजे तक पूजा पाठ कर लिट्टी चोखा की तैयारी में लग गए। सुबह से शुरू यह आयोजन देर रात तक चलता रहेगा। हलाकि पचकोश मेले में पहुंचे श्श्रद्धालुओ में काफी उत्साह दिखा। वही लोगो ने पचकोश फेमस लिट्टी चोखा खाने का धार्मिक राज़ भी बताया। 



बाइट - विकि बाबा पंडा रामेश्वर मन्दिर।

बाइट - महिला श्रद्धालू। 


वीओ -०२-  सदियों से बक्सर की पावन धरती पर लगनेवाले पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना है। इस मेले का सरोकार सीधे भगवन श्रीराम से है। ऐसी मान्यता है की भगवान श्रीराम जब विश्वामित्र नगरी पहुंचे तब उन्होंने पांच जगहों की यात्रा की। सबसे पहले बक्सर के अहिल्या धाम अहिरौली में माता अहिल्या का उद्धार कर श्रीराम ने पुआ खाकर इस आयोजन की सुरुआत की थी। इस दौरान भगवान राम ने बक्सर के कुल पांच जगहों का भ्रमण किया और जंहा जो कुछ खाया उस व्यंजन को लोग प्रसाद समझकर खाते है। पंचकोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में भगवन श्रीराम ने बक्सर में लिट्टी चोखा खाकर विदा लिया था। यह तब की बात है जब बक्सर का पौराणिक नाम व्याघ्रसर था। उस वक्त मुनि विश्वामित्र ने भगवान राम को वर्तमान बक्सर के आध्यात्मिक बैभव से अवगत कराया था। 


बाइट - प्रपन्नाचार्य महाराज जी
- पंचकोश यात्रा के दौरान आयोजित पंचकोश मेले में काफी संख्या में लोग दूर दराज से आते है लिहाजा भीड़भाड़ को देखते हुए पुलिस भी काफी अलर्ट है।जगह जगह सादे लिवास के अलावे वर्दीधारियों को सुरक्षा जवानो को के अलावे अधिकारी भी मुस्तैद दिखे। Conclusion:गौरतलब है,की जिला के ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लाखो श्रद्धालुओ की सुरक्षा को लेकर भीड़ के बीच मे ही बड़े पैमाने पर सादे लिबास में सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे
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