बक्सर: बिहार के बक्सर में शिक्षा के मंदिर में एक शिक्षक की हैवानियत देखने को मिली. मामला डुमराव अनुमंडल के एक सरकारी स्कूल का है, जहां देरी से आने पर पांचवीं क्लास के एक छात्र को ऐसी सजा दी गई कि वह अस्पताल पहुंच गया. मामला सोमवार का है.
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शिक्षक ने की छात्र की बेरहमी से पिटाई: छात्र के देरी से पहुंचने पर शिक्षक ने उसकी पिटाई करनी शुरू कर दी,इस दौरान बच्चा लोहे के दरवाजे से टकरा गया और उसका सर फट गया. सर से खून बहता देख शिक्षक घबरा गए और उसे तीन बजे तक स्कूल में ही रोक कर रखा गया. जब छात्र घर पहुंचा तो परिजनों ने उसे चोटिल देखा और चोट लगने का कारण पूछा.
स्कूल देर से आने पर फोड़ा छात्र का सर: बच्चे ने परिजनों को पूरी घटना की जानकारी दी. उसके बाद परिजन शिकायत करने स्कूल पहुंचे तो शिक्षक ने मामूली चोट लगने की बात कहकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की और धमकाने लगे. पीड़ित छात्र के पिता ने बताया कि, उनका बेटा पांचवी क्लास में पढ़ता है. साथ ही उन्होंने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है.
"जब मेरा बेटा घर लहूलुहान होकर आया तो हम लोग शिकायत लेकर स्कूल में पहुंचे. शिक्षक कलामुद्दीन ने अपनी गलती मानने के बजाए हमलोगों को ही धमकाने लगे शिक्षक ने कहा कि मामूली चोट लगी है जो करना है कर लेना. जिसके बाद हमलोग अपने बच्चे को लेकर सदर अस्पताल गए जहां डॉक्टरों ने उसके सर पर तीन टांके लगाए. प्रशासन से मैं लगतार इंसाफ के लिए गुहार लगा रहा हूं."- जख्मी छात्र के पिता
चोट लगने के बावजूद बच्चे को स्कूल में बैठाकर रखा गया: पूरी घटना के बारे में पीड़ित बच्चे के परिजनों ने बताया कि सोमवार को भी बच्चा हमेशा की तरह स्कूल गया था. जब तक बच्चा स्कूल पहुंचा प्रार्थना शुरू हो गई थी. छात्र को लेट आते देख शिक्षक अपना आपा खो बैठे और उसकी पिटाई कर दी. पिटाई के दौरान छात्र लोह के गेट के हैंडल से टकरा हया और उसका सर फट गया. बच्चे को चोट लगने के बाद शिक्षक ने डेटोल लगाकर उसे 3:00 बजे तक स्कूल में ही बैठाकर रखा.
"प्रार्थना में देरी से पहुंचने के कारण शिक्षक ने पिटाई कर दी. मैं लोहे के गेट से टकरा गया और सर में चोट लग गई. उसके बाद शिक्षक ने रुई में डेटॉल लगाकर उसे मेरे सर में लगा दिया. स्कूल में प्रभारी प्रधानाध्यप और शिक्षक के बीच अक्सर लड़ाई और मारपीट होती है."- पीड़ित छात्र
क्या कहना है स्कूल प्रबंधन का?: इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने स्कूल प्रबंधन से बाद की तो प्रभारी प्रधानाध्यमक ने कहा कि 'बच्चे को खेलने के दौरान खुद से चोट लगी है. यह बात बच्चा खुद कई बार बोल चुका है. बेवजह मामले को तूल देने की कोशिश की जा रही है.'
जिलाधिकारी ने दिए जांच का आदेश: मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने पूरे मामले की जांच का आदेश एसडीएम डुमराव कुमार पंकज को दी है. गौरतलब है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा- 17 के अनुसार स्कूल में बच्चो को शारीरिक एवं मानसिक रूप प्रताड़ित करना उसकी जाति, धर्म, या उसके आर्थिक स्थित को लेकर भेदभाव करना अपराध की श्रेणी में आता है.
"स्कूल में बच्चों को शारिरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना अपराध की श्रेणी में आता है. जांच के बाद यदि मामला सही पाया जाता है तो शिक्षक पर कठोर कार्रवाई की जाएगी."- अंशुल अग्रवाल, जिलाधिकारी