बक्सर: जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. मार्च से लेकर अब तक कुल 1770 लोग संक्रमित हुए हैं. हालांकि 315 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं लेकिन 15 लोगों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है.
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निजी नर्सिंग होम में भी होगा इलाज
संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जिले के तीन निजी नर्सिंग होम का चयन किया है. जिसमें कोरोना मरीजों के इलाज की स्वीकृति दी गई है. इन तीनों अस्पतालों में से एक अस्पताल पर पहले भी मरीज की किडनी निकाल कर बेचने का आरोप लग चुका है. उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने संक्रमित मरीजों के इलाज करने की जिम्मेदारी उसी निजी अस्पताल को दी है. जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं.
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बिना लाइसेंस चल रहा था निजी नर्सिंग होम
हाल हीं में जिलाधिकारी के निर्देश पर जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उस निजी नर्सिंग होम में छापेमारी की थी. तब पता चला था कि अस्पताल के पास ना तो लाइसेंस था और ना ही अस्पताल मानक को पूरा कर रहा था. ऐसे निजी नर्सिंग होम पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों ने इनाम स्वरूप इसी निजी नर्सिंग होम को रातों-रात लाइसेंस दे दिया. जबकि कई निजी नर्सिंग होम को लाइसेंस देने के नाम पर पिछले 1 साल से दौड़ाया जा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद संदेह के घेरे में आ गए हैं.
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क्या कहते हैं जिलाधिकारी?
जिला अधिकारी अमन समीर ने बताया कि निजी टेक्नीशियन को हायर कर एक वेंटिलेटर को शुरु कराया गया है. साथ ही संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए तीन निजी नर्सिंग होम को स्वीकृति दी गई है. इसी तरह निजी सीटी स्कैन और कुछ लैब को भी जांच करने की स्वीकृति दी गई है. उन्होंने कहा कि जो भी संस्थान मनमानी करेंगे, उनपर आपदा अधिनियम के तहत करवाई की जाएगी.
हर सम्भव मदद की जा रही
जिला अधिकारी ने कहा कि स्थिति काफी गंभीर है. अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में अधिकांश वैसे लोग हैं जिनका ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे गिर जाने के बाद उनको अस्पताल में लाया गया था. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उनको बचाया नहीं जा सका.
गौरतलब है कि इस आपदा की घड़ी में भी कुछ निजी स्वास्थ्य कर्मी, विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से अवसर की तलाश कर रहे हैं. जहां इलाज के लिए भर्ती मरीज के परिजनों से पहले मनमानी पैसों की वसूली की जा रही है और मरीज की स्थिति बिगड़ने के साथ ही उनको रेफर कर दिया जा रहा है.