बक्सर: 19 नवंबर से शुरू हो रहे चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर, नगर परिषद के अधिकारी और कर्मचारियों का रवैया पूरी तरह से उदासीन भरा दिखाई दे रहा है. ना ही गंगा घाटों की अब तक साफ सफाई कराई गई है और ना कहीं पर बारकेडिंग किया गया है. शहर की सड़कों से लेकर गंगा तटों तक कूड़े का अंबार लगा हुआ है.
रामरेखा घाट पर आते हैं, कई राज्यों से छठ व्रती
महर्षि विश्वामित्र के तपोभूमि, राम के शिक्षा स्थली रामरेखा घाट पर बिहार ही नहीं, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश ,झारखंड, दिल्ली राजस्थान ,उड़ीसा, समेत कई प्रदेशों से छठ व्रती छठ करने के लिए आते हैं. छठवर्ती चार दिनों तक गंगा की तट पर ही ठहरकर इस महाव्रत को संपन्न करते हैं. जिसको देखते हुए प्रत्येक साल घाटों की साफ-सफाई, प्रकाश की व्यवस्था के अलावे चेंजिंग रूम का विशेष रूप से व्यवस्था जिला प्रशासन के पहल पर नगरपरिषद के द्वारा किया जाता था. लेकिन इस बार नगर परिषद के अधिकारी पूरी तरह से बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं.
खुद साफ सफाई करने में जुटे व्रती
जिला प्रशासन एवं नगर परिषद के अधिकारियों के सुस्त रवैया देखकर छठ व्रती खुद ही घाटों की साफ-सफाई करने में लगे हुए हैं. लेकिन संसाधनों के अभाव में ना तो वह कूड़ा का उठाव कर पा रहे हैं ना ही बारकेडिंग करने के लिए उनके पास बांस और बल्ला है.
क्यों खामोश हैं अधिकारी
वहीं, कोरोना वैश्विक महामारी के बीच छठ व्रत को लेकर गंगा तटों पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए नगर परिषद एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा सभी छठ व्रतियों से घर पर ही छठ मनाने का अपील किया जा रहा है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक गंगा की तटों पर उमड़ने वाली भीड़ को कम करने के लिए साफ-सफाई का काम नहीं कराया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कोरोना वैश्विक महामारी के बीच छठ व्रत को लेकर सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा कि जिला स्वास्थ्य प्रशासन छठवर्तियों को घर पर ही छठ मनाने की अपील की जा रही है. वहीं छठ वर्तियों के गंगा घाट पर छठ मनाने को लेकर उन्होंने कहा कि जिला स्वास्थ्य प्रशासन कोरोना महामारी के मद्देनजर घाटों पर मास्क, सैनिटाइजर एवं दवाओं की भरपूर व्यवस्था कर रहा है.
गौरतलब है कि चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है. छठ व्रत के बाजार करने के लिए उमड़ने वाली भीड़ को देख जिला प्रशासन के अधिकारी भी चिंतित है. प्रशासन के सामने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराकर इस महाव्रत का सम्पन्न कराना सबसे बड़ी चुनौती है.