बक्सर: 10 हजार करोड़ की लागत से चौसा में बनने वाले 1320 मेगावाट के निर्माणाधीन पावर प्लांट के अधिकारियों और किसानों के बीच पिछले एक दशक से भूमि के उचित मुआवजे की मांग को लेकर संघर्ष जारी है. 21 सितंबर से लगभग साढ़े तीन हजार किसान व मजदूर हड़ताल पर हैं. किसानों का आरोप है कि 2011-12 में पावर प्लांट के लिए कम्पनी ने जो जमीन हायर की थी, उसी रेट में 2021-22 में रेल कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन के लिए किसानों से जबरदस्ती जमीन ले रही है.
चौसा पावर प्लांट के लिए समन्वय समिति का गठन: किसान वर्तमान रेट से जमीन के मुआवजे की मांग कर रहे हैं और पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. वहीं किसानों के इस समस्या के निदान के लिए जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर उप-समाहर्ता प्रमोद कुमार और एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में समन्वय समिति का गठन किया गया है. इस समन्वय समिति का उप-समाहर्ता अध्यक्ष हैं, जबकि एसडीएम, के अलावे प्रभावित किसान और कम्पनी के कर्मी इस समिति के सदस्य हैं. इनके बीच पहले दौर की बैठक हो चुकी है. अगली बैठक 19 अक्टूबर को होनी है. किसानों को उम्मीद है कि अब उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा.
"हमारी जमीन का उचित मुआवजा मिले. रेलवे कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन वाली जमीन का भुगतान वर्तमान रेट पर हो. पुराना भुगतान जो बाकी है उसका भुगतान जल्द से जल्द किया जाए."- ब्रिज बिहारी सिंह, पूर्व मुखिया व किसान, चौसा
"समन्वय समिति में कुछ रास्ता निकलना चाहिए. जब किसान, प्रशासन और कंपनी आमने-सामने बैठेंगे तो कुछ बात तो बननी चाहिए. परियोजना से इलाके का तापमान बढ़ेगा. हमारी मांग है कि जो भी प्रभावित गांव हैं उन्हें घरेलू फ्री बिजली मिले. ताकि लोग आराम से अपने घरों में बैठ सकें."- संजय राय, पूर्व मुखिया व किसान
किसानों का आरोप: चौसा के किसानों का आरोप है कि जब कंपनी के द्वारा जमीन हायर किया जा रहा था, उस समय वहां के किसानों को कई तरह की लालच दी गई थी. शुरुआती दौर में कहा गया था कि इस कंपनी में स्थानीय लोगों को खासकर जिनकी जमीन कम्पनी ले रही है, उनके घर के सदस्यों को नौकरी में वरीयता देगी.
"कंपनी ने कई सुविधाएं देने का वादा किया था. 100 यूनिट बिजली फ्री देने की बात हुई थी. हमने पूर्णत: फ्री बिजली की मांग की है. हमें हेल्थ कार्ड देने की बात भी हुई थी. समय खींचा जा रहा है. डीएम से उम्मीद जगी है."- अशोक तिवारी, किसान
आज तक अधूरे हैं ये वादे: किसानों का कहना है कि फ्री में बिजली देने का वादा किया गया था. इसके अलावा कम्पनी से निकलने वाले प्रदूषण से उनका स्वास्थ्य खराब न हो जिसको देखते हुए कम्पनी के अंदर से लेकर चारो तरफ 10 लाख वृक्ष लगाए जाने की बात भी कही गई थी. वादा किया गया था कि हाईटेक अस्पताल, मॉडल स्कूल, पार्क, स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा. किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन जमीन देने के बाद कम्पनी ने अपना एक भी वादा नहीं निभाया. उचित मुआवजे की मांग को लेकर आज भी अपना काम छोड़कर किसान धरना दे रहे हैं.
"कोर्ट में मामले को रेफर किया गया है. वांछित दस्तावेज और नापी की कार्रवाई में हमने बढ़-चढ़कर काम किया है.कंपनी द्वारा अपेक्षित प्रगति कार्य को लेकर नहीं की गई है. हमने कुछ ठोस निर्णय लिए हैं. 19 तारीख को अगली बैठक की जाएगी. किसानों के आरोपों के आधार पर जमीन की मापी भी कराई जाएगी."- प्रमोद कुमार, एडीएम
समन्वय समिति के गठन से किसानों में खुशी: वहीं इस समिति के अध्यक्ष उपसमाहर्ता प्रमोद कुमार और सदस्य सदर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि किसानों के हर समस्या का निदान निकाला जाएगा. 19 तारीख से पहले कंपनी के कर्मियों को यह निर्देश दिया गया है कि किसानों की जो भी डिमांड है उस पर पूरी जानकारी लेकर अगली बैठक में आएं.
"इस मंच के जरिए जो भी आरोप कंपनी पर लग रहे हैं वो हम तक पहुंचेंगे. इसमें कंपनी, किसान और प्रशासन के प्रतिनिधि शामिल हैं. कई मामले जो हमारी जानकारी में नहीं आते हैं, इस समिति के जरिए सब कुछ हमारे संज्ञान में आएगा."- धीरेंद्र मिश्रा, एसडीएम
अधर में लटकी परियोजना: गौरतलब है कि 2023 में ही चौसा पावर प्लांट का 660 मेगावाट का एक यूनिट चालू होना था, लेकिन जनवरी माह में अपनी मांग को लेकर पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने जिस तरह से पावर प्लांट में आग लगा दी थी उससे कम्पनी का काम प्रभावित हुआ. अब पावर प्लांट के अंदर काम कर रहे मजदूरों का भी आरोप है कि कम्पनी के कर्मी अंग्रेजों से भी बदतर दुर्व्यवहार कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- Buxar News: चौसा पावर प्लांट के स्टोर रूम में लगी भीषण आग, 3-4 करोड़ के नुकसान का अनुमान
ये भी पढ़ें- Buxar News: बक्सर थमर्ल पावर प्लांट के लिए पहुंचा 500 टन वजनी टरबाइन, देखने के लिए उमड़ी भीड़