बक्सर: प्रदेश के स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए, राज्य सरकार करोड़ों रुपये की बजट बनाती है. लेकिन, उसका फायदा गरीब-मरीज कितना उठाते होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है. कुछ ऐसा ही हाल केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के संसदीय क्षेत्र का भी है. लोगों की माने तो यहा के हेल्थ डिपार्टमेंट का संचालन अफसर नहीं बल्कि राजनेता करते हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का संसदीय क्षेत्र बक्सर है. लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यस्था लचर है. सूत्रों की माने तो जिले में कुल 3 हजार 22 अवैध निजी नर्सिंग होम और सैकड़ों लिंग जांच केंद्र संचालित हैं. फिर भी प्रशासन यहां कार्रवाई करने से कतराता है.
अवैध नर्सिंग होम का गढ़ बनता बक्सर
अवैध निजी नर्सिंग होम का बक्सर में रैकेट खूब फल-फूल रहा है. अफसर यहां कार्रवाई करने का प्लान बनाते हैं, लेकिन सियासी दबाव के चलते ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है. स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े अफसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के कृष्णब्रह्म और चौसा प्रखंड में एक बार विभाग ने ऐसी ही कार्रवाई की थी. लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के फोन आने की वजह से टीम को उल्टे पांव लौटना पड़ा. उसी अफसर ने बताया कि इस नर्सिंग होम पर बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश से भी लोग लिंग जांच करवाने के लिए पहुंचते हैं.
![बक्सर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-bux-03-sadarhospital-pkg-10060_16122020204828_1612f_03518_535.jpg)
'चुनावी एम्बुलेंस'
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बक्सर संसदीय क्षेत्र में उतरने से पहले अश्विनी चौबे की पहल पर जिले में 6 एंबुलेंस आई. जिला के चौसा प्रखंड में पावर प्लांट का निर्माण करने वाली कम्पनी, SJVN के द्वारा, जिला स्वास्थ्य समिति को 6 एम्बुलेंस गिफ्ट किया गया था. जिससे कि मरीजों की परेशानी को कम किया जा सके, मंत्री जी के इस दरियादिली को देख बक्सरवासियों ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मंत्री जी को दूसरी बार अपार जन समर्थन दिया और वह चुनाव जीत गए.
![बक्सर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-bux-03-sadarhospital-pkg-10060_16122020204822_1612f_03518_1041.jpg)
पुत्र मोह में उलझी SJVN एंबुलेंस सेवा !
बिहार विधानसभा चुनाव में भागलपुर विधानसभा सीट से अश्विनी चौबे बेटे को लड़ाने के मूड में थे. लिहाजा जिस एंबुलेंस ने मंत्री जी की संसद भिजवाया. उसी एंबुलेंस के सहारे वो बेटे को विधानसभा में भेजने का सपना देखा था. माना जाता है कि ऐसी सोच के कारण ही मंत्री ने अपने पद की हनक दिखाते हुए गिफ्ट की हुई 6 एंबुलेंस को वापस लेकर भागलपुर भिजवा दिया. इसका विरोध कई दिनों तक चला. विरोध की खबर को ईटीवी भारत ने तब प्रमुखता से प्रकाशित किया था. कई दिनों तक चले विरोध प्रदर्शन में 24 एंबुलेंस कर्मियों की नौकरी भी खत्म कर दी गई. सभी एम्बुलेंस को 4 महीने से अस्पताल के पिछले हिस्से में खड़ा करवा दिया गया. इधर इसी बीच ख़बर आई कि बीजेपी ने उनके बेटे का भागलपुर से टिकट ही काट दिया.
मिनिस्ट्री के लिए काम, जनता के लिए नहीं?
एम्बुलेंस के अभाव में लोग अपने मरीजों को खाट पर उठाकर अस्पताल लाते हैं, ये हाल पूरे प्रदेश का है, जबकि जिले में आधा दर्जन एम्बुलेंस है लेकिन वो भी सियासत की वजह से धूल फांक रही है. इस मामले को लेकर, जब सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम सरकार के नौकर हैं, मिनिस्ट्री जो आदेश देती है हम उसका पालन कर रहे हैं. कोरोना काल आधा दर्जन से अधिक एम्बुलेंस की जरूरत बक्सर में है. उसके बाद भी हमलोग इस एम्बुलेंस का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.
गौरतलब है कि जिला के स्वास्थ्य व्यवस्था, स्वास्थ्यकर्मियों के भरोसे नहीं, राजनेताओं के बदौलत चल रही है. बिना राजनीतिक पार्टी के नेताओं के परमिशन के स्वास्थ्य विभाग के बड़े से बड़े अधिकारी भी लाचार हैं. ऐसे में अवैध रूप से चल रहे 3 हजार से अधिक निजी नर्सिंग होम या जांच घर पर करवाई भी नहीं हो पा रही है. जिले में सैकड़ों लिंग जांच केंद्र खुलेआम चलने की खबरें मिल रही है, जो कि किसी न किसी राजनीतिक पार्टी के नेताओं से जुड़ा हुआ है.