झांकी के दौरान ग्रामीणों ने कहा कि हम हर साल रविदास जयंती मनाते हैं. हमारा एक ही उदेश्य है संत रविदास के मार्ग पर चलते हुए समाज में भाईचारा स्थापित किया जाए. रविदास के विचारों को याद करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि उनका कहना था कि कर्म से बढ़कर कुछ नहीं होता है. रविदास से समाज के हर वर्ग को अपने जीवन में संदेश देने का काम किया है.
लोगों ने संत रविदास के आदर्शों पर चलने का लिया संकल्प
लोगों का कहना है कि रविदास ने समाज से पाखंड मिटाने के लिए काफी प्रयास किया. आज हम उनके आदर्शों को आगे बढ़ा रहे हैं और अपने बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. बता दें कि ये झांकी नवयुवक संघ के नेतृत्व में बक्सर के लक्ष्मीपुर से निकाली गई. इस झांकी में हर वर्ग के लोग शामिल हुए.
महत्वपूर्ण है संत रविदास का समाज में योगदान
बता दें कि रविदास के सम्मान में प्रति वर्ष माघ पूर्णिमा को रविदास जयंती मनाई जाती है. इनका जन्म काशी में माघ पूर्णिमा के दिन रविवार को संवत 1433 को हुआ था. बताया जाता है कि उनका स्वभाव बहुत ही मधुर एवं व्यावहारिक था. मधुर एवं सहज संत रविदास ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एव प्रेमाश्रयी शाखाओं के बीच सेतु की तरह थे. रविदास भारतीय कवि और सोलहवीं सदी के दक्षिण भारतीय गुरु उन महान संतो में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज मे व्याप्त बुराइयों को मिटाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.