बक्सर : बिहार का बक्सर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. लोग इसे कूड़े की नगरी के उप नाम से पुकार रहे हैं. इस शहर के 42 वार्ड की सफाई के लिए प्रत्येक साल बक्सर नगर परिषद के अधिकारी 9 करोड़ 84 लाख जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह बहाकर, शहर के कचड़े को पुनः शहर के ही जलस्त्रोत में डंप कराकर सरकार की जल जीवन हरियाली योजना को अंगूठा दिखा रहे है.
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शहर का नहर और नदी बना डंपिंग जोन : बक्सर नगर परिषद क्षेत्र के कूड़े कचरे का उठाव कराकर एनजीओ के द्वारा बाईपास नहर, सिंडिकेट नहर, लॉ कॉलेज नहर, ठोरा नदी, ऐतिहासिक किला मैदान, जिला अतिथि गृह के आसपास डंप कर दिया जा रहा है. हैरानी की बात है कि उस रास्ते से जिले के तमाम छोटे बड़े अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन सभी ने चुप्पी साध रखी है.
"जिले के वरीय अधिकारियों की मौन सहमति और मिली भगत से जल स्रोत में कूड़ा डंप कराया जा रहा है. इस जिले में कैसा शासन प्रशासन है कि 82 लख रुपये महीना खर्च कर शहर के कचरे को शहर में ही डंप करा रहे हैं. वह दिन दूर नहीं जब बक्सर शहर को लोग कूड़े की नगरी और नगर परिषद को नरक परिषद के नाम से लोग संबोधित करेंगे."-गोपाल त्रिवेदी, स्थानीय
सात निश्चय योजना की खुलेआम उड़ रही धज्जी : बिहार सरकार के द्वारा सात निश्चय योजना का तहत तमाम जल स्रोतों का करोड़ रुपए खर्च कर जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. वहीं जिला प्रशासन के अधिकारियों के नाक के नीचे तमाम जल स्त्रोत में एनजीओ के द्वारा शहर के कूड़े कचड़े को डंप कराया जा रहा है और अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. जिसको लेकर स्थानीय लोग प्रशासनिक अधिकारियो के कार्यशैली पर सवाल उठा रहा हैं.
"82 लाख रुपये शहर की साफ सफाई में प्रत्येक महीने खर्च किया जा रहा है. डम्पिंग जोन नहीं होने के कारण शहर के कचरे को शहर के ही सड़क किनारे गिराना मजबूरी है. 2 महीने में डम्पिंग जोन की व्यवस्था हो जाने की उम्मीद है. उसके बाद तमाम कचरे को उठाकर पुनः वहां व्यवस्थित कर दिया जाएगा."- नेमतुला फरीदी, चेयरमैन पति