बक्सर: कोरोना महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के बाद लगभग 40 हजार प्रवासी मजदूर जिले के अलग-अलग प्रखंडों में वापस आए हैं. इतनी बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से लौटे लोगों के लिए जिला प्रशासन की ओर से काम मुहैया कराना सबसे बड़ी चुनौती है. इसी कारण से सरकार की ओर से चलने वाली सभी योजनाओं को शुरू करवा दिया गया है. जिसमें मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है.
जिले में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने के मामले पर उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने कहा कि इन मजदूरों को होम क्वारंटीन के दौरान ही पंचायत के मुखिया के जरिए जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है. जिन मजदूरों का क्वारंटीन का समय पूरा हो रहा है. उनको रोजगार दिया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब तक जिला में आए हुए किसी भी व्यक्ति को अगर किसी कारण से रोजगार नहीं मिल पाया हो तो वो अपने पंचायत के पीओ या जिला में इसकी जानकारी दे सकते हैं. जिला प्रशासन की ओर से उनको तत्काल रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा.
हुनरमंद मजदूरों को नहीं मिल रही सरकारी सहायता
इसके अलावे बाताया जा रहा है कि दूसरे राज्यों से लौटे अधिकांश हुनरमंद प्रवासी मजदूर अपना-अपना रोजगार शुरू करने में लगे हुए हैं. लेकिन पैसे नहीं होने के कारण वो जरूरत का सामान नहीं खरीद पा रहे हैं. हालांकि भारत सरकार की ओर से यह घोषणा जरूर की गई थी कि लोगों के रोजगार करने के लिए सरकार कर्ज उपलब्ध कराएगी. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई भी पहल होता नहीं दिखाई दे रहा है. हुनरमंद प्रवासी मजदूरों को अब तक किसी तरह की कोई सहायता मुहैया कराई गई है.