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Buxar News: पराली जलाने के मामले में 15 कृषि समन्वयकों पर विभाग ने की कार्रवाई, वेतन बन्द कर शुरू की निलंबन की प्रक्रिया - Action on agriculture coordinators in Buxar

बक्सर में पराली जलाने के मामले में कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. 15 कृषि समन्वयकों पर एक साथ विभाग ने कार्रवाई की है. विभाग ने सभी का वेतन बंद करने के बाद अब निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अन्नदाताओं पर कृषि समन्वयकों ने कार्रवाई नही कि तो विभाग ने उन समन्वयकों पर ही कार्रवाई शुरू कर दी है.

जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार
जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार
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Published : Apr 27, 2023, 11:08 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में खेतों में पराली जलाने के मामले में कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी के आदेश पर 15 कृषि समन्वयकों का वेतन बंद कर दिया गया (15 Agricultural Coordinators Salary Closed) है. साथ ही दोषी कृषि कर्मियों पर निलंबन की तलवार भी लटक रही है. जिन कृषि समन्वयकों पर कार्रवाई की गई है. उनके विरुद्ध पराली जलाने पर भी किसानों का कृषक पंजीकरण ब्लॉक नहीं करने और आइपीसी की धारा 133 के तहत कार्रवाई नहीं करने का आरोप है. इस कार्रवाई के बाद कृषि कर्मियों के बीच हड़कंप मच गया है.

ये भी पढ़ें- Patna News: सरकारी नियम की अनदेखी, मसौढ़ी ग्रामीण क्षेत्रों के खेतों में जल रही पराली

पराली जलाने के है गंभीर दुष्परिणाम: कृषि पदाधिकारी ने बताया कि विभिन्न फसलों की कटाई के बाद किसान फसल का खेतों में बचा हिस्सा जला देते हैं. जिससे कि कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती हैं. जिससे कि गंभीर वायु प्रदूषण होता है. इसका मानव स्वास्थ्य पर इतना गंभीर असर पड़ता है कि आंखों में जलन एवं गंभीर तंत्रिका संबंधी रोगों के साथ-साथ हृदय रोग तथा श्वसन से जुड़े रोग भी हो सकते हैं. इतना ही नहीं मिट्टी में मौजूद लाभदायक कीट भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे कि भूमि बंजर हो जाती है.

पराली प्रबंधन के लिए विभाग कर रहा प्रयास : जब जिला कृषि पदाधिकारी से यह पूछा गया कि, सरकार जब पराली प्रबंधन के लिए कोई काम की ही नही तो किसान क्या करे, जब तक फसल का अवशेष नष्ट नहीं होगा तो किसान अगले सीजन की खेती कैसे करेंगे. जिसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि, विभाग स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. जिनमें स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रॉ बेलर, सुपर सीडर, रोटावेटर, जीरो टिल सीड, ड्रिल, मल्चर, हैप्पी सीडर आदि यंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इन यंत्रों की खरीद पर कृषि विभाग के द्वारा आकर्षक अनुदान भी दिया जा रहा है.

"पराली जलाने से होने वाले नुकसान से किसानों को लगातार अवगत कराया जा रहा है. लेकिन किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिसका परिणाम है कि बक्सर जिला सर्वाधिक तापमान के मामले में पहले स्थान पर है."- मनोज कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, बक्सर

किसान हो रहे परेशान: गौरतलब है कि कृषि विभाग के अधिकारी पराली प्रबन्ध के लिए बिना कोई व्यवस्था किये किसानों को प्रताड़ित करने में लगी है. इसी जिला मुख्यालय में कोल माफिया दिन के उजाले में कोयला पकाते हैं. अलकतरा जलाते हैं. जिस के ऊपर पूरा सिष्टम मेहरबान है. किसानों ने कहा ऐसी कमरे में बैठकर हुकूमत करना और 46 डिग्री तापमान में खेतों में कुदाल चलाने का अंतर खूब समझ में आता है.

बक्सर: बिहार के बक्सर में खेतों में पराली जलाने के मामले में कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी के आदेश पर 15 कृषि समन्वयकों का वेतन बंद कर दिया गया (15 Agricultural Coordinators Salary Closed) है. साथ ही दोषी कृषि कर्मियों पर निलंबन की तलवार भी लटक रही है. जिन कृषि समन्वयकों पर कार्रवाई की गई है. उनके विरुद्ध पराली जलाने पर भी किसानों का कृषक पंजीकरण ब्लॉक नहीं करने और आइपीसी की धारा 133 के तहत कार्रवाई नहीं करने का आरोप है. इस कार्रवाई के बाद कृषि कर्मियों के बीच हड़कंप मच गया है.

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पराली जलाने के है गंभीर दुष्परिणाम: कृषि पदाधिकारी ने बताया कि विभिन्न फसलों की कटाई के बाद किसान फसल का खेतों में बचा हिस्सा जला देते हैं. जिससे कि कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती हैं. जिससे कि गंभीर वायु प्रदूषण होता है. इसका मानव स्वास्थ्य पर इतना गंभीर असर पड़ता है कि आंखों में जलन एवं गंभीर तंत्रिका संबंधी रोगों के साथ-साथ हृदय रोग तथा श्वसन से जुड़े रोग भी हो सकते हैं. इतना ही नहीं मिट्टी में मौजूद लाभदायक कीट भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे कि भूमि बंजर हो जाती है.

पराली प्रबंधन के लिए विभाग कर रहा प्रयास : जब जिला कृषि पदाधिकारी से यह पूछा गया कि, सरकार जब पराली प्रबंधन के लिए कोई काम की ही नही तो किसान क्या करे, जब तक फसल का अवशेष नष्ट नहीं होगा तो किसान अगले सीजन की खेती कैसे करेंगे. जिसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि, विभाग स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. जिनमें स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रॉ बेलर, सुपर सीडर, रोटावेटर, जीरो टिल सीड, ड्रिल, मल्चर, हैप्पी सीडर आदि यंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इन यंत्रों की खरीद पर कृषि विभाग के द्वारा आकर्षक अनुदान भी दिया जा रहा है.

"पराली जलाने से होने वाले नुकसान से किसानों को लगातार अवगत कराया जा रहा है. लेकिन किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिसका परिणाम है कि बक्सर जिला सर्वाधिक तापमान के मामले में पहले स्थान पर है."- मनोज कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, बक्सर

किसान हो रहे परेशान: गौरतलब है कि कृषि विभाग के अधिकारी पराली प्रबन्ध के लिए बिना कोई व्यवस्था किये किसानों को प्रताड़ित करने में लगी है. इसी जिला मुख्यालय में कोल माफिया दिन के उजाले में कोयला पकाते हैं. अलकतरा जलाते हैं. जिस के ऊपर पूरा सिष्टम मेहरबान है. किसानों ने कहा ऐसी कमरे में बैठकर हुकूमत करना और 46 डिग्री तापमान में खेतों में कुदाल चलाने का अंतर खूब समझ में आता है.

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