बक्सर: मौसम की अनुकूलता और प्रवासी श्रमिकों की उपलब्धता को देखते हुए जिले में 90 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपनी किया गया है. लॉकडाउन के बीच तमाम परेशानियों को झेलते हुए किसानों ने खरीफ फसल की बुवाई शत प्रतिशत शुरु की है. लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब किसानों के हौसले भी पस्त होते दिख रहे हैं.
बता दें कि पूर्वा नक्षत्र में धान की फसल के लिए यूरिया बहुत जरूरी होता है. लेकिन ऐसे समय में ही यूरिया की कालाबाजारी अपने चरम पर है. किसानों ने बताया कि 450 से लेकर 500 रुपए प्रति बोरी यूरिया दुकानदार ब्लैक से बेच रहे हैं. वहीं अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है.
सहकारी समितियों ने भी नहीं किया उर्वरक का उठाव
जिला में सहकारी समितियों ने भी अब तक उर्वरक का उठाव नहीं किया है. जिसके कारण किसानों की परेशानियां और बढ़ गई है. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने 15 दिन पहले ही जिलाधिकारी से सवाल किया था. इसके बाद भी अब तक पैक्स के माध्यम से कहीं भी खाद नहीं पहुंच पाया है.
सिर्फ कागजों पर बना कृषी कंट्रोल रूम
किसान लाल बिहारी गोंड और भानु यादव ने बताया कि वो पिछले 15 दिनों से कृषि विभाग के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. इसके बाद भी अब तक यूरिया नहीं मिल पाया. मजबूरन 500 रुपए बोरी यूरिया खरीद कर लाना पड़ा. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा कागजों पर ही कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां शिकायत करने पहुंचने पर ना तो कोई अधिकारी रहते हैं और ना ही कोई कर्मचारी. ऐसे में किसानों को काफी समस्या हो रही है.
सत्ताधारी दल के नेताओ ने भी उठाया सवाल
जिला में यूरिया की कालाबाजारी पर भाजपा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रवक्ता सुशील राय ने कृषि विभाग के अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा लगातार नीम कोटेड यूरिया उपलब्ध करायी जा रही है. इसके बाद भी इन अधिकारियों की मिलीभगत से यूरिया की जिले में कालाबाजारी हो रही है. जिसके कारण किसान परेशान हो रहे हैं. जिले के अलग-अलग प्रखंडों से लगातार किसान अपनी समस्या लेकर आ रहे हैं. इसके बाद भी उनकी समस्याओं को दूर नहीं किया जा रहा है. क्या ऐसे किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी.