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संवेदकों ने अति नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने से किया इंकार, बढ़ी सरकार की मुश्किलें - Bihar Medical Infrastructure Company

विशेष केंद्रीय सहायता के लगभग 58 करोड़ 33 लाख रुपये केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त हुए थे. उसमें से लगभग 27 करोड़ 40 लाख रुपये की योजना नक्सली इलाकों की वजह से अधर में अटक गई है.

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Published : Jan 12, 2020, 3:31 PM IST

औरंगाबाद: जिले में लगभग 27 करोड़ 40 लाख की विकास योजनाएं फिलहाल अधर में लटकी हुई है. दरअसल, जिला के संवेदकों ने अति नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने से इंकार कर दिया है.

अधर में अटकी सरकारी योजनाएं
विशेष केंद्रीय सहायता के लगभग 58 करोड़ 33 लाख रुपये केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त हुए थे. उसमें से लगभग 27 करोड़ 40 लाख रुपये की योजना नक्सली इलाकों की वजह से अधर में अटक गई है. इसके तहत मदनपुर प्रखंड के छालिदोहर और आजन में सीआपीएफ बैरक, देव के छुछियां दुलारा गांव में सिक्योरिटी बैरक और सड़क निर्माण, नबीनगर, टंडवा, गोह, उपहारा तथा पौधों थाना में वाच टावर का निर्माण शामिल है.

अधर में लटकी सरकारी योजनाएं

ठेकेदारों ने किया इंकार
इन कार्यों को पूरा कराने का जिम्मा भवन निर्माण विभाग तथा बिहार मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड को दिया गया था. लेकिन, ठेकेदारों के इंकार कर देने की वजह से इन सरकारी कार्य एजेंसियों ने इन कामों को पूरा करने से मना कर दिया. अंत में जिलाधिकारी ने इन कामों का जिम्मा एलईओ और पुल निर्माण को दे दी. लेकिन, अबतक इन एजेंसियों ने भी काम शुरू नहीं किया है.

यह भी पढ़ें- बांका के चांदन नदी पर बना पुल हुआ क्षतिग्रस्त, प्रशासन मौन

औरंगाबाद: जिले में लगभग 27 करोड़ 40 लाख की विकास योजनाएं फिलहाल अधर में लटकी हुई है. दरअसल, जिला के संवेदकों ने अति नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने से इंकार कर दिया है.

अधर में अटकी सरकारी योजनाएं
विशेष केंद्रीय सहायता के लगभग 58 करोड़ 33 लाख रुपये केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त हुए थे. उसमें से लगभग 27 करोड़ 40 लाख रुपये की योजना नक्सली इलाकों की वजह से अधर में अटक गई है. इसके तहत मदनपुर प्रखंड के छालिदोहर और आजन में सीआपीएफ बैरक, देव के छुछियां दुलारा गांव में सिक्योरिटी बैरक और सड़क निर्माण, नबीनगर, टंडवा, गोह, उपहारा तथा पौधों थाना में वाच टावर का निर्माण शामिल है.

अधर में लटकी सरकारी योजनाएं

ठेकेदारों ने किया इंकार
इन कार्यों को पूरा कराने का जिम्मा भवन निर्माण विभाग तथा बिहार मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड को दिया गया था. लेकिन, ठेकेदारों के इंकार कर देने की वजह से इन सरकारी कार्य एजेंसियों ने इन कामों को पूरा करने से मना कर दिया. अंत में जिलाधिकारी ने इन कामों का जिम्मा एलईओ और पुल निर्माण को दे दी. लेकिन, अबतक इन एजेंसियों ने भी काम शुरू नहीं किया है.

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एंकर:-औरंगाबाद जिले के संवेदकों द्वारा अति नक्सल प्रभावित इलाकों काम करने से इनकार,नक्सलियों के भय के कारण। विशेष केंद्रीय सहायता 58 करोड़ 33 लाख केंद्र सरकार से प्राप्त राशि हुआ था।


Body:गौरतलब है कि विशेष केंद्रीय सहायता की लगभग 58 करोड़ 33 लाख रुपया केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त हुआ था, जिले में संचालित की लगभग 27 करोड़ 40 लाख की विकास योजनाएं फिलहाल अधर में लटक गयी हैं। इन कार्यों को पूरा कराने का जीम्मा भवन निर्माण विभाग तथा बिहार मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड को दिया गया था जिसके तहत मदनपुर प्रखंड अति नक्सल छालिदोहर तथा आजन में सीआपीएफ बैरक, देव के छुछियां दुलारा गांव में सिक्योरिटी बैरक तथा सड़क निर्माण प्रस्तावित है।
V.O.1 इसके अलावा नबीनगर, टंडवा, गोह, उपहारा तथा पौधों थाना में वाच टावर का निर्माण कराया जाना है मगर ठेकेदारों के इंकार चले जाने के बाद इन दोनों सरकारी कार्य एजेंसी होने काम का बोझ बता कर इन कार्यों को करने से मना कर दिया है।



Conclusion:V.O.2 औरंगाबाद जिलाधिकारी ने थक हारकर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इन कामों का जिम्मा एलईओ तथा पुल निर्माण को दे तो जरूर दी है लेकिन अभी तक इनमें से किसी भी भेजना काम शुरू नहीं हो सका है।
2.बाईट:- राहुल रंजन महिवाल, जिलाधिकारी औरंगाबाद
फाइनल बीओ- कुल मिलाकर यदि कहा जाए नक्सलियों के भय के आगे प्रशासनिक सुरक्षा की गारंटी बोनी साबित हो रही है तो शायद गलत नहीं होगा।
स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद।
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