औरंगाबाद: सोलर लैंप पर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ब्रांड का टैग लगाकर 700 से लेकर 2 हजार रुपये तक में बेचती हैं. उस सोलर लैंप को जीविका दीदियों ने असेम्बल करके मात्र सौ रुपये में बेचा. स्कूली छात्रों को मात्र 100 रुपये में सोलर लैंप उपलब्ध कराने की ये योजना भारत सरकार के अक्षय ऊर्जा योजना के तहत लागू किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित सब्सिडी पर काम करके जीविका दीदियों ने कीर्तिमान स्थापित किया.
महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ यह परियोजना
जीविका परियोजना वास्तव में महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. इस परियोजना के माध्यम से हजारों की संख्या में महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वालंबन बढ़ा है. प्रधानमंत्री ने बच्चों को सोलर लाइट बांटने की योजना की जिम्मेदारी भी जीविका से जुड़े महिलाओं को दी. इस कारण महिलाओं का विकास हुआ. साथ ही जीविका स्वसहायता समूह द्वारा सोलर लैंप को तैयार करना और उसे बेचेने पर समूह के सदस्यों को भी मुनाफा हुआ.
'विभाग की ओर से किया जाता है भुगतान'
सेंटर इंचार्ज खुशबू कुमारी ने बताया कि अब जीविका की ओर से नया काम किया जा रहा है, जो लाईट बांटे गए हैं वे सभी वारंटी पीरियड में है. अगर किसी छात्र का सोलर लैंप खराब होता है तो उसे मरम्मत कराया जा सकता है. इसके लिए जीविका दीदियों ने दुकान खोल रखी है. जहां लैंप को मुफ्त में मरम्मत कराया जा सकता है. हालांकि इसके लिए जीविका दीदी को विभाग की तरफ से भी भुगतान किया जाता है.
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की कोशिश
स्वसहायता समूह के माध्यम से सोलर लैम्प मरम्मत केंद्र चला रही मुन्नू कुमारी ने बताया कि पहले उनकी स्थिति बहुत ही कमजोर थी. आज समूह से जुड़कर ना सिर्फ सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ी, बल्कि महिला आर्थिक रूप से भी स्वावलंबी बन रही हैं. जीविका मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं पर ही केंद्रित है. जिन्हें स्वसहायता समूह या सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर पैसा जमा कराया जाता है.
'महिलाओं का बढ़ा मनोबल'
इस ग्रुप के माध्यम से सरकार अब कई तरह की कार्यो का संचालन कराने लगी है. इस कार्यों में एक कार्य सोलर लैंप को बनाकर छात्रों के बीच वितरण करना है. हालांकि यह सरकारी योजना है, लेकिन इसे जीविका स्व सहायता समूह से ही खरीद कर बांटा जाता है, जिसके लिए जीविका को सरकार की ओर से भुगतान किया जाता है. सरकार की ओर से भुगतान की गई राशि से जीविका दीदियों को मुनाफा होता है, जिससे उनका मनोबल और आत्मविश्वास दोनों बढ़ा है. जीविका केंद्र के प्रबन्धक आरिफ अंसारी ने बताया कि कि महिलाओं को इस योजना से खूब फायदा हुआ. इसके अलावा अन्य योजनाएं भी शुरू की जा रही है.
टेक्निकल कामों में दक्ष हो रही है महिला
ऐसा कहा जाता है कि 'कोई कार्य छोटा नहीं होता और कोई भी इंसान कमजोर नहीं होता चाहे वह स्त्री हो या पुरुष बस उसे मौका चाहिए' कुछ साबित करने का कुछ कर दिखाने का और जीविका ने जैसे ही यह मौका जिले के महिलाओं को मिला. महिलाओं ने इस कार्य को कर दिखाया. ये महिलाएं आज ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होने के बावजूद भी टेक्निकल कामों में दक्ष हो रही हैं और सोलर से संबंधित जो भी ऑर्डर आते हैं तय समय पर उन्हें पूरा कर देती हैं.