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औरंगाबाद: सूर्यनगरी देव का पवित्र सूर्यकुंड तालाब श्रद्धालुओं के लिए खोला गया - छठ पूजा

औरंगाबाद की सुर्यनगरी देव स्थित पवित्र सूर्यकुंड तालाब के गेट को खोल दिया गया है. व्रती और श्रद्धालु सूर्य को अपना अर्ध्य अर्पण करने में लगे हैं. छठ पर सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है.

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सूर्यनगरी देव का पवित्र सूर्यकुंड तालाब
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Published : Nov 21, 2020, 8:19 AM IST

Updated : Dec 16, 2020, 3:43 PM IST

औरंगाबाद: औरंगाबाद सूर्यनगरी देव की धरती के नाम से प्रसिद्ध है. फिलहाल देव स्थित पवित्र सूर्यकुंड तालाब के गेट को छठ पूजा के लिए खोल दिया गया है. व्रती तथा श्रद्धालु सूर्य को अर्ध्य अर्पण करते देखे गए. अर्घ्य अर्पण के बाद व्रती पवित्र सूर्यकुंड से लेकर त्रेतायुगीन सूर्यमंदिर पहुंच रहे हैं और भगवान भाष्कर को बाहर से ही दर्शन पूजन कर खुद को धन्य समझ रहे हैं.

भगवान भाष्कर करते हैं मन्नतें पूरी

ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से और श्रद्धा भाव से यहां छठ पूजा का अनुष्ठान करता है, सूर्यनारायण उनकी अराधना अवश्य पूरी करते हैं. यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में छठव्रती पहुंचते हैं और भगवान भाष्कर से मन्नतें भी मांगते हैं.

सूर्यकुंड तालाब गेट को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया

कोरोना को लेकर मेले पर रोक

जिला प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर इस बार देव में छठ मेले के आयोजन पर रोक लगा रखी थी. मगर बड़ी संख्या में व्रतियों तथा श्रदालुओं के यहां पहुंचने के बाद जिला प्रशासन ने अघोषित तरीके से सूर्यकुंड के प्रवेश द्वारों को अर्ध्य अर्पण के लिए खोल दिया.

मंदिर के प्रति लोगों की विशेष आस्था

बता दें कि छठ के दौरान देव मंदिर के प्रति लोगों की विशेष आस्था होती है. इस अवसर पर विशाल मेला लगता है. यहां पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन के प्रयास से प्रत्येक वर्ष सूर्य अचला सप्तमी को महोत्सव का भी आयोजन होता है. कार्तिक एवं चैत में छठ करने कई राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस अवसर पर सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है. छठ मेले के समय देव का कस्बा लघु कुंभ बन जाता है. छठ गीत से देव गुंजायमान हो उठता है.

औरंगाबाद: औरंगाबाद सूर्यनगरी देव की धरती के नाम से प्रसिद्ध है. फिलहाल देव स्थित पवित्र सूर्यकुंड तालाब के गेट को छठ पूजा के लिए खोल दिया गया है. व्रती तथा श्रद्धालु सूर्य को अर्ध्य अर्पण करते देखे गए. अर्घ्य अर्पण के बाद व्रती पवित्र सूर्यकुंड से लेकर त्रेतायुगीन सूर्यमंदिर पहुंच रहे हैं और भगवान भाष्कर को बाहर से ही दर्शन पूजन कर खुद को धन्य समझ रहे हैं.

भगवान भाष्कर करते हैं मन्नतें पूरी

ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से और श्रद्धा भाव से यहां छठ पूजा का अनुष्ठान करता है, सूर्यनारायण उनकी अराधना अवश्य पूरी करते हैं. यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में छठव्रती पहुंचते हैं और भगवान भाष्कर से मन्नतें भी मांगते हैं.

सूर्यकुंड तालाब गेट को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया

कोरोना को लेकर मेले पर रोक

जिला प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर इस बार देव में छठ मेले के आयोजन पर रोक लगा रखी थी. मगर बड़ी संख्या में व्रतियों तथा श्रदालुओं के यहां पहुंचने के बाद जिला प्रशासन ने अघोषित तरीके से सूर्यकुंड के प्रवेश द्वारों को अर्ध्य अर्पण के लिए खोल दिया.

मंदिर के प्रति लोगों की विशेष आस्था

बता दें कि छठ के दौरान देव मंदिर के प्रति लोगों की विशेष आस्था होती है. इस अवसर पर विशाल मेला लगता है. यहां पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन के प्रयास से प्रत्येक वर्ष सूर्य अचला सप्तमी को महोत्सव का भी आयोजन होता है. कार्तिक एवं चैत में छठ करने कई राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस अवसर पर सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है. छठ मेले के समय देव का कस्बा लघु कुंभ बन जाता है. छठ गीत से देव गुंजायमान हो उठता है.

Last Updated : Dec 16, 2020, 3:43 PM IST
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