औरंगाबादः बिहार के कई जिलों में किसान खाद को लेकर परेशान हैं. अब औरंगाबाद से भी किसानों को खाद (Fertilizer) नहीं मिलने की शिकायत मिल रही है. खाद के लिए अहले सुबह से लाइन में लग जाने के बावजूद भी किसानों (farmers) को खाद की एक अदद बोरी तक नसीब नहीं हो पा रही है. ऐसा तब है जबकि धान के खेतों में यूरिया डाले जाने की सख्त जरूरत है.
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हालांकि जिला प्रशासन ने यह दावा किया था कि जिले में खाद की किल्लत नहीं होने दी जाएगी मगर जिला प्रशासन का यह दावा खोखला नज़र आ रहा है.
'सुबह से लाइन में लगे हैं. लेकिन खाद नहीं मिल रहा है. रोज लौटकर जाते हैं. धान के खेतों में यूरिया की सख्त जरूरत है. अगर हमें खाद नहीं मिला तो हमारी फसल बर्बाद हो जाएगी'- राजेश्वर प्रजापति ,किसान
इस सिलसिले में जिले के कृषि पदाधिकारी से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में कुल 38,687 मीट्रिक टन की आवश्यकता है. जिसके विरुद्ध 17,221 मीट्रिक टन यूरिया की ही आपूर्ति हो सकी है. मांग और आपूर्ति में यह जो असंतुलन है. उसी की वजह से खाद की किल्लत हो रही है.
उन्होंने कहा कि खाद की रैक अगर औरंगाबाद कर दी जाये तो यह परेशानी अपने आप दूर हो जाएगी. क्योंकि रैक यदि यहां लगेगा तो मांग के मुताबिक यहां का खाद मिल जायेगा और यह समस्या दूर हो जाएगी.
बता दें कि कुछ दिनों पहले बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा था कि सूबे में जहां ज्यादा खेती हुई है, वहां खाद की मांग ज्यादा है. किसी खास जगह पर खाद की ज्यादा मांग होने के कारण भी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा था कि सूबे में 2 लाख मिट्रिक टन खाद की कमी है, लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं.
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वहीं, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सूबे में खाद की किल्लत को लेकर सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि खाद के लिए किसान लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं. कई जगहों पर खाद की किल्लत है, लेकिन सरकार चैन की नींद सो रही है. सरकार को किसानों की चिंता नहीं है.