औरंगाबाद: जिले के नबीनगर प्रखंड के अनन्दुआ गांव के एक परिवार ने पाकिस्तान से लाई गई गीता को खुद की बेटी बताया है. परिवार का दावा है कि गीता उनकी बेटी बबली है, जो 22 साल पहले लापता हो गई थी. उन्होंने इसके लिए डीएनए टेस्ट की मांग करते हुए इसपर सहमति भी जताई है.
चार साल पहले पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के प्रयासों से मूक-बधिर गीता को पाकिस्तान से वापस लाया गया था. गीता की वापसी ने देश भर में सुर्खियां बटोरी थी. वहीं, सुषमा स्वराज गीता को अपनी बेटी की तरह मानती थीं. फिलहाल गीता मध्य प्रदेश के इंदौर के गुमाश्ता नगर के एक मूक-बधिर संस्था में रह रही है.
मेरी बेटी है गीता- विश्वनाथ
अनन्दुआ गांव के विश्वनाथ सिंह ने प्रखंड विकास पदाधिकारी नबीनगर को आवेदन देते हुए गीता को खुद की बेटी बताया है. उन्होंने कहा है कि मेरी बेटी बबली 22 साल पहले उस वक्त गुम हो गई थी, जब उनका पूरा परिवार एक शादी समारोह में शामिल होने अपने रिश्तेदार के यहां गया हुआ था. तब से लेकर आज तक उसकी खोजबीन जारी है. लेकिन इसी बीच टीवी न्यूज चैनल पर जब उन्होंने गीता को देखा तो उन्हें लगा कि गीता ही उनकी खोई बेटी बबली है.
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डीएनए को तैयार विश्वनाथ
विश्वनाथ के ज्ञापन को स्वीकारते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी ओम राजपूत ने बताया कि विश्वनाथ ने बताया है कि उनकी बेटी 1997 में लापता हो गई थी. उन्होंने इस मामले की जांच कराने जाने की बात कही है. वो अपने डीएनए जांच कराने तक तैयार है. प्रखंड विकास अधिकारी ने दिये गए आवेदन को आगे की कार्रवाई के लिए अनुशंसित कर डीएम के पास भेज दिया है, ताकि मामले को उचित प्लेटफॉर्म तक ले जाया जा सके.
कई लोग कर चुके हैं दावा
गीता की वतन वापसी कराने वाली स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने उसके माता-पिता की काफी तलाश की. जब गीता भारत वापस लौटी, तब कई लोगों ने उसे अपनी बेटी बताया. वहीं, उसके असली परिजनों का पता नहीं चल सका. ऐसे में एक बार फिर विश्वनाथ के दावे ने पूर्व विदेश मंत्री की तलाश को उनके न रहते हुए, जिंदा कर दिया है.