औरंगाबाद: पिछले 15 दिनों से लगातार हीट स्ट्रोक से मौत के कारण सुर्खियों में रहा जिला अब स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में लगा है. यहां धीरे-धीरे मौत का सिलसिला भी थमने लगा है. अतिरिक्त वार्ड बनाने के अलावा सभी वार्डों में एसी लगाया गया है. वहीं, लू से मरने वालों को सरकार की तरफ से चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है.
इन दिनों चमकी और लू के प्रकोप से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था को खड़ा और दुरुस्त करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है. इन सबसे सबक लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने अब बरसात में पैदा होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए भी पहले से कमर कस ली है.
टाइट की गई व्यवस्था
सिविल सर्जन डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि सदर हॉस्पिटल में हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की देखभाल के लिए समुचित व्यवस्था की गई है. अतिरिक्त वार्ड बनाने के अलावा सभी वार्डों में एसी लगाया गया है. इसके अलावा हॉस्पिटल बरसाती बीमारियों को लेकर भी तैयार है. वहीं, लू से मरने वालों को सरकार की मुआवजे के तौर पर चार लाख रुपए दिए जा रहे हैं.
कम हो गया 'हीट का स्ट्राइक'
इस संबंध में सिविल सर्जन ने बताया कि लू से मरने वालों की स्थिति दो-तीन दिन तक ही अनियंत्रित थी. समय रहते इसपर काबू पा लिया गया था. इसके साथ ही, शनिवार को हुई मानसून की बारिश के बाद जिले का तापमान लगभग 10 डिग्री सेल्सियस तक कम हो गया है जिसके कारण वे हीट स्ट्रोइक से पीड़ित मरीजों में कमी आई है.
घर पर मरे मरीज को 4 लाख मुआवजा
अस्पताल में मौजूद मरीजों और उनके परिजनों ने भी संतोष जताते हुए बताया कि यहां फिलहाल कोई समस्या नहीं है. कमरे में ठंडक है और डॉक्टर भी समय से इलाज कर रहे हैं. सर्जन ने बताया कि मुआवजे के लिए जिलाधिकारी ने बकायदा एक टीम गठित की है जो गांव में यह पता लगाएंगी कि किन की मौत लू से हुई है. वेरिफिकेशन होने के बाद सभी को आपदा राहत कोष से 4-4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा.
परिस्थितियों को कंट्रोल करने में सक्षम अस्पताल
सिविल सर्जन ने दावा किया कि गर्मी में अचानक हुए लू के प्रकोप से हॉस्पिटल दो-तीन दिनों तक लड़ नहीं पाया लेकिन बरसात के दिनों में सदर अस्पताल पूरी तरह से बरसाती बीमारियों से लड़ने में सक्षम है. यहां हर तरह की सुविधाएं और दवाइयां अभी वर्तमान में उपलब्ध हैं.