औरंगाबाद: जिले के सदर प्रखंड स्थित देवहरा गांव के रहने वाले एक छात्र विनीत कुमार ने अभाव के बावजूद प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने की विधि को इजाद किया. कम लागत में ही प्लास्टिक से पेट्रोल बनाकर विनीत ने सबको चौंका दिया था. विनीत के आविष्कार की हर जगह प्रशंसा हुई और विनीत एकाएक सुर्खियों में आ गया.
इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस और औरंगाबाद स्थापना दिवस समारोह में जिले के प्रभारी मंत्री बृजकिशोर बिंद और डीएम राहुल रंजन महिवाल ने विनित को सम्मानित किया. वहीं, समारोह के दौरान ही मंत्री बृजकिशोर बिंद ने बिहार सरकार की तरफ से विनीत को इस आविष्कार के लिए प्रोत्साहन के रूप में 1 लाख रुपये की नकद राशि पुरस्कार स्वरूप दिए जाने की घोषणा की. 26 जनवरी को घोषणा किए जाने के बाद भी अभी तक विनीत को राशि का भुगतान नहीं किया गया है. घोषणा के बाद से विनीत लगातार कलेक्ट्रेट का चक्कर लगा रहा है, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.
![Vinit Kumar is wandering from office to office to get the prize money in Aurangabad](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-aur-02-award-pkg-7204105_16092020234909_1609f_03819_458.jpg)
बृजकिशोर बिंद कर रहे हैं अनदेखी
इस संबंध में जब प्रभारी मंत्री बृजकिशोर बिंद से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से कोई कमी नहीं है. वे अपने विभाग और खनन विभाग को सूचना दे दिए हैं कि बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार को 1 लाख रुपये का भुगतान कर दे. लेकिन खनन विभाग अभी तक भुगतान नहीं किया है. इसकी जांच की जाएगी और उसे जल्द ही राशि उपलब्ध करवाई जाएगी.
कई उपकरण का भी किया है निर्माण
बता दें कि विनीत कुमार औरंगाबाद के छोटे से गांव देवहरा में रहकर जिस मुकाम को हासिल किया है, वो बड़े-बड़े विरले ही हासिल करते हैं. विनीत ने ना सिर्फ प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने की विधि को इजाद किया, बल्कि कोरोना से बचने के लिए सेनेटाइजेशन छाता, सैनेटाइजेशन टनल और रुपये, पैसे, मोबाइल, बिस्तर और फर्श आदि को भी मात्र 30 सेकेंड में सैनेटाइज करने के लिए सैनेटाइजेशन वाईपर और सैनेटाइजेशन बॉक्स का भी निर्माण किया है.
बिहार सरकार कर रही है अनदेखी
विनीत की कुशाग्र बुद्धि के कारण ही फ्रांस स्थित इंटरनेशनल यूथ फेडरेशन ने उसे भारत का ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया है. लेकिन उसके आविष्कार को बिहार सरकार अनदेखी कर रही है. उसे किसी भी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है. जिससे कि वो आगे बढ़कर देश के हित में आविष्कार कर सके.