ETV Bharat / state

औरंगाबाद: धान की उपज लेकर बाट जोह रहे हैं किसान, नहीं मिल रहा उचित मूल्य - farmers are worried

किसान नंदू सिंह बताते हैं कि वे खेती से हताश हो चुके हैं. कर्ज लेकर खेती करते हैं. खाद, बीज और अगले फसल के लिए पैसों की जरूरत होती है. सरकार तो धान खरीदने से रही अब बिचौलिए ही एकमात्र सहारा हैं.

औरंगाबाद
बाट जोह रहे हैं किसान
author img

By

Published : Feb 4, 2020, 10:16 PM IST

औरंगाबाद: जिले में धान की खेती करने वाले किसान इन दिनों अपनी फसल बेचने को लेकर परेशान हैं. पहले ठंड और अब बेमौसम बारिश ने उनकी फसल को खराब कर दिया है. अब जब फसल पककर खलिहान में आ गए हैं तब भी किसानों की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है. बता दें कि अब फसल के उचित मूल्य के खरीददार नहीं मिल रहे हैं.

औरंगाबाद
नंदू, किसान

पैक्स के बर्ताव से बिचौलियों की चांदी
बता दें कि धान की फसल अब भी किसानों के खलिहान में ही है. दिसंबर में हुए बेमौसम बारिश ने किसान की फसल पहले बर्बाद कर दिया था. वहीं, उससे बचकर जिन किसानों की फसल घर आ गई है उन फसल को भी उचित खरीददार नहीं मिल रहे हैं. पैक्स की ओर से धान की खरीदी नहीं की जा रही है और बिचौलिए औने-पौने भाव में धान खरीद रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी दर 1850 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित
बिहार सरकार ने धान की खरीदी के लिए 1850 रुपये प्रति क्विंटल का दर निर्धारित किया है. वहीं, पैक्स की ओर से धान खरीदी नहीं की जा रही है. जिसके कारण किसानों का धान या तो खलिहान में है या फिर वह बिचौलियों को 13 सौ से 14 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे हैं.

औरंगाबाद
खलिहानों में पड़े धान

किसान हैं हताश
किसान नंदू सिंह बताते हैं कि वे खेती से हताश हो चुके हैं. कर्ज लेकर खेती करते हैं. खाद, बीज और अगले फसल के लिए पैसों की जरूरत होती है. सरकार तो धान खरीदने से रही अब बिचौलिए ही एकमात्र सहारा हैं. वे मात्र 13 सौ से 14 सौ रुपए तक ही रेट दे रहे हैं लेकिन धान खरीद तो रहे हैं. अगर वे पैक्स के सहारे रहे तो फसल को घर में ही रखना पड़ेगा.

औरंगाबाद: जिले में धान की खेती करने वाले किसान इन दिनों अपनी फसल बेचने को लेकर परेशान हैं. पहले ठंड और अब बेमौसम बारिश ने उनकी फसल को खराब कर दिया है. अब जब फसल पककर खलिहान में आ गए हैं तब भी किसानों की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है. बता दें कि अब फसल के उचित मूल्य के खरीददार नहीं मिल रहे हैं.

औरंगाबाद
नंदू, किसान

पैक्स के बर्ताव से बिचौलियों की चांदी
बता दें कि धान की फसल अब भी किसानों के खलिहान में ही है. दिसंबर में हुए बेमौसम बारिश ने किसान की फसल पहले बर्बाद कर दिया था. वहीं, उससे बचकर जिन किसानों की फसल घर आ गई है उन फसल को भी उचित खरीददार नहीं मिल रहे हैं. पैक्स की ओर से धान की खरीदी नहीं की जा रही है और बिचौलिए औने-पौने भाव में धान खरीद रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी दर 1850 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित
बिहार सरकार ने धान की खरीदी के लिए 1850 रुपये प्रति क्विंटल का दर निर्धारित किया है. वहीं, पैक्स की ओर से धान खरीदी नहीं की जा रही है. जिसके कारण किसानों का धान या तो खलिहान में है या फिर वह बिचौलियों को 13 सौ से 14 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे हैं.

औरंगाबाद
खलिहानों में पड़े धान

किसान हैं हताश
किसान नंदू सिंह बताते हैं कि वे खेती से हताश हो चुके हैं. कर्ज लेकर खेती करते हैं. खाद, बीज और अगले फसल के लिए पैसों की जरूरत होती है. सरकार तो धान खरीदने से रही अब बिचौलिए ही एकमात्र सहारा हैं. वे मात्र 13 सौ से 14 सौ रुपए तक ही रेट दे रहे हैं लेकिन धान खरीद तो रहे हैं. अगर वे पैक्स के सहारे रहे तो फसल को घर में ही रखना पड़ेगा.

Intro:संक्षिप्त- औरंगाबाद के किसान इनदिनों अपनी फसल बेचने को लेकर परेशान हैं। किसानों की इस स्थिति का फायदा उठाकर बिचौलियों ने औने पौने भाव पर धान खरीदना शुरू कर दिया है।

BH_AUR_01_PADDY CROPS_PKG_7204105

औरंगाबाद- जिले में धान की खेती करने वाले किसान इन दिनों अपनी फसल बेचने को लेकर परेशान है पहले ठंड और बेमौसम बारिश ने उनकी फसल को खराब किया। अब जब फसल पककर खलिहान में आ गए हैं तो खरीदार नहीं मिल रहे हैं।


Body:धान की फसल अभी भी किसानों के खलिहान में ही है। दिसंबर में हुए बेमौसम बारिश ने किसान की फसल पहले बर्बाद कर दिया था, लेकिन उससे बचकर जिन किसानों की फसल घर आ गई उन फसल को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। पैक्स द्वारा धान की खरीदी नहीं की जा रही है और बिचौलिए औने पौने भाव में धान खरीद रहे हैं।

सरकार ने 1850 रुपए प्रति क्विंटल दर किया है निर्धारित

बिहार सरकार द्वारा धान की खरीदी के लिए 1850 रुपए प्रति क्विंटल की दर निर्धारित की गई है।
लेकिन पैक्स द्वारा धान की खरीदी नहीं की जा रही है, जिसके कारण किसानों का धान या तो खलिहान में है या फिर वह बिचौलियों से 13 सौ से 14 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे हैं।

किसान हैं हताश
किसान नंदू सिंह बताते हैं कि वे खेती से हताश हो चुके हैं। कर्ज लेकर खेती करते हैं। खाद, बीज और अगले फसल के लिए पैसों की जरूरत होती है। सरकार तो धान खरीदने से रही अब बिचौलिए ही एकमात्र सहारा हैं। वे मात्र 13 सौ से 14 सौ रुपए तक ही रेट दे रहे हैं लेकिन धान खरीद तो रहे हैं। अगर वे पैक्स के सहारे रहे तो फसल को घर में ही रखना पड़ेगा।

धान की खेती पर ही आश्रित हैं किसान

जिले के अधिकतर किसान धान की फसल पर ही आश्रित हैं। जिले के लगभग शत प्रतिशत किसान धान की खेती करते हैं। हालांकि कई प्रखंडों में तो सिंचाई के अभाव में धान की फसल सूख गई थी लेकिन जहां फसल हुई वहां भी स्थिति सही नहीं है। फसल का खरीददार ही नहीं मिल रहे हैं।


Conclusion:किसान अपने खून पसीने को एक करके फसल बोता है। अपनी जमा पूंजी फसल लगाने में ही लगा देता है। और जब फसल बाजार में आती है तो फसल को खरीदने वाला कोई नहीं मिलता है। ऐसे में सरकार और उनके द्वारा संचालित पैक्स केंद्र की महत्ता सफेद हाथी के अलावा कुछ भी नहीं है।

बाइट- नंदू सिंह, किसान
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.