औरंगाबादः लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के बाद बच्चों की पढ़ाई पर खासा प्रभाव पड़ा है. संपन्न और शहरी क्षेत्र के छात्र तो ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन गरीब और ग्रामीण परिवेश के छात्रों को स्मार्ट फोन के अभाव में ऑनलाइन क्लासेस भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में एबीवीपी ने ग्रामीण छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया है.
कोरोना महामारी लोकडॉन के कारण सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. ऐसे में ग्रामीण बच्चों के पास न तो स्मार्टफोन है न टीवी है. ऐसे में यह बच्चे पढ़ाई से वंचित न रह जाये, इसके लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूरे बिहार में अलग-अलग जिलों में ग्रामीण बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं.
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आशिका दो घण्टे निःशुल्क दे रही हैं शिक्षा
इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद औरंगाबाद के प्रांत सह मंत्री आशिका सिंह ने भी गांव के 30 बच्चों को पुस्तक देकर उन्हें पढ़ने को प्रेरित किया. इसके साथ ही कोरोना से बचाव के लिए अपने हाथों से मास्क सिलकर बच्चों को दिया. आशिका बच्चों को अपने घर पर बुलाकर रोजाना दो घण्टे निःशुल्क शिक्षा दे रही हैं. आशिका लगभग एक महीने से लगातार गांव में ही रहकर इस काम को अंजाम देने में लगी हैं.
इस सम्बंध में आशिका ने बताया कि ऐसा करके उन्हें गर्व महसूस हो रहा है. साथ ही बच्चे भी उत्साह के साथ पूरे मन से पढ़ाई कर रहे हैं. उनके अभिभावक भी बहुत खुश हैं कि उनकी बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी जो चिंता थी उसमें थोड़ी राहत मिली है.
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इस सम्बंध में प्रान्त सह मंत्री आशिका सिंह कहती हैं कि इस कोरोना महामारी के कारण बच्चों की शिक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ा है. ऐसे में हम सभी को चाहिए कि आसपास के बच्चों को पढ़ाएं इससे आपका भी मेमोरी पावर बढ़ेगा और बच्चों को भी बहुत लाभ होगा. सरकार को भी चाहिए कि कोचिंग खोलने की अनुमति दे. ताकि कोचिंग संचालक सावधानी बरतते हुए बच्चों को पढ़ाएं. जिससे छात्रों का सिलेबस पूरा हो सके.